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वैज्ञानिकों ने लगाया पता, शरीर में घुसने पर क्या-क्या करता है कोरोना, कैसे हो जाती है मरीज की मौत

By भाषा | Updated: May 13, 2020 16:58 IST

कोरोना वायरस श्वास मार्ग को संक्रमित करता हुआ फेफड़ों को कैसे डैमेज करता है

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कोरोना वायरस संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी के लक्षण, उसके निदान और शरीर पर उसके असर करने के तरीके का पता लगाने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड- 19 के कारण लोगों की मौत मुख्य रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता के अत्यधिक सक्रिय हो जाने की वजह से होती है।

कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस खतरनाक वायरस से दुनियाभर में अब तक 4,357,565 लोग आ चुके हैं और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस महामारी ने करीब 293,216 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। अगर बात करें भारत की तो यहां अब तक 74,925 लोग इस महामारी की चपेट में आ गए हैं और 2,436 लोगों की मौत हो गई है जबकि 24,887 लोग ठीक हुए हैं।

साइटोकाइन स्टॉर्म का कारण बनता है कोरोना

पत्रिका ‘फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने चरणबद्ध तरीके से यह बात बताई है कि यह वायरस कैसे श्वास मार्ग को संक्रमित करता है, कोशिकाओं के भीतर कई गुणा बढ़ जाता है और गंभीर मामलों में प्रतिरोधी क्षमता को अतिसक्रिय कर देता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘साइटोकाइन स्टॉर्म’ कहा जाता है।

‘साइटोकाइन स्टॉर्म’ श्वेत रक्त कोशिकाओं की अतिसक्रियता की स्थिति है। इस स्थिति में बड़ी मात्रा में साइटोकाइन रक्त में पैदा होते हैं। इस अध्ययन के लेखक एवं चीन की ‘जुन्यी मेडिकल यूनीवर्सिटी’ में प्रोफेसर दाइशुन लियू ने कहा, ‘‘सार्स और मर्स जैसे संक्रमण के बाद भी ऐसा ही होता है। आंकड़े दर्शाते हैं कि कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को ‘साइटोकाइन स्टॉर्म सिंड्रोम’ हो सकता है।’’

फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है कोरोना

लियू ने कहा, ‘‘बेहद तेजी से विकसित साइटोकाइन अत्यधिक मात्रा में लिम्फोसाइट और न्यूट्रोफिल जैसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को आकर्षित करते हैं, जिसके कारण ये कोशिकाएं फेफड़ों के ऊतकों में प्रवेश कर जाती है और इनसे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है।’’

शरीर में जमने लगता है खून

अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि ‘साइटोकाइन स्टॉर्म’ से तेज बुखार और शरीर में खून जमना जैसी स्थिति पैदा हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि श्वेत रक्त कोशिकाएं स्वस्थ ऊतकों पर भी हमला करने लगती हैं और फेफड़ों, हृदय, यकृत, आंतों, गुर्दा और जननांग पर प्रतिकूल असर डालती हैं जिनसे वे काम करना बंद कर देते हैं।

फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं

उन्होंने कहा कि कई अंगों के काम करना बंद कर देने के कारण फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं। इस स्थिति को ‘एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम’ कहते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस से अधिकतर मौत का कारण श्वसन प्रणाली संबंधी दिक्कत है।  

देश में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,415 हो गई है और संक्रमण के 3,525 नए मामले सामने के साथ ही संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 74,281 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि संक्रमित हुए 24,385 मरीज ठीक हो गए हैं और एक रोगी देश से बाहर जा चुका है। कोविड-19 से संक्रमित 47,480 मरीजों का इलाज चल रहा है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘अभी तक करीब 32.83 प्रतिशत मरीज ठीक हो चुके हैं।’’ कुल मामलों में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया कि मंगलवार शाम से कुल 122 मरीजों की जान गई है। इनमें से महाराष्ट्र में 53, गुजरात में 24, दिल्ली में 13, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल में आठ-आठ, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में चार-चार, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश में दो-दो और आंध्र प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।

देश में कोविड-19 से हुई 2,415 लोगों की मौतों में से सबसे ज्यादा 921 लोगों की जान महाराष्ट्र में गई है। इसके बाद गुजरात में 537, मध्य प्रदेश में 225, पश्चिम बंगाल में 198, राजस्थान में 117, दिल्ली में 86, उत्तर प्रदेश में 82, तमिलनाडु में 61 और आंध्र प्रदेश में 46 मरीजों ने दम तोड़ा है।

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