जम्मू-श्रीनगर हाइवेः सिद्दड़ा इलाके में मुठभेड़ के बाद भारी हथियारों से लैस चार आतंकवादी ढेर, सात एके 47, तीन पिस्टल और एम4 राइफल बरामद

By सुरेश एस डुग्गर | Published: December 28, 2022 05:01 PM2022-12-28T17:01:06+5:302022-12-28T17:02:17+5:30

जम्मू रेंज के पुलिस महानिरीक्षक एडीजीपी मुकेश सिंह ने बताया कि मुठभेड़ आज सुबह उस समय शुरू हुई थी, जब ट्रक में सवार होकर चार आतंकी कश्मीर की ओर जा रहे थे।

Jammu encounter Sidhra four terrorists killed Seven AK 47, three pistols and M4 rifle ammunition recovered security forces | जम्मू-श्रीनगर हाइवेः सिद्दड़ा इलाके में मुठभेड़ के बाद भारी हथियारों से लैस चार आतंकवादी ढेर, सात एके 47, तीन पिस्टल और एम4 राइफल बरामद

सात एके 47, तीन पिस्टल और एम4 राइफल भी मिली है।

Highlightsचार आतंकियों से करीब तीन घंटों तक मुठभेड़ चल रही थी।ट्रक में छुप कर सुरक्षाबलों पर हमला करने वाले चारों आतंकी मारे गए हैं। सात एके 47, तीन पिस्टल और एम4 राइफल भी मिली है।

जम्मूः सुरक्षाबलों ने जम्मू के सिद्दड़ा इलाके में जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर मुठभेड़ के दौरान उस ट्रक को उड़ा दिया जिसमें सवार चार आतंकियों से करीब तीन घंटों तक मुठभेड़ चल रही थी। ट्रक में छुप कर सुरक्षाबलों पर हमला करने वाले चारों आतंकी मारे गए हैं।

जम्मू रेंज के पुलिस महानिरीक्षक एडीजीपी मुकेश सिंह ने बताया कि यह मुठभेड़ आज सुबह उस समय शुरू हुई थी जब एक ट्रक में सवार होकर चार आतंकी कश्मीर की ओर जा रहे थे और आरओपी द्वारा उन्हें जांच के लिए रोका गया तो ट्रक ड्राइवर बाथरूम का बहाना लगा कर भाग निकला और छुपे हुए आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलियां बरसानी आरंभ कर दीं।

पुलिसकर्मियों ने जांच के लिए ट्रक नंबर जेके 18- 1226 को रोका

जानकारी के अनुसार, सिद्दड़ा पुल के पास नाके पर सुबह करीब साढ़े सात बजे पुलिसकर्मियों ने जांच के लिए ट्रक नंबर जेके 18- 1226 को रोका। पुलिस को देख चालक मौके से फरार हो गया। वहीं, ट्रक में बैठे अन्य लोगों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई। इसमें चार आतंकियों को मार गिराया गया है।

ट्रक कश्मीर घाटी के कुलगाम के गुलाम मोहम्मद खान के नाम रजिस्टर्ड है

चारों के शव बरामद कर लिए हैं। मौके पर से सात एके 47, तीन पिस्टल और एम4 राइफल भी मिली है। बताया जा रहा है कि ट्रक कश्मीर घाटी के कुलगाम के गुलाम मोहम्मद खान के नाम रजिस्टर्ड है। फिलहाल, सुरक्षाकर्मी ट्रक की तलाश कर रहे हैं। तलाशी अभियान जारी है।

करीब तीन घंटों की मुठभेड़ के बाद चारों आतंकियों को मार गिराने में उस समय कामयाबी मिली जब सुरक्षाबलों ने कथित तौर पर ट्रक को मोर्टार से उड़ा दिया और उससे उसमें आग लग गई। बाद में जब फायर ब्रिगेड ने आग को बुझाया तो चारों आतंकियों के शव बरामद किए गए।

इंटरनेशनल बार्डर से घुसपैठ की थी

फिलहाल मारे गए आतंकियों की पहचान नहीं हो पाई है और न ही उस गुट की जिससे वे जुड़े हुए थे। बरामद किए गए हथियारों और गोला बारूद की भी जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि अभी तलाशी अभियान चल रहा है तथा इसके प्रति पता लगाया जा रहा है कि कोई आतंकी धुंध का लाभ उठा कर भागने में कामयाब तो नहीं हुआ है।

साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है ये आतंकी कहां से आए थे। खबर यह है कि उन्होंने आज तड़के इंटरनेशनल बार्डर से घुसपैठ की थी। जानकारी के लिए सिद्दड़ा पुल के पास छह दिसंबर देर रात आतंकियों ने पुलिस पोस्ट पर ग्रेनेड हमला किया था। पुल पर मौजूद पुलिसकर्मियों को निशाना बनाकर यह हमला किया गया था। हालांकि हमलावर चूक गए और ग्रेनेड पास के एक बिजली के खंभे और पेड़ के बीच जा गिरा। खंभे पर छर्रे के निशान मिले थे। 

एक बार फिर बड़ा सवाल: सिद्दड़ा में में मरने वाले आतंकी कहां से टपके थे?

