Encephalitis से बिहार में अब तक 185 लोगों की मौत, पढ़ें 'चमकी बुखार' से जुड़े 8 जरूरी सवाल और उनके जवाब

By उस्मान | Published: June 26, 2019 12:45 PM2019-06-26T12:45:17+5:302019-06-26T12:45:17+5:30

चमकी बुखार को लेकर सोशल मीडिया पर लोग विभिन्न तरह के सवाल कर रहे हैं। हम आपको दस ऐसे मुख्य सवालों के जवाब दे रहे हैं जिनका जवाब आपको जरूर पता होना चाहिए। इससे आपको इस जानलेवा बीमारी से बचने में मदद मिल सकती है।   

Bihar Encephalitis death update: chami fever death updates, all most 150 children has died due to Encephalitis | Encephalitis से बिहार में अब तक 185 लोगों की मौत, पढ़ें 'चमकी बुखार' से जुड़े 8 जरूरी सवाल और उनके जवाब

Encephalitis से बिहार में अब तक 185 लोगों की मौत, पढ़ें 'चमकी बुखार' से जुड़े 8 जरूरी सवाल और उनके जवाब

बिहार में चमकी बुखार से बच्चों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से 132 बच्चों सहित 185 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों बच्चे अब भी जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। इस जानलेवा संक्रमण से सिर्फ बिहार ही पीड़ित नहीं है बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सहित देश के 18 से ज्यादा राज्य भी चपेट में हैं। 

चमकी बुखार को लेकर सोशल मीडिया पर लोग विभिन्न तरह के सवाल कर रहे हैं। हम आपको दस ऐसे मुख्य सवालों के जवाब दे रहे हैं जिनका जवाब आपको जरूर पता होना चाहिए। इससे आपको इस जानलेवा बीमारी से बचने में मदद मिल सकती है।   

1) चमकी बुखार क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?

इंसेफेलाइटिस को 'चमकी' बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह दिमाग की सूजन है जिससे मरीज को तेज बुखार चढ़ता है और दिमाग का कामकाज प्रभावित होता है। एईएस के लक्षण फ्लू जैसे ही हैं जिसमें तेज बुखार के साथ सिरदर्द, थकान, मतली, सुस्ती, उल्टी और मांसपेशियों में ऐंठन होना शामिल हैं। भारत में एईएस का सबसे बड़ा कारण जापानी बुखार या जापानी  इंसेफेलाइटिस वायरस है। इसके अलावा बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, कैमिकल्स, टॉक्सिन और स्पाइरोकेटस आदि भी इस बीमारी का कारण हैं।

2) क्या चमकी बुखार का कोई इलाज है?

इंसेफेलाइटिस या एईएस का कोई पक्का इलाज अभी नहीं है लेकिन पीड़ित बच्चों को आईसीयू के एक अस्पताल में देखभाल की जरूरत है। डॉक्टर मस्तिष्क की आगे की सूजन को रोकने के लिए उनके रक्तचाप, हृदय गति, श्वास और शरीर के तरल पदार्थ को देखते हैं। रोगी को एंटीवायरल ड्रग्स देकर इंसेफेलाइटिस के कुछ रूप का भी इलाज कर सकते हैं। मस्तिष्क में सूजन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड भी दिया जाता है। दौरे पड़ने वाले बच्चे को एंटीकॉनवल्सेंट दिया जा सकता है।

3) चमकी बुखार का इलाज कब तक खोजा जाएगा?

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार का कोई इलाज नहीं है। यह दुर्भाग्य है कि तमाम कोशिशों और रिसर्च के बाद भी ऐसी कोई दवाई नहीं बनाई जा सकी जिससे पीड़ित रोगियों का इलाज हो सके। यहां तक कि अभी तक इस बीमारी के पीछे के वायरस की भी पहचान नहीं हो सकी है। डॉक्टर मानते हैं कि जब तक इस वायरस का आइडेंटिफाइड नहीं होता, तब तक वैक्सीन नहीं बनाई जा सकती है। डॉक्टरों की टीम इस पर रिसर्च कर रही है। रिसर्च में है कि अभी तक वायरस आइडेंटिफाइ नहीं हुआ है।  

4) चमकी का क्या मतलब है?

