खराब खान-पान, बिगड़ती जीवनशैली और एक्सरसाइज की कमी के कारण शरीर की नसों का ब्लॉक होने एक आम समस्या बन गई है। शरीर में हजरों नसें होती हैं और किसी भी हिस्से की नस में ब्लॉकेज हो सकती है।
सर्दियों में इस समस्या का बढ़ने का अधिक खतरा होता है क्योंकि तापमान का सीधा असर शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। जैसे-जैसे पारा गिरता है शरीर के अंगों की प्रक्रिया भी धीमी होने लगती है। नसों में सिकुड़न हो जाती है। इसके कारण दिमाग में रक्तप्रवाह मंद हो जाता है।
दिमाग की नसें ब्लॉक होने के लक्षण
अगर दिमाग के पीछे की नस ब्लॉक हुई है, तो आपको चक्कर, उलटी, बैलेंस बिगड़ना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। अगर आगे की नस ब्लॉक होती है तो लकवा, बोलने में परेशानी या देखने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस होंगे।
इसके अलावा आपको भ्रम की स्थित में होना, बोलने या समझने में मुश्किल, अस्पष्ट बोलना, एक या दोनों आंखों से साफ न दिखना, तेज सिर दर्द, जी मिचलाना या उल्टी होना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
नसों की ब्लॉकेज का इलाज का घरेलू उपाय
इसके लिए आपको एक ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम तेज पत्ता, 10 ग्राम खरबूजे के बीज, 10 ग्राम मिश्री, 10 ग्राम अखरोट और 10 ग्राम अलसी के बीज चाहिए।
इन सभी चीजों को मिक्स में डालकर एक दम स्मूद ब्लैंड कर लें। इसकी दस पुड़िया बना लें और रोजाना खाली पेट इस मिश्रण के एक पुड़िया को हल्के गुनगुने पानी के साथ लगातार दस दिनों तक लें।
ध्यान रखें कि दवा खाने के आधे घंटे तक किसी भी चीज का सेवन ना करें, चाय तो बिल्कुल ना पिएं। नाश्ता भी 2-3 घंटे तक ही पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर आप खुद फर्क महसूस करें।
दूध में लहसुनशरीर की बंद नसों को खोलने का सबसे सस्ता व असरदार उपाय है. एक कप दूध में तीन लहसुन की कलियों को उबाल कर पीना। नियमित रूप से ऐसा करने से आपकी नसों की ब्लॉकेज दूर होती दिखाई देगी।
अनार का रसनियमित रूप से अगर आप एक गिलास अनार जूस पियेंगे तो आपको शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद मिल सकती है। इससे किसी भी नस में ब्लॉकेज नहीं होगी।
बादाम का सेवनअगर आपको भी नसों में ब्लॉकेज की समस्या है, तो आप हर दिन कम से कम 50 से 100 ग्राम तक बादाम खाएं। हालांकि जिन लोगों के शरीर में कुछ दिक्कतें हों, तो उन्हें बादाम का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अखरोट और पेकन का सेवन भी नसों में ब्लॉकेज होने से रोकता है।
विटामिन बी 12 विटामिन बी खासतौर पर विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है और हड्डियों एवं नसों को स्वस्थ रखता है। इसकी कमी की वजह से भी नसों में दर्द हो सकता है। अंडे, दूध और अन्य दूध से बने उत्पादों में पाया जाता है।
हल्दीहल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक तत्व भी दर्द और रुमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में उपयोगी है। अध्ययनों में सामने आया है कि करक्यूमिन नसों में दर्द से राहत दिलाता है। चाय, सब्जी या दूध में हल्दी मिलाकर ले सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सीडेटिव, एंटी-इंफ्लामेट्री और नसों को सुरक्षा प्रदान करने वाले गुण होते हैं।