सिद्दड़ा में जिन 4 आतंकियों को मार गिराया है, वे कहां से टपके थे, फिलहाल अभी तक कोई ठोस जानकारी इसलिए नहीं मिल पाई है क्योंकि इस मुद्दे पर बीएसएफ और पुलिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो चुका है। इस मुठभेड़ के बाद पुलिस ने दावा किया है कि आतंकी जम्मू सीमा के किसी सेक्टर से हाल ही में 50 किमी का सफर तय करके सिद्दड़ा पहुंचे थे।

जबकि अपने दावों के दौरान पुलिस अधिकारी इस तथ्य को नजरअंदाज करते थे कि इस 50 किमी के यात्रा मार्ग में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के तीन दर्जन से ज्यादा नाके थे और वे इन नाकों को कैसे पार कर गए। पुलिस का कहना है कि आतंकी इंटरनेशनल बार्डर से घुसपैठ कर इस ओर आए थे। पर बीएसएफ इसे नहीं मानती।

बीएसएफ ऐसी किसी सुरंग का पता नहीं लगा पाई है

वह कहती है कि कहीं से कोई तारबंदी नहीं कटी है और इंटरनेशनल बार्डर में नदी-नालों में कहीं भी उनकी थर्मल इमेजस रिकार्ड नहीं की गई हैं। पहले यह भी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि आतंकी सीमा क्षेत्र में उपस्थित किसी सुरंग से इस ओर आने में कामयाब हुए हैं जैसा कि पहले अतीत में कई बार हो चुका था।

पर क्षेत्र की गहन पड़ताल के बाद भी बीएसएफ ऐसी किसी सुरंग का पता नहीं लगा पाई है। हालांकि पिछले तीन सालों मंें ऐसी 14 सुरंगों को नेस्तनाबूद किया गया था। ऐसे में यह सवाल और पेचिदा हो जाता था कि ये आतंकी कहां से और कब हिन्दुस्तान में दाखिल हुए थे। वर्ष 2016 में नगरोटा में हुए आतंकी हमले और वर्ष 2018 में जम्मू के सुंजवां में हुए एक अन्य आतंकी हमले में शामिल आतंकियों के प्रति भी अभी तक जो जानकारी उपलब्ध हुई है वह भी सिर्फ अंदाजे पर ही है।

बीएसएफ और पुलिस के बीच ठनती रही है

यही हाल इस साल 24 अप्रैल को सुंजवां में पुनः हुए हमले में मरने वाले 2 आतंकियों के प्रति भी था जिनके प्रति आज तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे कहां से टपके थे। इतना जरूर था कि पठानकोट-जम्मू तथा जम्मू-उधमपुर राजमार्ग पर होने वाले प्रत्येक आतंकी हमले के उपरांत बीएसएफ और पुलिस के बीच ठनती रही है।

बीएसएफ ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया है कि आतंकी तारबंदी को क्रास कर इस ओर दाखिल हुए हैं। यही नहीं वर्ष 2020 में भी दो बार जैश के 7 आतंकियों को बन टोल प्लाजा टोल प्लाजा पर ढेर कर दिया गया था। तब भी प्रत्येक घटना के बाद पुलिस महानिदेशक ने दावा किया था कि वे जम्मू फ्रंटियर के सेक्टरों से घुसे थे और उन्होंने कई किमी का सफर बेरोकटोक किया था।

इस सच्चाई के बावजूद कि उन्होंने 88 किमी के सफर में 42 नाकों को पार किया था। जबकि 19 नवम्बर 2020 को हुए हमले के शामिल आतंकियों को कश्मीर ले जा रहे ट्रक चालक ने यह बयान देकर पुलिस के ही दावों पर शंका पैदा कर दी थी जिसमें उसका कहना था कि उसने इन आतंकियों को सांबा में चीची माता के बाहर से राजमार्ग से बिठाया था और यह पिकअप प्वाइंट हीरानगर से 20 किमी की दूरी पर था।

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