महाराष्ट्र CM उद्धव ठाकरे ने कहा-कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जुलाई में परीक्षाएं कराना संभव नहीं
By मनाली रस्तोगी | Published: May 31, 2020 10:14 AM2020-05-31T10:14:25+5:302020-05-31T10:14:25+5:30
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिस तरह से महामारी बढ़ रही है, उस लिहाज से यह स्पष्ट हो रहा है कि जुलाई में परीक्षाएं संभव नहीं हैं। हालांकि, विश्वविद्यालयों को परीक्षाओं लेकर ये सुनिश्चित करना चाहिए कि एक भी छात्र कोरोना वायरस से संक्रमित न हो। परीक्षा और परीक्षा की सटीक पद्धति का निर्धारण करके छात्रों और अभिभावकों की चिंताओं को समाप्त किया जाना चाहिए।
मुंबई: कोरोना वायरस के कारण कई राज्यों में फाइनल इयर की होने वाली परीक्षाएं स्थगित हो गई हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में भी विश्वविद्यालयों ने फाइनल परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। इस स्थिति में शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए परीक्षाओं का आयोजन किया जाए, लेकिन इससे कोरोना वायरस का प्रसार बढ़ना नहीं चाहिए।
कोरोना के कारण सब कुछ आगे बढ़ा
सीएमओ के अनुसार, ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट के कारण सब कुछ आगे बढ़ गया है। वित्तीय वर्ष भी आगे बढ़ गया है। इसलिए, विभिन्न प्रस्तावों को तैयार किया जा रहा है कि अगले शैक्षणिक वर्ष को कब शुरू किया जाए। लेकिन अब परीक्षा के बारे में अनिश्चितता को समाप्त करने के मुद्दे को प्राथमिकता के रूप में निपटाया जाएगा। यह स्पष्ट हो रहा है कि जुलाई में परीक्षाएं संभव नहीं हैं।
उन्होंने ये भी कहा कि विश्वविद्यालय परीक्षाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक भी छात्र कोरोना वायरस से संक्रमित न हो। परीक्षा और परीक्षा की सटीक पद्धति का निर्धारण करके छात्रों और अभिभावकों की चिंताओं को समाप्त किया जाना चाहिए। अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि मुंबई, पुणे और औरंगाबाद में कोरोना वायरस के कारण स्थिति लगातार बदल रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान समग्र शिक्षा प्रणाली पर शोध करने का निर्देश दिया।
65 हजार के पार पहुंचे कोरोना पॉजिटिव मामले
ठाकरे ने कहा कि वायरस के फैलने के बाद परीक्षाएं स्थगित होने पर छात्र चिंतित हैं। इसलिए हमें यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि शिक्षण विधियों को कैसे लाया जाए। स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है और शिक्षा को भी आवश्यकता के रूप में देखा जाना चाहिए। महाराष्ट्र में शिक्षा की गुणवत्ता में समानता होनी चाहिए। वहीं विश्वविद्यालयों को यह पता लगाना चाहिए कि विदेशों में इस दौरान किस प्रकार पढ़ाई करवाई जा रही है।
बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित मामलों में लगातार इजाफा होते हुए देखा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में अब तक कुल 65,168 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। इसमें से 28,081 या तो ठीक हो गए हैं या फिर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है। हालांकि, कोरोना वायरस के कारण 2197 लोगों की जान जा चुकी है। यही नहीं, राज्य में 34,890 एक्टिव केस भी मौजूद हैं।