क्या है यह ECMO, IABP जिस पर हैं अरुण जेटली, इस पर कितने दिन रहता है मरीज, फिर क्या होता है?
By उस्मान | Published: August 19, 2019 03:55 PM2019-08-19T15:55:45+5:302019-08-19T15:55:45+5:30
Arun Jaitley health update: एम्स में एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (Extracorporeal Membrane Oxygenation (ECMO) डिवाइस और इंट्रा-एओर्टिक बैलून पंप (Intra-Aortic Balloon Pump (IABP) सपॉर्ट पर रखा गया है, ताकि वह सांस ले सकें।
पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली सांस लेने में परेशानी के चलते 9 अगस्त से दिल्ली एम्स में भर्ती हैं। एम्स में एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (Extracorporeal Membrane Oxygenation (ECMO) डिवाइस और इंट्रा-एओर्टिक बैलून पंप (Intra-Aortic Balloon Pump (IABP) सपॉर्ट पर रखा गया है, ताकि वह सांस ले सकें।
उन्हें एम्स में एडमिट हुए आज दस दिन हो गए हैं और उनकी हालत अभी भी काफी गंभीर बताई जा रही है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम पार्टियों के बड़े नेता उनका हालचाल लेने एम्स पहुंच रहे हैं।
10 अगस्त से अभी तक एम्स की ओर से उनकी सेहत को लेकर कोई बुलेटिन जारी नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों की एक बड़ी टीम लगातार उनकी निगरानी में लगी हुई है। इस बीच जेटली की सलामती के लिए दुआओं का दौर जारी है। चलिए जानते हैं कि जेटली जिस लाइफ सपोर्ट पर रखा गया है उसका क्या काम है और उन्हें कितने और दिन इस पर रखा जा सकता है।
ECMO क्या है?
ईसीएमओ एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम है, जो शरीर को उस समय ऑक्सीजन सप्लाई करने में मदद करता है, जब मरीज़ के फेफड़े या दिल यह काम नहीं कर पा रहे हों। इस मशीन के प्रयोग के लिए शरीर की एक नस में से खून को निकालकर उसे ऑक्सीजेनेटर मशीन से जोड़ दिया जाता है, जिससे खून दिल तथा फेफड़ों का बाईपास कर प्रवाहित होता रहता है। यह मशीन न केवल शरीर में रक्त के बहाव को बनाने का काम करती है बल्कि उसे जरूरी ऑक्सीजन भी मुहैया कराती है।
किसी मरीज को ईसीएमओ पर कब तक रखा जाता है?
डॉक्टरों का मानना है कि किसी व्यक्ति को इस उपकरण पर कुछ दिन के लिए भी रखा जा सकता है, और कुछ हफ्ते भी। ईसीएमओ काफी प्रभावी सपोर्ट उपकरण है, जो मरीज़ को रिकवरी का मौका देता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी मरीज को ईसीएमओ के सपोर्ट पर रखे जाने के बाद उसके जीवित रहने की संभावना मात्र 50 फीसदी ही रह जाती है।
वेबएमडी के अनुसार, ईसीएमओ आमतौर पर तब तक जारी रखा जाता है जब तक हृदय या फेफड़ों की समस्या में सुधार नहीं हो जाता है। यह कोर्स लगभग पांच दिनों का होता है, लेकिन कुछ मामलों मरीज को ईसीएमओ पर 25 से 30 दिनों तक रखा जा सकता है।
IABP क्या है?
एक लंबा और पतला गुब्बारा जैसा डिवाइस होता है, जो आपकी सबसे बड़ी रक्त वाहिका 'ऑर्ता' के माध्यम से रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह डिवाइस तब छोटा हो जाता है, जब आपका हृदय पंप करता है ताकि रक्त आपके शरीर के बाकी हिस्सों में प्रवाहित हो सके। तब यह बड़ा हो जाता है जब आपका दिल आपके दिल में अधिक रक्त रखने के लिए आराम करता है।
यदि आपका दिल पर्याप्त रक्त नहीं पा रहा है या आपके शरीर के बाकी हिस्सों में पर्याप्त नहीं भेज रहा है, तो आपका डॉक्टर आईएबीपी की सलाह दे सकता है। इस स्थिति को कार्डियोजेनिक शॉक कहा जाता है। यह दिल का दौरा पड़ने के बाद हो सकता है, जब आपका दिल कमजोर हो, या दिल की कोई दूसरी समस्या हो।