CBI ने Jamia Millia Islamia के प्रोफेसर को किया गिरफ्तार, तलाशी के दौरान मिले 1.19 करोड़ रुपए बैंक में-30 लाख रुपए नकद
By आजाद खान | Published: March 17, 2022 01:59 PM2022-03-17T13:59:20+5:302022-03-17T14:07:13+5:30
तलाशी के दौरान सीबीआई को प्रोफेसर के पास से 30 लाख रुपए नकद और 1.19 करोड़ रुपए बैंक में होने की जानकारी मिली है।
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग (Department of Civil Engineering) के प्रोफेसर खालिद मोईन को गिरफ्तार किया है। खालिद मोईन पर आरोप है कि उन्होंने एक लाख रुपए बतौर रिश्वत लिया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी है। मोईन को दिल्ली स्थित एक कंपनी से रिश्वत की लेने के दौरान गिरफ्तार किया गया। गौरतलब है कि मोईन ने गुरुग्राम में चिन्टेल्स पैराडाइसो अपार्टमेंट (Chintels Paradiso Apartment) को कथित तौर पर संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण पत्र दिया था।
सभी आरोपियों को दिल्ली के विशेष अदालत में किया जाएगा पेश
इस इमारत का एक हिस्सा हाल में गिर गया था जिससे दो महिलाओं की मौत हो गई थी, हालांकि प्रोफेसर की गिरफ्तारी इस घटना से संबंधित नहीं है। सीबीआई ने मेसर्स व्योम आर्किटेक्ट (M/s Vyom Architect) के प्रखर पवार (Prakhar Pawar) और कंपनी के एक कर्मचारी आबिद खान को भी गिरफ्तार किया है। सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा कि आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है। उन्होंने कहा कि आरोपियों को दिल्ली की एक विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।
नकद के साथ बैंक में भी पैसे की जानकारी मिली
मामले में एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि तलाशी के दौरान सीबीआई को 30 लाख रुपए नकद और 1.19 करोड़ रुपए के बैंक खाते में होने का ब्योरे मिला है। आर सी जोशी ने बताया कि प्रोफेसर पर विभिन्न निजी बिल्डरों, वास्तुकारों, बिचौलियों आदि के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर साजिश रचकर परियोजनाओं के लिए संरचनात्मक स्थिरता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने का आरोपी पाया था। रिश्वत लेने के आरोपों की खबर पर सीबीआई ने एक जाल बिछाया और प्रोफेसर समेत दो अन्य लोगों को रंगे हाथों गिरफ्ता कर लिया है।
क्या कहा विश्वविद्यालय ने
जामिया मिलिया इस्लामिया के एक सूत्र के अनुसार, "विश्वविद्यालय का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। यह उनका व्यक्तिगत परामर्श से संबंधित मामला था। सीबीआई की टीम ने विश्वविद्यालय के साथ कोई विवरण नहीं मांगा या साझा नहीं किया है। उन्होंने प्रोफेसर से उनके कार्यालय में पूछताछ की है और कुछ दस्तावेज लेने के लिए उनके घर भी गए।"