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क्या तेज धूप मिटा देगी कोरोना वायरस का नामोनिशान ?, वैज्ञानिकों ने इस पर रोंगटे खड़े करने वाली बात कही

By भाषा | Updated: June 11, 2020 09:00 IST

अभी तक दावा किया जा रहा था कि कोरोना पर तापमान का असर पड़ता है, लेकिन अब बाजी पलटती दिख रही है

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ठळक मुद्देगर्मी और उमस से कोविड-19 का संक्रमण फैलने की रफ्तार कम होने की बात कही जा रही थीलंबे समय तक धूप खिली होने से महामारी के मामले बढ़ने की बात देखी गयीज्यादा देर सूरज निकलने में मामले अधिक होते देखे गए

कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है और इस खतरनाक वायरस की चपेट में अब तक 418,919 लोगों की मौत हो गई है और कुल संक्रमितों की संख्या 7,452,809 के ज्यादा हो गई है। यह आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है. भारत में इस महामारी से 287,155 लोग प्रभावित हुए हैं और मरने वालों की संख्या 8,107 हो गई है। 

इस वायरस को समझना वैज्ञानिकों के लिए टेढ़ी खीर बन गया है. आज छह महीने बाद भी इसके बारे में हैरान करने वाले शोध सामने आ रहे हैं। जब तक एक्सपर्ट कुछ समझ पाते हैं, तब एक नया शोध उन्हें हैरानी में डाल देता है। 

अभी तक ऐसा माना जा रहा था कि कोरोना वायरस का प्रसार गर्मी में कम हो सकता है और इस बारे में कई शोध में बताया गया लेकिन अब जो रिसर्च सामने आई है, उसने सबके होश उड़ा दिए हैं।

एक तरफ अधिक गर्मी और उमस से कोविड-19 का संक्रमण फैलने की रफ्तार कम होने की बात कही जा रही है, वहीं एक अध्ययन में इस ओर इशारा किया गया है कि लंबे समय तक धूप खिली होने से महामारी के मामले बढ़ने की बात देखी गयी। पत्रिका ‘जियोग्राफिकल एनालिसिस’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार धूप निकलने से लोग बड़ी संख्या में बाहर निकलने लगते हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 

कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुए अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने इस बारे में व्यापक वैज्ञानिक बहस को लेकर जानकारी दी है कि मौसम में बदलाव से खासकर गर्मी के मौसम से कोविड-19 के फैलने की रफ्तार पर क्या असर पड़ता है। 

कोरोना वायरस पर मौसम का असर अनुसंधानकर्ता बताते हैं कि इन्फ्लुएंजा और सार्स जैसे विषाणुजनित रोग कम तापमान और आर्द्रता में पनपते हैं, वहीं कोविड-19 फैलाने वाले वायरस सार्स-सीओवी-2 को लेकर इस बारे में कम ही जानकारी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने का बहुत दबाव है और कई लोग जानना चाहते हैं कि क्या गर्मियों के महीनों में यह सुरक्षित होगा। 

मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता अंतोनियो पायेज ने कहा, ‘‘आंशिक रूप से आवाजाही पर पाबंदियों पर निर्भर करता है कि मौसम में बदलाव से सार्स-सीओवी-2 पर क्या प्रभाव पड़ेगा। दुनियाभर में अब पाबंदियों में ढील देना शुरू कर दिया गया है।’’ 

पायेज और उनके सहयोगियों ने स्पेन के अनेक प्रांतों में कोविड-19 फैलने में जलवायु संबंधी कारकों की भूमिका की पड़ताल की। उन्होंने आपातकालीन स्थिति की घोषणा से ठीक पहले 30 दिन की अवधि में संक्रमण के मामलों की संख्या और मौसम संबंधी जानकारी संकलित की और उसका विश्लेषण किया। 

जितनी ज्यादा धूप, उतने ज्यादा मामलेअनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि अधिक गर्मी और आर्द्रता में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी होने पर कोविड-19 के मामलों में तीन प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी, जिसकी वजह संभवत: अधिक तापमान की वजह से वायरस की क्षमता कम होना है। 

उन्होंने कहा कि अधिक धूप की स्थिति में उलटी ही बात देखने में आई। ज्यादा देर सूरज निकलने में मामले अधिक होते देखे गए। अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि इसकी वजह मानवीय व्यवहार से जुड़ी हो सकती है कि धूप खिली होने से लोगों के लॉकडाउन के नियमों को तोड़ते हुए बाहर निकलना हो सकता है।  

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