मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: कोर्ट ने फैसला 20 जनवरी तक टाला, नेता से लेकर कई अधिकारी पर लगे थे आरोप
By भाषा | Published: January 14, 2020 11:57 AM2020-01-14T11:57:10+5:302020-01-14T11:57:10+5:30
गौरतलब है कि एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस बालिका गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था।
दिल्ली की एक अदालत ने बिहार में मुजरफ्फरपुर के एक आश्रय गृह में कई लड़कियों के कथित यौन और शारीरिक शोषण के मामले में अपना फैसला 20 जनवरी तक टाल दिया है। बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) का पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर इस आश्रय गृह का संचालक था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर के वकील की याचिका पर सुनवाई के बाद सोमवार को 20 जनवरी तक के लिए फैसला टाल दिया। याचिका में दावा किया गया कि मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह विश्वसनीय नहीं हैं। अदालत ने पहले 14 जनवरी तक आदेश टाल दिया था क्योंकि न्यायाधीश अवकाश पर थे।
अदालत ने मामले में 21 लोगों के खिलाफ विभिन्न आरोप तय किये थे। मामले में मुख्य आरोपी ठाकुर पर पॉक्सो कानून की धाराओं के तहत आरोप लगाया गया था। आरोपियों में उसके बालिका गृह के कर्मचारी और बिहार समाज कल्याण विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
जानें क्या मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का पूरा मामला
गौरतलब है कि एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस बालिका गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था। यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की एक रिपोर्ट के बाद प्रकाश में आया था।
यह रिपोर्ट 26 मई 2018 को बिहार सरकार को सौंपी गई थी जिसमें बालिका गृह की लड़कियों से कथित यौन उत्पीड़न का जिक्र किया गया था। पिछले साल 29 मई को राज्य सरकार ने लड़कियों को वहां से अन्य आश्रय गृहों में भेज दिया। 31 मई 2018 को मामले के 11 आरोपियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी