रांची: नदी से मिला दो माह की बच्ची का शव, मिशनरीज ऑफ चैरिटी के तस्करी रैकेट से जोड़े जा रहे हैं तार
By एस पी सिन्हा | Published: July 12, 2018 08:53 PM2018-07-12T20:53:01+5:302018-07-12T20:53:01+5:30
आंकडों के मुताबिक हर महीने कम से कम 5 बच्चे फेंके जा रहे हैं. जिनमें से अधिकतर की मौत हो जाती है
झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम इलाके में स्वर्णरेखा नदी से एक दो महीने की बच्ची का शव बरामद होने के बाद परित्यक्त शिशुओं पर बहस शुरू हो गई है. इस घटना को मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा बच्चों की बिक्री के मामले से भी जोड़ा जा रहा है. जबकि रांची में मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम के संचालक द्वारा बिनब्याही मां के बच्चों को बेचने का मामला उजागर होने के बाद आश्रयणी फाउंडेशन की आर्य मोनिका ने कहा है कि झारखंड में भी ऐसा गिरोह सक्रिय हो सकता है जो नवजात की हत्या करने में शामिल हो.
पा-लो-ना की संस्थापक आर्य मोनिका ने कहा है कि शिशुओं की तस्करी का मामला शिशु परित्याग और शिशु हत्या से भी जुड़ी है. इसलिए ऐसा हो सकता है कि झारखंड में भी ऐसा गिरोह सक्रिय हो जो नवजात का खरीदार नहीं मिलने पर उनकी (नवजात की) पत्थर से दबाकर बेरहमी से हत्या कर देता है. आर्य मोनिका ने एक आंकड़ा पेश करते हुए नवजात को छोड़े जाने के मामले को गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में महज छह महीने के भीतर 32 परित्यक्त बच्चे मिले हैं. इसमें 21 की मौत हो गई.
नामकुम के मामले को जोड़कर यह मामला 33 हो गया है और मृत शिशुओं की संख्या बढ़कर 22 हो गई है. बताया जाता है कि झारखंड में परित्यक्त नवजात शिशुओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वर्ष 2018 में महज 6 महीने के भीतर 33 परित्यक्त नवजात मिले हैं जिसमें 21 की मौत हो गई. सिर्फ 11 शिशु ही जीवित मिले. जनवरी से जून के बीच जो भाग्यशाली बच्चे जीवित बच गये उसमें 7 बेटियां और तीन बेटे शामिल हैं. एक अज्ञात शिशु के लिंग की जानकारी संस्था को नहीं मिल पाई.
आंकड़ों के मुताबिक हर महीने कम से कम 5 बच्चे फेंके जा रहे हैं. जिनमें से अधिकतर की मौत हो जाती है. वर्ष 2018 के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी में 5 बच्चों को फेंक दिया गया जिसमें 4 की मौत हो गई. फरवरी, मार्च और अप्रैल में भी हर महीने चार-चार परित्यक्त शिशुओं की मृत्यु हुई. जबकि इस दौरान हर महीने दो-दो बच्चे जीवित बचे. मई में 4 शिशुओं को उन्हें जन्म देने वालों ने मरने के लिए छोड़ दिया. जिसमें सिर्फ एक की जान बच सकी. जून में पांच नवजात को उनके माता-पिता ने अज्ञात जगहों पर फेंक दिया. इसमें दो की मौत हो गई और तीन की जान बच गई.
आर्य मोनिका इस बात पर आश्चर्य जाहिर करती हैं कि इतनी बड़ी संख्या में नवजात को फेंका जा रहा है. छोटे-छोटे बच्चों के सौदे हो रहे हैं. लेकिन झारखंड सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही. मोनिका का कहना है कि ये आंकडॉे विभाग को जगाने के लिए काफी होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि नामकुम में एक बच्ची का शव मिलने के बाद यह तय हो गया है कि इन मृत नवजात शिशुओं के लिए काम करने की मंशा रखने से कुछ हासिल नहीं होगा. जब तक सरकार और प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के प्रति संजीदा न हो ऐसे मामले नहीं रुकेंगे.
यहां बता दें कि नामकुम में नदी किनारे मृत मिली बच्ची के शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. लेकिन, उसकी मौत के कारणों का किसी ने खुलासा नहीं किया. पुलिस ने बच्ची की हत्या की आशंका से इनकार किया. उन्होंने कहा कि या तो बच्ची की नॉर्मल डेथ हुई और उसके माता-पिता ने उसे यहां लाकर छोड़ दिया या वह अविवाहित मां की संतान रही होगी.
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