परिजन मरते रहे, वह घर के आंगन में दफनाता रहा, जानें क्या है मामला
By बलवंत तक्षक | Published: April 5, 2021 03:51 PM2021-04-05T15:51:26+5:302021-04-05T15:52:25+5:30
पंजाब के अबोहर का है. रवींद्र ने सबसे पहले मौत के बाद अपनी मां को घर के आंगन में दफनाया. जब पिता का निधन हुआ तो मां के कंकाल को निकाल कर वहीं पर पिता को दफना दिया.
चंडीगढ़ः क्या कोई अपने घर के आंगन को कब्रिस्तान बना सकता है, यकीन करना संभव नहीं है. लेकिन, रवींद्र भाटिया ने सचमुच ऐसा ही किया है. उसने पुलिस के सामने भी यह स्वीकार किया है.
किसी को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? मामला पंजाब के अबोहर का है. रवींद्र ने सबसे पहले मौत के बाद अपनी मां को घर के आंगन में दफनाया. जब पिता का निधन हुआ तो मां के कंकाल को निकाल कर वहीं पर पिता को दफना दिया. कुछ साल बाद जब बहन की मौत हुई तो उसने पिता का कंकाल बाहर निकाला और आंगन में वहीं पर बहन को दफना दिया.
आंगन में बने इस कब्रिस्तान का खुलासा तब हुआ जब अचानक घर में आग लग गई. फायर ब्रिगेड की टीम सिद्धूनगर की गली नंबर चार में आग बुझाने पहुंची. इस दौरान फायर ब्रिगेड की टीम ने देखा कि रसोई में खाने-पीने की चीजों के साथ एक खोपड़ी रखी है. उसने पुलिस को इसकी सूचना दी. उसके बाद पुलिस वहां पहुंची.
तीन घंटे की पूछताछ के बाद पता चला कि रवींद्र ने अपने घर को एक तरह से कब्रिस्तान में बदल रखा था. पुलिस ने जब रवींद्र से सवाल किया कि माता-पिता और बहन के शवों को घर के आंगन में क्यों दफनाया? इस पर उसने कहा कि सीता माता को भी धरती माता ने ही समाने के लिए जगह दी थी.
पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि पिछले छह साल से घर में न गैस का चूल्हा जला था और न ही बिजली थी. यह मकान भी कई साल पहले ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय को दान में दे दिया गया था. इस मकान की कीमत आज पचास लाख रुपए से ज्यादा है. पुलिस अभी इस मामले में आगे पूछताछ कर रही है.