नई शिक्षा नीति पर अमल के लिए बिहार और दिल्ली समेत कई राज्यों ने मांगी अतिरिक्त वित्तीय, नवंबर से होगा लागू 

By भाषा | Published: October 6, 2019 01:43 PM2019-10-06T13:43:19+5:302019-10-06T13:43:19+5:30

Bihar and Delhi, sought additional financials to implement the new education policy | नई शिक्षा नीति पर अमल के लिए बिहार और दिल्ली समेत कई राज्यों ने मांगी अतिरिक्त वित्तीय, नवंबर से होगा लागू 

नई शिक्षा नीति पर अमल के लिए बिहार और दिल्ली समेत कई राज्यों ने मांगी अतिरिक्त वित्तीय, नवंबर से होगा लागू 

Highlightsदिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकारी वित्त पोषित स्कूल काफी हद तक नियमन के तहत है राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासारा ने बैठक में आंगनवाड़ी कर्मियों पर आधारित कार्यक्रमों के लिये अतिरिक्त कोष की मांग की ।

नयी शिक्षा नीति को नवंबर तक लागू करने के प्रयास में जुटी केंद्र सरकार को कई राज्यों की अतिरिक्त वित्तीय समर्थन की मांग ने परेशानी में डाल दिया है। बिहार, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों ने शिक्षा पर खर्च संबंधी प्रावधानों पर अमल के लिये अतिरिक्त धन मांगा है।

हालांकि नयी शिक्षा नीति के मसौदे के ज्यादातर प्रावधानों पर अधिकांश राज्यों ने सहमति व्यक्त की है, लेकिन केरल ने इसे निजीकरण एवं व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाला बताते हुए अस्वीकार्य कर दिया है। नीति के मसौदे में शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करने की सिफारिश की गई है । इसी विषय को लेकर केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड :केब: की हाल ही में हुई बैठक में इन राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने केंद्र के समक्ष यह मांग रखी।

इस बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक मौजूद थे। केब की बैठक से जुड़ी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संक्षेप रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के शिक्षा मंत्री के एन प्रसाद वर्मा ने कहा, ‘‘ इस नीति को लागू करने में धन एक महत्वपूर्ण कारक है और मसौदा नीति में इसे लागू करने से संबंधित वित्तीय आयामों के बारे में कुछ खास नहीं बताया गया है ।’’ उन्होंने इसे लागू करने के लिए वित्तीय समर्थन और उपयुक्त वित्तीय योजना की जरूरत बतायी।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकारी वित्त पोषित स्कूल काफी हद तक नियमन के तहत है और इनको जरूरत से कम धन मुहैया हो रहा है । उन्होंने कहा, ‘‘ मसौदा नई शिक्षा नीति में इसका कोई समधान नहीं बताया गया है । ’’ उन्होंने कहा कि जब तक कोई ऐसा कानून नहीं होगा जो सरकार को धन आवंटित करने के लिये बाध्य करे, तब तक इस नीति से भारत में शिक्षा का परिदृश्य नहीं बदलेगा । केब की बैठक में केरल के शिक्षा मंत्री सी रवीन्द्र नाथ ने संघीय ढांचे का विषय उठाया।

उन्होंने इस नीति के गंभीर प्रभावों का जिक्र किया और कहा कि यह केंद्रीयकरण की ओर ले जायेगा । उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में शिक्षा पर खर्च को बढ़ाना देश में शिक्षा के परिदृश्य को बेहतर बनाने का एकमात्र रास्ता है। मसौदा नई शिक्षा नीति, निजीकरण एवं व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाली है और इसलिये यह स्वीकार्य नहीं है । ’’ मध्यप्रदेश, ओडिशा और पंजाब के शिक्षा मंत्रियों ने भी इस उद्देश्य के लिये उपयुक्त बजटीय आवंटन एवं वित्तीय समर्थन की मांग की।

राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासारा ने बैठक में आंगनवाड़ी कर्मियों पर आधारित कार्यक्रमों के लिये अतिरिक्त कोष की मांग की । केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 21 सितंबर को हुई विशेष बैठक में नई शिक्षा नीति के मसौदे पर राज्यों सहित विभिन्न पक्षकारों के बीच गंभीर विचार-विमर्श हुआ था। इस पर अधिकारियों का कहना है कि एक बार नीति लागू होने पर संसाधन जुटाने का रास्ता भी निकाल लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपना निश्चय व्यक्त किया है कि जहां चाह है, वहां राह है। सूत्रों ने बताया, ‘‘ इस संदर्भ में कारपोरेट सामाजिक जवाबदेही :सीएसआर: एक रास्ता हो सकता है ।’’ 

Web Title: Bihar and Delhi, sought additional financials to implement the new education policy

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