Nirbhaya Case: जघन्य घटना में शामिल दोषी अक्षय ठाकुर को दी गई फांसी, बिहार से 2011 में पढ़ाई छोड़कर रोजगार के लिए पहुंचा था दिल्ली

By अनुराग आनंद | Published: March 20, 2020 05:37 AM2020-03-20T05:37:14+5:302020-03-20T05:37:14+5:30

अक्षय ठाकुर के डेथ वारंट पर एक बार फिर से गुरुवार को होने वाली सुनवाई से पहले उसकी पत्नी ने भी तालाक तक की अर्जी औरंगाबाद के अदालत में देकर पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी को टालने की अपील की। लेकिन, याचिका को खारिज कर दोषी को सजा दे दी गई है। 

Nirbhaya Case: The hanging of Akshay Thakur, the culprit involved in the heinous incident, left Delhi for employment in 2011 after reaching Delhi. | Nirbhaya Case: जघन्य घटना में शामिल दोषी अक्षय ठाकुर को दी गई फांसी, बिहार से 2011 में पढ़ाई छोड़कर रोजगार के लिए पहुंचा था दिल्ली

अक्षय ठाकुर (फाइल फोटो)

Highlightsअक्षय ठाकुर मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिला स्थित टंडवा थाना क्षेत्र के लहंगकर्मा गांव का रहने वाला था।अक्षय ठाकुर 2011 में पढ़ाई छोड़कर घर से दिल्ली नौकरी करने गया था।

नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप मामले में शुक्रवार को सभी चार दोषियों को फांसी की सजा दे दी गई है। इन चार में से एक दोषी अक्षय ठाकुर भी था। अक्षय ठाकुर ने अपनी फांसी को टालने की हर संभव कोशिश की, इसके लिए अपने वकील के जरिए उसने सभी उपाय किए। इसके बावजूद उसकी फांसी की सजा नहीं टली व आखिरकार उसे फांसी दे दी गई है।

अक्षय के डेथ वारंट पर एक बार फिर से गुरुवार को होने वाली सुनवाई से पहले उसकी पत्नी ने भी तालाक तक की अर्जी औरंगाबाद के अदालत में देकर पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी को टालने की अपील की। लेकिन, सब धरा का दरा रह गया और याचिका को खारिज कर दोषी को सजा दे दी गई है।  

कौन है अक्षय ठाकुर-
आपको बता दें कि अक्षय मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिला स्थित टंडवा थाना क्षेत्र के लहंगकर्मा गांव का रहने वाला था। 2011 में पढ़ाई छोड़ने के बाद रोजगार के लिए घर से भागकर वह दिल्ली पहुंचा था। ग्रामीणों ने इससे पहले भी मीडिया के सामने बताया था कि उनलोगों का मानना है कि अक्षय ठाकुर का नाम निर्भया मामले में आने से गांव की बदनामी हुई है।

इसके अलावा, अक्षय ठाकुर 2011 में पढ़ाई छोड़कर घर से दिल्ली नौकरी करने गया था। राम सिंह ने अक्षय को बस कंडक्टर के काम में लगा दिया। राम सिंह के सहारे वह फल बेचने वाले पवन गुप्ता से भी घुल-मिल गया था। निर्भया कांड के बाद अक्षय भागकर अपने गांव आ गया था। आरोपित अक्षय ठाकुर को दिल्ली पुलिस ने बिहार के औरंगाबाद से गिरफ्तार कर अपने साथ ले गयी थी।

गुरुवार को अक्षय की पत्नी कोर्ट में ही रोने लगी-
दिल्ली की निचली अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्याकांड मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका खारिज होने के बाद अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता देवी के आंसू छलक आए। अक्षय की पत्नी ने यहां पटियाला हाउसकोर्ट के बाहर फूट-फूटकर रोते हुए कहा कि मुझे और मेरे नाबालिग बेटे को भी फांसी पर लटका देना चाहिए।

अक्षय की पत्नी ने हाल ही में बिहार फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। उऩ्होंने कहा था कि मैं बलात्कारी की विधवा की पहचान के साथ जीना नहीं चाहती। गुरुवार को अदालत के बाहर उऩ्होंने कहा, ''मैं भी न्याय चाहती हूं। मुझे भी मार दो। मैं जीना नहीं चाहती। मेरा पति निर्दोष है। समाज उनके पीछे क्यों पड़ा है? हम इस उम्मीद के साथ जी रहे थे कि हमें न्याय मिलेगा लेकिन बीते सात साल से हम रोज मर रहे हैं।'' वह खुद को सैंडल से पीटने लगी, जिसके बाद अदालत के बाहर मौजूद वकीलों ने उन्हें ढांढस बंधाया।

Web Title: Nirbhaya Case: The hanging of Akshay Thakur, the culprit involved in the heinous incident, left Delhi for employment in 2011 after reaching Delhi.

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