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दुनिया में हेपेटाइटिस के 32.5 करोड़ मरीज, रोग होने से पहले शरीर देता है 10 चेतावनी, ऐसे करें बचाव

By उस्मान | Updated: November 9, 2019 14:45 IST

हेपेटाइटिस ए और ई वायरस आमतौर पर दूषित पानी और खाने के सेवन से फैलता है।

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शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग लीवर को बेकार कर देने वाले हेपेटाइटिस संक्रमण ने धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है और आज यह क्षयरोग के बाद सबसे ज्यादा जान लेने वाला संक्रामक रोग है। दुखदायी तथ्य यह है कि भारत सहित कुल 11 देश दुनिया के कुल हेपेटाइटिक मरीजों में से 50 प्रतिशत का बोझ उठा रहे हैं और इसके शिकार 80 प्रतिशत लोगों को इसके निदान, परीक्षण और इलाज के बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

मुख्यतः बैक्टीरिया के संक्रमण, अल्कोहल, दवाइयों के साइड इफेक्ट और ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण होने वाला हेपेटाइटिस कुछ मामलों में बेहद गंभीर होता है और लिवर कैंसर के साथ मौत का कारण बन सकता है। अब हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या से सात गुना ज्यादा है।

दुनिया में हेपेटाइटिस के 32.5 करोड़ मरीज

आंकड़ों की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में लगभग 32.5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस से प्रभावित है, जिनमें से हर साल लगभग 13.4 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में इसके पीड़ितो कीं संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, भारत में चार प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस वारयल से प्रभावित है।

अकेले हेपेटाइटिस बी और सी वायरस से लगभग 60 लाख से 1.2 करोड़ लोग प्रभावित है। लांसेंट ग्लोबल हैल्थ में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित 67 देशों में इलाज, जांच, एहतियात और जागरूकता जैसे उपायों पर हर बरस छह अरब डॉलर की रकम खर्च करके अगले 11 वर्ष में 45 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।

हेपेटाइटिस के कारण

हेपेटाइटिस के विभिन्न वायरस की जानकारी देते हुए बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई वायरस आमतौर पर दूषित पानी और खाने के सेवन से फैलता है। हेपेटाइटिस बी वायरस इंजेक्शन, संक्रमित खून दिए जाने और यौन सम्पर्क के कारण फैलता है। हेपेटाइटिस बी, सी और डी वायरस संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, रक्त या अन्य द्रव्य पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। इसके साथ ही यह संक्रमित रक्त, दूषित सुई एवं अन्य संक्रमित चिकित्सीय उत्पादों के प्रयोग से होता है।

हेपेटाइटिस के लक्षण

हेपेटाइटिस के लक्षणों में पीलिया होना, पेशाब का रंग गहरा होना, अत्यधिक थकान महसूस होना, मतली या उल्टी होना, पेट दर्द और सूजन महसूस होना, खुजलाहट, भूख कम लगना और अचानक वजन का घटना शामिल हैं। 

हेपेटाइटिस की रोकथाम

इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें, टैटू करने के वक्त उपकरणों से सावधान रहें, कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि वह साफ हो और यौन संबंध बनाते समय सावधानी बरतें। 

ऐसे रखें लीवर को साफ

आपका आहार संतुलित और स्वस्थ होना चाहिए और इसमें पोषक तत्व होने चाहिए जो आंत और लीवर को स्‍वस्‍थ बनाते हैं। शरीर के वजन में 6% की कमी आपके लीवर में वसा के स्तर को 40% तक कम कर सकती है, जिससे शरीर के विषाक्‍तता कम करने वाले अंग पर अधिक बोझ पड़ता है।

- एक बार जब आपने अपने आहार को दोबारा नियमित कर लिया है, तो आपको सप्ताह में एक बार आंतरिक उपवास की कोशिश करनी चाहिए। अनुसंधान से पता चला है कि उपवास के दौरान, लीवर कोशिकाएं एक प्रोटीन का उत्पादन करती हैं जो शुगर के चयापचय में सुधार करने में मदद करती है और वसा के स्तर को कम करती है।

- शरीर में त्वचा सबसे बड़ा अंग है और हमारी शारीरिक प्रणली से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए पसीना सबसे प्रभावी तरीका है। जबकि एरोबिक व्यायाम पसीने को पैदार करने का एक शानदार तरीका है।

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