सनस्क्रीन के बारे में कहा जाता है कि यह हर मौसम में त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों से बचाता है। लेकिन हर फायदेमंद चीज की तरह इसके भी कुछ नुकसान हैं। यही वजह है कि इस तरह की किसी भी चीज का इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लेना जरूरी है। सनस्क्रीन के अनावश्यक इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव का एक खतरनाक मामला सामने आया है।
जरूरत से ज्यादा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से चीन में एक 20 साल की एक लड़की की हड्डियां इतनी कमजोर हो गईं कि उसकी 10 पसलियां चलते-चलते चटक गईं। खांसी होने पर जब उसे दर्द हुआ तो वो डॉक्टर के पास गई। वहां जांच में पता चला कि उसे विटामिन डी की कमी हो गई थी, साथ ही उसके खून में कैल्शियम और फास्फोरस का लेवल बहुत कम हो गया था। यह सभी तत्व हड्डियों को ताकत देते हैं।
बताया जा रहा है कि पीड़िता अधिकतर समय घर के अंदर ही रहती थी। लेकिन घर से बाहर निकलने से पहले पूरी बॉडी पर सनस्क्रीन लगाया करती थी और ऐसा वो कई सालों से कर रही थी।
डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने कहा है कि हद से ज्यादा सनस्क्रीन लगाते रहने से उसे काफी दिनों से धूप नहीं मिल रही थी जिस वजह से उसकी हड्डियों में कैल्शियम की कमी होने लगी और वो कमजोर होती रहीं।
सनस्क्रीन लगाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- ऑयली स्किन वाले लोग जेल या स्प्रे सनस्क्रीन लगाएं और अगर आपकी त्वचा रूखी है तो लोशन या क्रीम के रूप में सनस्क्रीन लगाएं।- ऐसा सनस्क्रीन लगाएं जो आपको नैचुरल लुक दे और साथ ही आपके चेहरे को चिपचिपा और पसीने से तर दिखने से रोके। - यूवीए और यूवीबी से सुरक्षा प्रदान करने वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, क्योंकि यूवीए किरणों के कारण झुर्रियां पड़ जाती है और चेहरा का रंग काला पड़ने लगता है- यूवीबी से सुरक्षा के लिए 'एसपीएफ' युक्त और यूवीए से सुरक्षा के लिए 'पीए' युक्त सनस्क्रीन खरीदें। - तेज धूप में निकलने से पहले एसपीएफ-30 और पीए++ या इससे ज्यादा एसपीएफ और पीए वाला सनस्क्रीन लगाएं। - सनब्लॉक क्रीम को धूप में निकलने से कम से कम आधे घंटे पहले लगाएं।
विटामिन डी क्यों जरूरी है?
डॉक्टरों को कहना है कि हड्डियों की मजबूती और बेहतर कामकाज के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। कैल्शियम की कमी से बचने के लिए हफ्ते में तीन दिन बीस मिनट के लिए धूप में रहना जरूरी है। विटामिन डी कमी के कारण फ्रैक्चर और हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
विटामिन डी की कमी से आपके शरीर में कई परिवर्तन आ सकते हैं जिसमें मुख्यतः मूड का बदलना, पाचन तंत्र खराब होना, लगातार वजन बढ़ना, हड्डियों में दर्द रहना और यौन स्वास्थ्य प्रभावित होना शामिल है। गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी कमी का असर असर उनके नवजात शिशुओं में भी देखा जाता है। वयस्कों में, विटामिन डी की कमी लो बोन मास और मांसपेशियों की कमजोरी से जुड़ी होती है।
विटामिन-डी के स्रोत
विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए आपको धूप लेनी चाहिए। इसके अलावा अपनी डाइट में सैल्मन मछली, मशरूम, ट्यूना मछली, मांस, अंडे, सलामी, दूध, संतरे का जूस, सोयाबीन, श्रिम्प (सी-फूड) और वैनिला योगर्ट जैसी चीजों को जरूर शामिल करें।
आपको अपनी डाइट में सॉल्मन और टुना फिश शामिल करनी चाहिए। अगर आपको मछली खाना पसंद नहीं है तो आप अंडे भी खा सकते हैं। डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध से भी विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है। कॉड लिवर में भी विटामिन डी भरपूर मात्रा होता है।
विटामिन-डी की कमी से होने वाली बीमारियां
शरीर में यदि विटामिन-डी का कमी हो जाए तो बॉडी जल्दी जल्दी बीमारियों की चपेट में आती है। ज़रा सा मौसम बदलते ही बीमार हो जाते हैं। हर समय थकान, कमजोरी महसूस होती है। बॉडी में कई जगह दर्द रहने लगता है, खासतौर से पीठ का दर्द। तनाव, डिप्रेशन, बालों का झड़ना भी विटामिन-डी की कमी से होता है।