Coronavirus airborne: 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों का दावा, हवा से फैल रहा है कोरोना वायरस, WHO से दिशा-निर्देश बदलने की मांग
By उस्मान | Published: July 6, 2020 10:43 AM2020-07-06T10:43:49+5:302020-07-06T10:43:49+5:30
Coronavirus airborne: कोरोना वायरस अभी तक संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आने से फैल रहा था लेकिन वैज्ञानिकों के इस दावे ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है
कोरोना वायरस का प्रसार थमने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से निकले खतरानक कोविड-19 वायरस से दुनियाभर में अब तक 11,562,878 लोग संक्रमित हो गए हैं और 536,841 की मौत हो चुकी है। सिर्फ भारत में इस महामारी से 697,836 लोग संक्रमित हुए हैं और 19,700 की मौत हो गई है।
अभी तक यह बताया जा रहा था कि कोरोना वायरस का संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही फैलता है लेकिन अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस हवा के जरिये भी फैल रहा है।
32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को एक खुले पत्र में इस बात के सबूतों को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा है कि संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या जोर से बोलने के दौरान निकले छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
उन्होंने डब्ल्यूएचओ से इस दावे पर गौर करने और महामारी के लिए जारी दिशा-निर्देशों को संशोधित करने के का आग्रह किया है। शोधकर्ताओं ने अगले सप्ताह एक वैज्ञानिक पत्रिका में अपने पत्र को प्रकाशित करने की योजना बनाई है।
डब्ल्यूएचओ को लिखा ओपन लेटर
'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे खुले पत्र में कहा है कि प्रमाण दर्शाते हैं कि हवा में मौजूद छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
सांस लेने भर से लग जाता है संक्रमण
वैज्ञानिकों का कहना है कि छींकने, खांसने या जोर से बोलने पर संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकली छोटी सूक्ष्म बूंदें कार्यालयों, घरों, शॉपिंग मॉलों और अस्पतालों आदि में हवा में काफी देर तक रह जाती हैं जिससे इनके संपर्क में आने वाले लोग संक्रमित हो सकते हैं।
घर के अंदर भी लगाना पड़ सकता है मास्क
उन्होंने कहा है कि अगर वाकई कोरोना वायरस का प्रसार हवा के जरिये हो रहा है, तो खराब वेंटिलेशन और भीड़ वाले स्थानों में इसकी रोकथाम के लिए बड़े कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा है कि इससे बचने के लिए घर के अंदर भी सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना जरूरी हो जाएगा।
डॉक्टरों को लगाना होगा एन-95 मास्क
वैज्ञानिकों ने कहा मेडिकल स्टाफ को एन-95 मास्क की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह के मास्क कोरोना वायरस रोगियों के बोलने, खांसने और छींकने से निकलने वाली छोटी से छोटी श्वसन बूंदों को भी छान लेते हैं।
सभी जगहों पर वेंटिलेशन सिस्टम करना होगा मजबूत
उन्होंने सुझाव दिया है कि स्कूलों, नर्सिंग होम, घरों और व्यवसायों में वेंटिलेशन सिस्टम जगहों पर प्रसार को कम करने के लिए शक्तिशाली नए फिल्टर लगाने की आवश्यकता हो सकती है। छोटी बूंदों में घर के अंदर तैरने वाले वायरल कणों को मारने के लिए पराबैंगनी रोशनी की आवश्यकता हो सकती है।
डबल्यूएचओ का क्या कहना है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का लंबे समय से यह मानना है कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से बड़ी श्वसन बूंदों द्वारा फैलता है। संक्रमित के खांसने, छींकने या जोर से बोलने के दौरान निकलने वाली बड़ी बूंदें जल्दी से फर्श पर गिर जाते हैं।
यहां तक कि कोरोना वायरस पर 29 जून को जारी अपने नए अपडेट में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वायरस का हवा में प्रसार केवल चिकित्सा प्रक्रियाओं के बाद ही संभव है, जो एरोसोल का उत्पादन करते हैं, या 5 माइक्रोन से छोटी बूंदें हैं। (एक माइक्रोन एक मीटर के दस लाखवें हिस्से के बराबर होता है।)
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, उचित वेंटिलेशन और एन-95 मास्क केवल ऐसी परिस्थितियों से बचा सकते हैं। इस महामारी से प्राथमिक रोकथाम की रणनीति के रूप में हाथों को साबुन और पानी से धोना के महत्व को काफी बढ़ावा दिया है।