चांगेरी का नाम आपने शायद ही कभी सुना हो लेकिन बचपन में आपने इस घास को जरूर खाया होगा। यह वही घास है जिसके छोटे-छोटे हरे पत्तों को बच्चे शौक से खाते हैं और इसका स्वाद थोड़ा खट्टा होता है। चांगेरी के छोटे-छोटे पौधे आपको कहीं भी मिल जाएंगे। क्या आप जानते हैं कि इसके कितने आयुर्वेदिक फायदे होते है। चांगेरी घास के पत्तों में कैरोटीन, ऑक्सालेट और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही यह विटामिन सी का भी अच्छा स्रोत है। चलिए जानते हैं इसे खाने से आपकी सेहत को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
1) पेट और सिर दर्द मेंचांगेरी का घरेलू इलाज पेट संबंधी समस्याओं के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। 20-40 मिली चांगेरी के पत्ते के काढ़े में 60 मिग्रा भुनी हुई हींग मिलाकर सुबह शाम पिलाने से पेट दर्द से जल्दी आराम मिलता है। चांगेरी के रस और प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर सिर पर लेप करने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
2) मसूड़ों के रोग और मुंह की दुर्गन्ध मेंचांगेरी के पत्तों के रस से कुल्ले करने से मसूढ़ों के न मिटने वाले रोग भी मिट जाते हैं। चांगेरी के 2-3 पत्तों को मुंह में पान की तरह रखने से मुंह की दुर्गंध मिट जाती है।
3) डायरिया मेंअगर आप डायरिया की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको चांगेरी का घरेलू नुस्खा आजमाना चाहिए। यह छोटे-छोटे पत्ते पेचिश से भी राहत दिलाने में बहुत लाभकारी है। 2-5 मिली चांगेरी रस को दिन में दो बार पीने से दस्त और अतिसार में लाभ होता है।
4) पाचन शक्ति बनती है मजबूत अगर आपको कम भूख लगती है, तो इसका मतलब है कि आपकी पाचन शक्ति कमजोर है। इस मामले में आपको चांगेरी के 8-10 पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पाचन शक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक होकर भूख बढ़ जाती है।
5) पेट दर्द और आंतरिक जलन में40 से 60 ग्राम चांगेरी के पत्तों के काढ़े में भुनी हुई हींग और मुरब्बा मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। 5 से 7 पत्तों को ठण्डाई की तरह घोटकर उसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से आंतरिक जलन मिट जाती है।
6) हैजा मेंहैजा संक्रामक रोग होता है और इस बीमारी से शरीर में जल की मात्रा कम होने का खतरा होता है। चांगेरी का इस तरह से सेवन करने पर दस्त का होना रूक जाता है। 5-10 मिली चांगेरी रस में 500 मिग्रा काली मिर्च चूर्ण मिलाकर खिलाने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।
7) बवासीर में जो लोग ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन खाना पसंद करते हैं उनको कब्ज और बवासीर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। चांगेरी तथा चित्रक के पत्तों के शाक को घी या तेल में भूनकर दही मिलाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।