ऐसा माना जाता है कि इस रोग को होने से बच्चे का शरीर बुखार की वजह से बिल्कुल तपने लगता है। जिसके कारण शरीर में कपंन के साथ-साथ झटके लगते रहते है। शरीर में बार-बार झटकों के कारण इसे 'चमकी' के नाम से बुलाया जाने लगा। मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं, जिसकी वजह से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। लेकिन जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है तो उस स्थिति को एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहा जाता है। जिसे इंसेफ्लाइटिस मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर प्रॉब्लम भी माना जाता है।

5) लीची और चमकी बुखार के बीच क्या संबंध है?

ऐसा माना जाता है कि इस फल को खाने से बच्चों, खासकर ऐसे बच्चों को जिन्हें पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है को चयापचय संबंधी बीमारी हाइपोग्लाइसेमिक एन्सेफैलोपैथी का अधिक खतरा होता है। इसका कारण यह है कि लीची में एक कैमिकल पाया जाता है जिसे मिथाइलीन साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG) के नाम से जाना जाता है। यह इतना खतरनाक कैमिकल होता है जो बॉडी का ब्लड शुगर लेवल कम होने पर सीधे रूप से दिमाग के कामकाज को प्रभावित करता है।

6) बिहार में हालात इतने खराब क्यों हो गए?

बता दें कि बीमारी के सही कारणों का तो अबतक पता नहीं चल सका है लेकिन जानकारों का कहना है कि इसका मुख्य कारण कुपोषण और तापमान व वातावरण में अधिक नमी है। आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं कि जिस वर्ष 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान लंबे समय तक रहा, उस साल मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। इसके अलावा  कुपोषित बच्चों के शरीर में रिजर्व ग्लाइकोजिन की मात्रा भी बहुत कम होती है इसलिए लीची खाने से उसके बीज में मौजूद मिथाइल प्रोपाइड ग्लाइसीन नामक न्यूरो टॉक्सिन्स जब बच्चों के भीतर ऐक्टिव होते हैं तो उनके शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है

7) चमकी बुखार सिर्फ बच्चों को ही क्यों होता है?

कुपोषित बच्चों के लीची में मौजूद MCPG जैसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ता है। यह इतना अधिक है कि शुगर लेवल 30 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक गिर जाता है और कभी-कभी शून्य भी हो जाता है। इससे जटिलताएं पैदा होती हैं। इससे सिर्फ कुपोषित बच्चों को ही खतरा है, इस तर्क से भी साबित होता है कि सभी मरने और बीमार होने वाले बच्चे कमजोर और गरीब वर्ग के हैं। लीची खाने वाला वो बच्चा, जो एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता हो और पर्याप्त भोजन प्राप्त करता हो, वो AES से पीड़ित नहीं होता है।

8) चमकी बुखार से कैसे बचाव किया जा सकता है?

चमकी बुखार के लक्षणों में लगातार कुछ दिनों तक तेज बुखार आना, शरीर में कभी ना ख़त्म होने वाली कमजोरी, शरीर में एंठन होना, सुस्ती, सिरदर्द, उल्टी,  कब्ज, बेहोशी, कोमा और लकवा आदि शामिल हैं। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा बेहतर खानपान, खूब पानी पीना, शरीर को ठंडा रखना आदि से इस बीमारी से बचा जा सकता है। 

English summary :
In Bihar, the chamki fever Latest Update: In the state, more than 150 people, including 132 children from Acute Encephalitis Syndrome (AES), have died and hundreds of children are still fighting for life and death. Bihar is not only suffering from this deadly infection, but more than 18 states of Jharkhand, Uttar Pradesh, Punjab and Haryana are also in the grip of the country.


Web Title: Bihar Encephalitis death update: chami fever death updates, all most 150 children has died due to Encephalitis

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