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20-30 साल की लड़कियों को ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए रोजाना खानी चाहिए इतनी दही

By उस्मान | Updated: August 27, 2018 16:24 IST

एप्लाइड एंड एनवाइरोनमेंट माइक्रोबॉयलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दही में प्रोबायोटिक्स होता है जो ब्रेस्ट में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाता है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है

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ब्रेस्ट कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाली एक भयावह बीमारी है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 40 साल की उम्र के बाद इसका खतरा ज्यादा रहता है। भारत में 22 फीसदी महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर से होती है। अन्य कैंसर में हुई मौतों के मुकाबले यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। बदलते लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण यह समस्या आम है। अगर आप ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं या  इससे बचना चाहते हैं, तो आपको अपने खाने में दही शामिल करनी चाहिए. दही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। रोज एक कटोरी दही खाने से पाचन क्रिया सही रहती है। दही में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन और कई दूसरे मिनरल्स शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं।

 

दही से कैसे कम होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा? एप्लाइड एंड एनवाइरोनमेंट माइक्रोबॉयलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दही में प्रोबायोटिक्स होता है जो ब्रेस्ट में अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाता है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, लैक्टोबेसिलस और स्टपटोकोकस, जो कि गुड बैक्टीरिया माने जाते हैं, हेल्दी ब्रेस्ट में ज्यादा पाए जाते हैं। दोनों में एंटी-कैंसर गुण होते हैं। 

क्या कहती है रिसर्च

कनाडा के वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसे लेकर शोध किया। उन्होंने महिलाओं को और खासकर उन महिलाओं को जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा है, उन्हें अपने खाने में प्रोबायोटिक लैक्टोबेसिलस को शामिल करने की सलाह दी, ताकि उनके ब्रेस्ट में लाभकारी बैक्टीरिया का अनुपात बढ़ सके। इसके विपरीत स्तन कैंसर से पीड़ित महिला में एसचेरिचिया और स्टाफाइक्लोलोकोकस जिन्हें हानिकारक बैक्टीरिया माना जाता है कि संख्या बढ़ी हुई पाई गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, कैंसर को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया को निशाना बनानेवाले एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से ब्रेस्ट कैंसर के प्रबंधन का एक और विकल्प मिलेगा। 

इस शोध के दौरान शोधदल ने 58 महिलाओं के स्तनों के ऊतकों का अध्ययन किया था जो विभिन्न किस्म के स्तन कैंसर से पीड़ित थीं, साथ ही इनमें 23 स्वस्थ महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने सर्जरी के माध्यम से अपने स्तनों का आकार छोटा या बड़ा कराया था। शोधकर्ताओं ने ऊतकों में बैक्टीरिया की पहचान के लिए उनकी डीएनए सीरीज का प्रयोग किया। 

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