कर्नाटकः पहली बार मैसूर में आयोजित किया गया ओपन बुक टेस्ट, कम तनाव में दिखे छात्र
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 13, 2018 02:18 PM2018-08-13T14:18:16+5:302018-08-13T14:18:16+5:30
रामकृष्णानगर के नरूपाटुंनगा कन्नड स्कूल ने 150 छात्रों के बीच इन दो तरह के टेस्टों का आयोजन किया था। इन दो तरीकों से टेस्ट लेने का कारण इसके पिछे का फायदा और नुकसान को समझना था।
बेंगलुरु, 13 अगस्तः टेस्ट के दौरान किताब से देखकर लिखने का सपना करीब हर बच्चे का रहता है। इसी चोरी को रोकने के तहत कर्नाटक में पहली बार ओपन बुक टेस्ट को आजमाया गया। ये टेस्ट कक्षा 5 से लेकर 10 तक के बच्चों के लिए रखा गया था। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री एन महेश ने स्कूलों को ओपन बुक टेस्ट के बारे सुझाया था। हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि अभी विद्यार्थी ऐसे आधुनिक तरीकों के लिए तैयार नहीं हैं।
मैसूर के एक स्कूल ने पहले क्लोज्ड बुक टेस्ट का आयोजन किया और उसके दूसरे दिन ही ओपन बुक टेस्ट का भी आयोजन किया। बता दें कि दोनों दिन एक ही तरह के विषयों का टेस्ट लिया गया था। ओपन बुक टेस्ट के दौरान विद्यार्थियों को आत्मविश्वास से भरा हुआ पाया गया।
रामकृष्णानगर के नरूपाटुंनगा कन्नड स्कूल ने 150 छात्रों के बीच इन दो तरह के टेस्टों का आयोजन किया था। इन दो तरीकों से टेस्ट लेने का कारण इसके पिछे का फायदा और नुकसान को समझना था। बता दें कि इस स्कूल का संचालन कन्नड विकास शैक्षणिक समाजिक संस्कृती संथे के द्वारा किया जाता है।
स्कूल के सेक्रेटरी एसआर सुदर्शन ने कहा कि दोनों दिन 25 नंबर के टेस्ट का आयोजन किया गया, जिसकी समय सीमा 60 मिनट रखी गई थी। दोनों टेस्ट में एक ही तरह के प्रश्न भी पूछे गए थे। क्लोज्ड बुक टेस्ट के दौरान छात्रों को ज्यादा तनाव में दिख रहे थे, लेकिन जब ओपन बुक टेस्ट हुआ तब विद्यार्थियों को कम तनाव में पाया गया।
ओपन बुक टेस्ट के दौरान 50 फीसदी प्रश्नों के उत्तर किताबों में मैजूद थे, लेकिन बाकि 50 फीसदी प्रश्न के उत्तर किताब में सीधे तरीके से मौजूद नहीं थे। इन प्रश्नों के लिए छात्रों को अतरिक्त जानकारी की जरूरत थी।
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