श्रद्धा वालकर हत्याकांडः मजिस्ट्रियल कोर्ट ने केस को ट्रायल के लिए सेशन कोर्ट ट्रांसफर किया, दस्तावेजों की जांच हुई पूरी
By अनिल शर्मा | Published: February 21, 2023 11:36 AM2023-02-21T11:36:52+5:302023-02-21T12:13:10+5:30
आफताब पूनावाला ने उच्चतर शिक्षा हासिल करने के लिए अपने शैक्षणिक प्रमाणपत्रों और आरोपपत्र की एक ‘‘उपयुक्त’’ डिजिटल प्रति जारी करने के लिए अदालत में पिछले सोमवार (13 फरवरी ) को एक अर्जी भी दायर की थी।
Shraddha Walkar Murder Case: साकेत जिला न्यायालय परिसर की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को सुनवाई और आगे की कार्यवाही के लिए श्रद्धा वालकर हत्याकांड को सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अविरल शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि दस्तावेजों की जांच अब पूरी हो गई है... क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत अपराध एक सत्र न्यायाधीश द्वारा विचारणीय था।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि तदनुसार आरोपी को 24 फरवरी, 2023 को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। इससे पहले कोर्ट ने हत्याकांड में आफताब अमीन पूनावाला के खिलाफ दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था।
दिल्ली पुलिस ने 24 जनवरी को हत्या के मामले में आफताब के खिलाफ 6629 पृष्ठ की बड़ी चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 201 और अन्य धाराओं के तहत दायर की गई है। दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच के 90 दिनों की समाप्ति से पहले आरोप दायर किया।
जांच के दौरान, दिल्ली पुलिस ने आफताब के खिलाफ आरोपों को स्थापित करने के लिए नार्को विश्लेषण परीक्षण और पॉलीग्राफ परीक्षण किया और डीएनए सबूत एकत्र किए थे। आफताब पूनावाला पर मई 2022 में महरौली इलाके में अपने किराए के आवास में अपने लिव-इन पार्टनर की गला दबाकर हत्या करने का आरोप है। गला घोंटने के बाद, उसने कथित तौर पर शरीर के 35 टुकड़े किए और 18 दिनों तक दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में इसे फेंकता रहा।
गौरतलब है कि आफताब ने उच्चतर शिक्षा हासिल करने के लिए अपने शैक्षणिक प्रमाणपत्रों और आरोपपत्र की एक ‘‘उपयुक्त’’ डिजिटल प्रति जारी करने के लिए अदालत में पिछले सोमवार (13 फरवरी) को एक अर्जी भी दायर की थी। अर्जी में आरोप लगाया कि उसे मामले में फंसाया गया है और अभियोजन ने इरादतन आरोपपत्र की एक ऐसी डिजिटल प्रति मुहैया कराई, ‘‘जो पढ़ी नहीं जा सकती।’’
यहां की एक अदालत ने सात फरवरी को दिल्ली पुलिस के आरोपपत्र का संज्ञान लिया था और मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी के लिए निर्धारित कर दी थी। पूनावाला के वकील एम एस खान द्वारा दायर पहली अर्जी में कहा गया है, ‘‘अर्जी देने वाला या आरोपी उच्चतर शिक्षा हासिल करना चाहता है, इसलिए वह अपने प्रमाणपत्र चाहता है।’’
इसमें यह भी कहा गया है कि पूनावाला को तत्काल कलम, पेंसिल और नोटबुक जैसी ‘स्टेशनरी’ वस्तुओं की जरूरत है। दूसरी अर्जी में यह अनुरोध किया गया है कि आरोपपत्र की ‘सॉफ्ट’ या डिजिटल प्रति ‘‘उपयुक्त’’ रूप में मुहैया कराई जाए।