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30 साल के बाद किसी भी कीमत पर करायें ये 12 मेडिकल टेस्ट, वरना जीवनभर होगा पछतावा

By उस्मान | Updated: December 12, 2019 10:59 IST

स्वस्थ रहने और किसी भी बीमारी का बेहतर इलाज कराने के लिए उसके लक्षणों की समय पर पहचान जरूरी है।

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ठळक मुद्दे30 की उम्र के बाद इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने लगता है और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती हैमेडिकल टेस्ट कराने से बीमारियों के संकेत और लक्षणों की सही पहचान की जा सकती है

स्वस्थ रहने और किसी भी बीमारी का बेहतर इलाज कराने के लिए उसके लक्षणों की समय पर पहचान जरूरी है। मेडिकल एक्सपर्ट इसका सबसे बेस्ट तरीका 'मेडिकल टेस्ट' को मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि समय पर मेडिकल टेस्ट कराने से बीमारियों के संकेत और लक्षणों की सही पहचान की जा सकती है और इससे सफल इलाज में मदद मिल सकती है।

ऐसा माना जाता है कि 30 की उम्र के बाद शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने लगता है और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस उम्र में खान-पान, एक्सरसाइज और मेडिकल जांच पर बेहद ध्यान देना चाहिए। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार आपको 30 से 50 साल की उम्र तक समय-समय पर नीचे बताये गए मेडिकल टेस्ट करवाने चाहिए। 

1) कम्पलीट ब्लड काउंट (CBC)यह टेस्ट एनीमिया, संक्रमण, कुछ प्रकार के कैंसर, और इसी तरह के निदान के लिए किया जाता है। यह भारतीय महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वो आयरन की कमी वाले एनीमिया रोग से पीड़ित हैं। यदि सीबीसी ठीक है, तो इसे वर्ष में एक बार दोहराया जा सकता है।

2) ब्लड प्रेशर टेस्टब्लड प्रेशर की 120/80 से नीचे एक रीडिंग आदर्श है। अगर रेंज नॉर्मल है, तो आप यह टेस्ट एक साल बाद भी करा सकते हैं।

3) ब्लड शुगर टेस्टयह टेस्ट 12 घंटे के उपवास की अवधि के बाद डायबिटीज का पता लगाने में मदद करता है। 99 की रीडिंग सामान्य है, 100 और 110 के बीच प्री-डायबिटीज इंगित करता है और 110 से अधिक डायबिटीज दर्शाता है।  

4) लिपिड प्रोफाइलयह टेस्ट दिल के स्वास्थ्य का एक सटीक संकेतक माना जाता है। यह रक्त परीक्षण कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एचडीएल और एलडीएल स्तरों को मापता है। एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स आदर्श रूप से <130 और HDL>60 होना चाहिए। नॉर्मल रेंज वाले लोग 2 साल में एक बार परीक्षण करा सकते हैं।

5) ईसीजी टेस्ट35 वर्ष की आयु के बाद इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) टेस्ट जरूरी है, जो हृदय रोग के जोखिम की जाँच करता है। यदि रिपोर्ट सामान्य है, तो इसे सालाना दोहराया जा सकता है।

6) लिवर फंक्शन टेस्टइसे एक साल में कराया जा सकते है। इससे आपको लीवर की स्थिति का पता चल सकता है जैसे कि अलीवर डैमेज होना, फैटी लिवर, हेपेटाइटिस सी और बी आदि के बारे में।

7) यूरिन टेस्टयह मूत्र के नमूने में प्रोटीन, चीनी और रक्त (विशेषकर धूम्रपान करने वाले जो मूत्राशय के कैंसर के लिए उच्च जोखिम में हैं) की उपस्थिति की जांच करता है, जो अन्य स्थितियों के अलावा, गुर्दे की बीमारी का संकेत दे सकता है। यदि रिपोर्ट सामान्य है, तो अगले वर्ष टेस्ट कराएं।

8) किडनी फंक्शन टेस्टसीरम क्रिएटिनिन का बढ़ना किडनी के प्रभावित होने के संकेत हो सकता है जो इस टेस्ट से पता चलता है। बेशक 0।3-1.2 को नॉर्मल रेंज माना जाता है लेकिन व्यक्ति के आकार को भी ध्यान में रखना होगा।

9) थायराइड फंक्शन टेस्टयह ब्लड टेस्ट अंडरएक्टिव (हाइपोथायरायडिज्म) या ओवरएक्टिव थायरॉइड (हाइपरथायरायडिज्म) का पता लगाने में मदद करता है। अगर रेंज नॉर्मल है, तो आप एक साल छोड़कर करा सकते हैं।

10) विटामिन डी की कमी के लिए टेस्टविटामिन डी की कमी से बाद के वर्षों में हड्डियों के नुकसान और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट 30 की उम्र के बाद इस टेस्ट को कराने की सलाह देते हैं। 

11) पैप स्मीयर टेस्ट (महिलाओं के लिए)यह गर्भाशय ग्रीवा में पूर्व-कैंसर के परिवर्तनों को पकड़ सकता है और 21 वर्ष की आयु के बाद हर लड़की को यह टेस्ट कराना चाहिए। अगर 30 के दशक में लगातार 3 टेस्ट नॉर्मल हैं, तो टेस्ट को हर 3-5 साल में दोहराया जा सकता है।  

12) एसटीआई के लिए टेस्टयदि आपके कई यौन साथी हैं या गर्भ धारण करने की योजना बना रहे हैं, तो इस टेस्ट से यौन संचारित संक्रमणों जैसे सिफलिस, गोनोरिया, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी को जानने में मदद मिलेगी।

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