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कैसे पता चले कि शिशु को कब्ज है? इन आसान उपायों से करें इलाज

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: September 8, 2018 09:30 IST

बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए सबसे जरूरी है उसे ठोस आहार में, अधिक से अधिक रेशेदार खाद्य पदार्थ खाने के लिए दें ताकि आंत में मल कड़ा न हो।

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बच्चों में कब्ज की समस्या एक आम बात है। स्तनपान करने वाले शिशु की तुलना में बोतल से दूध पीने वाले बच्चे को अकसर कब्ज हो जाती है। कैसे पता चले कि शिशु को कब्ज है? बच्चा दिन में कितनी बार मल त्याग करता है, इसकी कोई समय-सारणी नहीं होती।

उसका मल किसी दिन ठोस व किसी दिन पतला हो सकता है। स्तनपान करने वाला बच्चा हो सकता है सप्ताह में केवल एक या दो बार ही मल त्याग करे और ऐसा भी हो सकता है कि बोतल से दूध पीने वाला बच्चा दिन में तीन या चार बार मल त्याग करे। मल त्याग के समय बच्चा अगर मुंह बनाए, मुंह से आवाजें निकाले, उस समय रोये और दर्द के कारण चिड़चिड़ा हो, सूखी कठोर पॉटी बाहर निकालने में उसे मुश्किल आए, पेट कड़ा हो तो समझना चाहिए कि बच्चे को कब्ज की शिकायत है।

क्या करें

बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए सबसे जरूरी है उसे ठोस आहार में, अधिक से अधिक रेशेदार खाद्य पदार्थ खाने के लिए दें ताकि आंत में मल कड़ा न हो। उसे पीने के लिए अगर पर्याप्त पानी दिया जाए तो उसे कब्ज नहीं होगी। जहां तक हो सके उसे घर में बना खाना खाने के लिए दें। उसे रेशेदार भोज्य पदार्थों में गेहूं से बना दलिया और सूजी का बना हलुआ या खीर दी जानी चाहिए। उसे प्रतिदिन साबुत दालें, फल और सब्जी खिलाएं। अधिक रेशेदार फल जैसे- सेब, केला, अमरूद, संतरा, नाशपाती खाने के लिए दें। फ्रूट जूस की बजाय फ्रूट को छीलकर दें।

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ये खिलाएं

पपीता, कब्ज दूर करता है। यह हर आयुवर्ग के लिए कब्ज में फायदेमंद होता है। उसे प्रतिदिन सुबह के समय पपीता खिलाएं इसके अलावा उसकी रोटी और दाल में हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे पालक, चैलाई और बथुआ डालें। साथ ही बींस, ब्रोकली, मटर, शलगम, गाजर और आलू को छिलके समेत खिलाएं। इससे उसे जीवन में कभी कब्ज की समस्या नहीं होगी। बच्चा अगर दिन के समय पर्याप्त पानी नहीं पीता तो उसे पानी के स्थान पर लस्सी, मिल्क जैसे पेय पदार्थ पीने के लिए दें।

- नीलम

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