मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: अदालत आज सुना सकती है फैसला, जानें इस कांड के बारे में अहम बातें

By भाषा | Published: November 14, 2019 03:14 AM2019-11-14T03:14:47+5:302019-11-14T03:14:47+5:30

Muzaffarpur Shelter Home Sex Abuse मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: पिछले साल 29 मई को राज्य सरकार ने लड़कियों को वहां से अन्य आश्रय गृहों में भेज दिया। 31 मई 2018 को मामले के 11 आरोपियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

Muzaffarpur shelter home case: Delhi court to pronounce verdict on Nov 14 | मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: अदालत आज सुना सकती है फैसला, जानें इस कांड के बारे में अहम बातें

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: अदालत आज सुना सकती है फैसला, जानें इस कांड के बारे में अहम बातें

Highlightsबिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री एवं जदयू की तत्कालीन नेता मंजू वर्मा को भी इस मामले को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। मंजू वर्मा को आठ अगस्त 2018 को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

बिहार में मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में कई लड़कियों का कथित यौन उत्पीड़न किये जाने के मामले में दिल्ली की एक अदालत का फैसला बृहस्पतिवार को आने की संभावना है। यह बालिका गृह बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) का पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर संचालित करता था। मामले में सीबीआई के वकील और 11 आरोपियों की अंतिम दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने 30 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री एवं जदयू की तत्कालीन नेता मंजू वर्मा को भी इस मामले को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। दरअसल, मामले के मुख्य आरोपी ठाकुर के तार उनके पति से जुड़े थे। वर्मा को आठ अगस्त 2018 को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

सीबीआई ने विशेष अदालत से कहा कि मामले में सभी 21 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। हालांकि अदालत का फैसला बृहस्पतिवार के लिये सूचीबद्ध है, लेकिन पुलिसकर्मियों और अधिवक्ताओं के बीच झड़प के बाद यहां सभी छह अदालतों में वकीलों की हड़ताल अभी तक समाप्त नहीं हुई है।

मामले के आरोपियों ने दावा किया था कि सीबीआई ने मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की। यह मामला यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज है और इसके तहत अधिकतम सजा के रूप में उम्र कैद हो सकती है। बलात्कार एवं शारीरिक नुकसान पहुंचाने वाले यौन उत्पीड़न की आपराधिक साजिश रचने के तहत भी मामले दर्ज किये गये हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने बंद कमरे में चली सुनवाई के दौरान मामले में हुई जिरह संपन्न की, जो इस साल 25 फरवरी को शुरू हुई थी। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर यह मामला मुजफ्फरपुर की एक स्थानीय अदालत से दिल्ली में साकेत जिला अदालत परिसर स्थित एक पॉक्सो अदालत को हस्तांतरित किया गया था।

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा कि नाबालिग लड़कियों के बयानों के मुताबिक सभी आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए। वहीं, अधिवक्ता प्रमोद कुमार दूबे ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि सभी मामले अस्पष्ट प्रकृति के हैं और सीबीआई ने निष्पक्ष जांच भी नहीं की।

दूसरे आरोपी के वकील ज्ञानेंद्र मिश्रा ने अदालत से कहा कि सीबीआई ने त्रुटिपूर्ण और एकतरफा जांच की। मुजफ्फरपुर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार वर्मा और इसके सदस्य विकास कुमार की ओर से पेश होते हुए मिश्रा ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें कोई साक्ष्य नहीं है और पीड़िता के बयान किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं करते। अदालत ने मामले में 21 लोगों के खिलाफ विभिन्न आरोप तय किये थे। मामले में मुख्य आरोपी ठाकुर पर पॉक्सो कानून की धाराओं के तहत आरोप लगाया गया था।

आरोपियों में उसके बालिका गृह के कर्मचारी और बिहार समाज कल्याण विभाग के अधिकारी शामिल हैं। गौरतलब है कि एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस बालिका गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था। यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की एक रिपोर्ट के बाद प्रकाश में आया था। यह रिपोर्ट 26 मई 2018 को बिहार सरकार को सौंपी गई थी जिसमें बालिका गृह की लड़कियों से कथित यौन उत्पीड़न का जिक्र किया गया था। पिछले साल 29 मई को राज्य सरकार ने लड़कियों को वहां से अन्य आश्रय गृहों में भेज दिया। 31 मई 2018 को मामले के 11 आरोपियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 

Web Title: Muzaffarpur shelter home case: Delhi court to pronounce verdict on Nov 14

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