COVID treatment: ठीक होने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ते कोरोना के लक्षण, संतुष्टि के लिए जरूर कराएं ये 5 टेस्ट
By उस्मान | Published: May 3, 2021 08:54 AM2021-05-03T08:54:59+5:302021-05-03T08:54:59+5:30
कोरोना वायरस से ठीक हुए लोग जरूर कराएं ये टेस्ट
कोरोना का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। दूसरी लहर में और ज्यादा खतरनाक बनकर फैल रहे वायरस से मृतकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इन सब में बस एक चीज राहत देने वाली है और वो यह है कि संक्रमित लोग बिना अस्पताल जाए भी ठीक हो रहे हैं। अगर आप भी कोरोना की चपेट में आकर ठीक हो गए हैं, तो आपको एक बार सही अपना चेक-अप करा लेना चाहिए।
कोरोना से ठीक होने के बाद चेक-कप क्यों
प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़ाई करती है। वायरस इसे कमजोर और सुस्त बना सकता है। ठीक होने के बाद भी कुछ लक्षण रहते हैं जो कई महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में बाधा डाल सकते हैं।
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि ब्लड टेस्ट से यह पता चल सकता है कि वायरस से आपका शरीर किस हद तक प्रभावित होता है। वायरस फेफड़ों सहित महत्वपूर्ण अंगों को गहराई से प्रभावित कर सकता है इसलिए चेक-अप कराने से पता चल सकता है कि आप कितने स्वस्थ हैं।
ठीक होने के बाद कराएं ये टेस्ट
आईजीजी एंटीबॉडी परीक्षण
संक्रमण से लड़ने के बाद, शरीर सहायक एंटीबॉडी का उत्पादन करता है जो भविष्य में संक्रमण को रोकता है। एंटीबॉडी लेवल निर्धारित करने से आप बेहतर तरीके से यह अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि आप किस तरह से इम्यून प्रोटेक्टेड हैं और यह भी कि आप प्लाज्मा दान के योग्य हैं।
आमतौर पर एंटीबॉडीज विकसित करने के लिए शरीर को एक या दो सप्ताह लग सकते हैं। यदि आप प्लाज्मा दान कर रहे हैं, तो ठीक होने के एक महीने के भीतर परीक्षण करवा लें।
कम्प्लीट ब्लड काउंट
सीबीसी परीक्षण एक मौलिक परीक्षण है जो विभिन्न प्रकार के रक्त कोशिकाओं (आरबीसी, डब्ल्यूबीसी, प्लेटलेट्स आदि) को मापता है। इससे आपको अत चल सकता है कि आपके शरीर ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ कैसे काम किया है।
ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल टेस्ट
चूंकि वायरस सूजन और थक्के पैदा करने के लिए अतिसंवेदनशील है, इसलिए कुछ लोगों में ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर लेवल में उतार-चढ़ाव देखा गया है। आपको टेस्ट कराने से आगे के लिए डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने और अधिक सावधान रहने में मदद मिल सकती है। हालांकि यह ऐसे टेस्ट हैं जिन्हें बार-बार कराने की जरूरत हो सकती है।
न्यूरो-फ़ंक्शन टेस्ट
कई मरीज़ ठीक होने के हफ्तों और महीनों के बाद न्यूरोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक लक्षण महसूस कर रहे हैं। मरीजों को ब्रेन फोग, चिंता, कंपकंपी, चक्कर आना, थकान जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है। 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में जोखिम की संभावना अधिक होती है और उन्हें यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
विटामिन डी टेस्ट
विटामिन डी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो प्रतिरक्षा समारोह का समर्थन करता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि रिकवरी के दौरान विटामिन डी सप्लीमेंट महत्वपूर्ण हो सकता है और रिकवरी को गति देने में भी मदद कर सकता है। इसलिए, विटामिन-डी परीक्षण की तरह एक आवश्यक परीक्षण लेने से आपको उचित विचार मिलेगा और यदि आवश्यक हो तो किसी भी कमी से निपटने में मदद मिलेगी।