एक बार सीटेट पास: आजीवन गुरुजी बनने की योग्यता रहेगी कायम, जानिए क्या है मामला

By एसके गुप्ता | Published: October 23, 2020 09:43 PM2020-10-23T21:43:10+5:302020-10-23T21:43:10+5:30

नेशनल काउंसिल फोर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने हाल की बैठक में यह निर्णय लिया है कि सीटेट का परिणाम सात साल के स्थान पर आजीवन मान्य रहेगा। एनसीटीई के चेयरमैन डा. विनीत जोशी ने कहा कि सीटेट का परिणाम में सफल उम्मीदवार को अब सात साल बाद दोबारा परीक्षा नहीं देनी होगी।

ctet exam One-time pass ability lifelong teacher remain National Council for Teacher Education | एक बार सीटेट पास: आजीवन गुरुजी बनने की योग्यता रहेगी कायम, जानिए क्या है मामला

स्कूली शिक्षा में भी यूजीसी नेट की तर्ज पर टीईटी का प्रावधान किया गया। जिसकी मान्यता सात साल के लिए है। 

Highlightsपरिणाम आजीवन मान्य रहेगा। नई व्यवस्था आगे आयोजित होने वाली टीईटी परीक्षाओं के लिए लागू होगी।परीक्षार्थी जो पहले टीईटी उत्तीर्ण हैं, उनके मामले में एनसीटीई कानूनी सलाह लेकर फैसला लेगा।सीटेट की तर्ज पर राज्यों में समरूपता लाने और आजीवन टीईटी की मान्यता को लेकर एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

नई दिल्लीः स्कूलों में पीआरटी और टीजीटी शिक्षक भर्ती के लिए सीटेट परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। सीटेट परीक्षा की वैद्यता सात साल तक होती थी।

 

नेशनल काउंसिल फोर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने हाल की बैठक में यह निर्णय लिया है कि सीटेट का परिणाम सात साल के स्थान पर आजीवन मान्य रहेगा। एनसीटीई के चेयरमैन डा. विनीत जोशी ने कहा कि सीटेट का परिणाम में सफल उम्मीदवार को अब सात साल बाद दोबारा परीक्षा नहीं देनी होगी।

यह परिणाम आजीवन मान्य रहेगा। नई व्यवस्था आगे आयोजित होने वाली टीईटी परीक्षाओं के लिए लागू होगी। ऐसे परीक्षार्थी जो पहले टीईटी उत्तीर्ण हैं, उनके मामले में एनसीटीई कानूनी सलाह लेकर फैसला लेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीटेट की तर्ज पर राज्यों में समरूपता लाने और आजीवन टीईटी की मान्यता को लेकर एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची में आता है जो राज्य सरकारों द्वारा संचालित व्यवस्था पर निर्भर है। वर्ष 2010 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद उच्च शिक्षा की भांति स्कूली शिक्षा में भी यूजीसी नेट की तर्ज पर टीईटी का प्रावधान किया गया। जिसकी मान्यता सात साल के लिए है। 

अगर सीटेट उत्तीर्ण करने के बाद कोई व्यक्ति शिक्षक नियुक्त नहीं होता है तो उसे फिर से सीटेट या टीईटी परीक्षा पास करनी होती थी। इसी प्रकार नई नौकरी के लिए आवेदन में भी यह प्रक्रिया आड़े आती थी। करीब डेढ़ लाख सफल अभ्यार्थी ऐसे हैं। जिनके सात साल सितंबर 2020 में पूरे हो गए हैं और उन्हें शिक्षक की नौकरी नहीं मिली है।

सीटेट उत्तीर्ण के साथ राज्यों में टीईटी उत्तीर्ण 5 लाख से ज्यादा शिक्षक हैं, जिनके टीईटी प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा परीक्षार्थी उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल से हैं। उत्तर प्रदेश में यूपीटीईटी शिक्षक पात्रता परीक्षा 5 साल के लिए मान्य होती है।

सीबीएसई सीटेट परीक्षा का आयोजन साल में दो बार करता है। कोरोना के कारण इस साल यह परीक्षा एक बार ही आयोजित की जा रही है। सीटेट पेपर -1 में सफल उम्मीदवार पीआरटी शिक्षक यानि कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक के लिए योग्य माने जाते हैं। पेपर -2 में बैठने वाले सफल अभ्यर्थी कक्षा 6 से 10वीं तक के लिए होने वाली टीजीटी शिक्षक भर्ती के लिए योग्य माने जाते हैं।

Web Title: ctet exam One-time pass ability lifelong teacher remain National Council for Teacher Education

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