मेरठ: मेडिकल कॉलेज के छात्र की हत्‍या के मामले में 15 साल बाद तीन डॉक्टरों को उम्रकैद

By भाषा | Published: December 14, 2019 03:01 PM2019-12-14T15:01:21+5:302019-12-14T15:01:21+5:30

दालत ने इस मामले में तत्कालीन प्राचार्य ऊषा शर्मा को भी तलब किया है। इसकी सुनवाई अलग से होगी।

Meerut: Life imprisonment to 3 doctors in case of death of medical college student after 15 years | मेरठ: मेडिकल कॉलेज के छात्र की हत्‍या के मामले में 15 साल बाद तीन डॉक्टरों को उम्रकैद

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsअभियोजन के अनुसार छह जुलाई 2004 को द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया था कि यह मौत स्वाभाविक नहीं है और यह हत्या है।

मेरठ (उप्र),  मेडिकल कॉलेज मेरठ में 15 साल पहले एमबीबीएस के द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी की हत्या के मामले में तीन डाक्टरों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोषियों पर एक-एक लाख का अर्थदंड भी लगाया गया है। अदालत ने इस मामले में तत्कालीन प्राचार्य ऊषा शर्मा को भी तलब किया है। इसकी सुनवाई अलग से होगी।

अभियोजन के अनुसार छह जुलाई 2004 को द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। उसकी लाश हॉस्टल के कमरा नंबर 38 में मिली थी। यह कमरा सचिन मलिक को आंवटित था। मृतक के माता-पिता मुजफ्फरनगर में डॉक्टर हैं। उन्होंने बेटे की मौत को संदिग्ध मानते हुए प्राचार्य से शिकायत की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया था कि यह मौत स्वाभाविक नहीं है और यह हत्या है।

मृतक के पिता डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने चार अगस्त 2004 को थाना मेडिकल में साथी छात्र सचिन मलिक, अमरदीप सिंह, यशपाल राणा और तत्कालीन प्राचार्य ऊषा शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने 2006 में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। इस पर डॉ. सुरेंद्र ने एफआर के खिलाफ कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटिशन दाखिल की।

सुनवाई के बाद अदालत ने नामजद तीन आरोपियों के तलब कर लिया जबकि ऊषा शर्मा की एफआर कोर्ट ने स्वीकार कर ली। इस मामले की सुनवाई एडीजे-एक गुरप्रीत सिंह बावा की अदालत में हुई। सरकारी वकील नरेश दत्त शर्मा, वादी के अधिवक्ता योगेन्द्रपाल सिंह चौहान, गौरव प्रताप ने वादी सहित कुल 20 गवाह अदालत में पेश किए।

बयानों व साक्ष्य के आधार पर अदालत ने तीनों आरोपियों को सचिन मलिक निवासी छपरौली बागपत, अमरदीप सिंह निवासी गुरदासपुर व यशपाल राणा निवासी मुजफ्फरनगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। अदालत ने तत्कालीन प्राचार्य मेडिकल कॉलेज ऊषा शर्मा को भी हत्या के आरोप में तलब किया है। इसकी सुनवाई अलग से होगी। वादी के अधिवक्ता योगेन्द्रपाल सिंह ने बताया कि इस मामले में दोषी करार दिए गए तीनों अभियुक्त एमबीबीएस करके डॉक्टर बन चुके हैं।

Web Title: Meerut: Life imprisonment to 3 doctors in case of death of medical college student after 15 years

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