निर्भया केस: कहीं आत्महत्या न कर लें इसलिए 'सुसाइड वॉच' पर रखे गए चारों दोषी, 24 घंटे हो रही निगरानी
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: December 12, 2019 10:14 AM2019-12-12T10:14:23+5:302019-12-12T10:56:53+5:30
दोषियों की हर पल की निगरानी हो रही है। 24 घंटे में एक मिनट के लिए भी उन्हें निगरानी से नहीं हटाया जा रहा है। वॉर्डन और जेलकर्मियों से कहा गया है कि दोषियों द्वारा बाथरूम का इस्तेमाल करते समय भी उन पर नजर रखी जाए।
निर्भया गैंगरेप के दोषियों को तिहाड़ जेल की एक ही सेल में बंद कर दिया गया है। दोषियों को जल्द फांसी के तख्त पर चढ़ाने की संभावनाओं के मद्देनजर उन पर निगरानी में इजाफा किया गया है। इस पहलू पर भी गौर किया जा रहा है कि कहीं दोषी तनाव में आत्महत्या जैसा कदम न उठा लें।
टीओआई की खबर के मुताबिक, तिहाड़ जेल के सूत्रों ने बताया कि निर्भया के चारों दोषियों को 'सुसाइड वॉच' पर रखा गया है। इसके लिए जेल के कई गार्ड और एक वॉर्डन की टीम गठित की गई है। जिस सेल में दोषी बंद हैं, उसमें कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
दोषियों की हर पल की निगरानी हो रही है। 24 घंटे में एक मिनट के लिए भी उन्हें निगरानी से नहीं हटाया जा रहा है। वॉर्डन और जेलकर्मियों से कहा गया है कि दोषियों द्वारा बाथरूम का इस्तेमाल करते समय भी उन पर नजर रखी जाए।
सुसाइड वॉच टीम में शामिल गार्ड और वॉर्डन से कहा गया है कि वे दोषियों को अकेला न छोड़ें।
बता दें कि एक दोषी पवन गुप्ता को दिल्ली के मंडोली जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्ट किए जाने के बाद चारों को एक ही सेल में बंद कर दिया गया है।
इससे पहले खबर आई थी कि दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लाद की तलाश पूरी हो गई है। मेरठ कारागार से पवन जल्लाद को बुलाया गया है। इसके अलावा भी खबर है कि दो और जल्लादों को स्टैंड वाई पर रखा गया है।
फांसी के लिए बिहार के बक्सर और महाराष्ट्र के पुणे से रस्सियां मंगाई गई हैं।
बता दें कि एक दोषी विनय शर्मा ने दया याचिका दायर की थी। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के 14 दिन बाद दोषियों को फांसी दी जाती है लेकिन सुनने में आ रहा है कि इस केस में फांसी पहले भी दी जा सकती है। ऐसी अटकलें हैं कि दोषियों को उसी दिन फांसी दी जा सकती है जिस दिन निर्भया दरिंदगी का शिकार हुई थी।
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के बसंत विहार इलाके में एक चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा के साथ 6 दोषियों ने हैवानियत को अंजाम दिया था, जिसकी बाद में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी। मामले के एक दोषी ने जेल में आत्महत्या कर ली थी और एक नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह भेजा गया था।