बिहार: महिला पुलिस अधिकारी ने दुष्कर्म पीड़िता को 3 दिनों तक थाने में बंद कर पीटा, आरोपी का नाम बदलने का बनाया दबाव
By एस पी सिन्हा | Published: April 7, 2020 05:07 PM2020-04-07T17:07:21+5:302020-04-07T17:07:21+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार नाबालिग के साथ दुष्कर्म का आरोपी राजकुमार मोतीपुर थाना के बरजी का रहने वाला है, वह नाबालिग लड़की के दूर का संबंधी है.
पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक महिला पुलिस अधिकारी का घिनौना चेहरा सामने आया है. आरोप है कि महिला थाना प्रभारी आभा रानी ने एक दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग लड़की को तीन दिनों तक थाने में ही बंद कर रखी और आरोपी का नाम बदलने का दबाव बनाया. यही नहीं महिला थाना प्रभारी ने पीड़िता को तीन दिनों तक थाने में बंद कर पीटाई भी करती रही. जब पीड़िता नही मानी तो थाना प्रभारी आभा रानी ने उसे बेरहमी से इतनी पीटाई की जिससे पीड़िता के शरीर पर पिटाई के दाग तक उभर आये.
प्राप्त जानकारी के अनुसार नाबालिग के साथ दुष्कर्म का आरोपी राजकुमार मोतीपुर थाना के बरजी का रहने वाला है, वह नाबालिग लड़की के दूर का संबंधी है. उसने 27 मार्च को पीड़िता के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. इसके बाद दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता जब महिला थाना प्रभारी से न्याय की गुहार लगाने पहुंची तो महिला थाना प्रभारी ने उल्टे पीड़िता की पिटाई कर दी.
इसके कारण पीड़िता के शरीर पर गहरे जख्म के निशान बन गये हैं. यही नहीं पुलिस ने 3 दिनों तक थाने में ही पीडिता को रखा और आरोपी का नाम बदलने के लिए बार-बार दबाव बनाती रही. वहीं, पीड़िता के परिजनों को महिला थाना प्रभारी ने केस दर्ज करने के लिए डेढ लाख रुपए तक की मांग कर डाली.
परिजनों ने इस मामले की शिकायत पुलिस के वरीय अधिकारियों से की जिसके बाद महिला थाना प्रभारी आभा रानी को निलंबित कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि महिला थाना प्रभारी आभा रानी के हरकतों के कारण पीड़िता का मेडिकल टेस्ट भी काफी दिनों बाद हो सका, जिसे प्रमाण मिटने के संदेह व्यक्त की जाने लगी है. परिजनों का कहना है कि पैसे के बल पर इस संगीन मामले को राजकुमार दबाना चाह रहा था. जिसके कारण पुलिस लगातार पीड़िता पर ही दबाव बनाती रही.
यहां तक कि पीड़िता के परिजनों से डेढ लाख रुपए की मांग करने का भी आरोप पुलिस पर लगा है. घटना के 10 दिन बाद भी आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर है. इस मामले में महिला थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है.
बताया जाता है कि 27 मार्च को पीड़िता के साथ दुष्कर्म की वारदात हुई, लेकिन एक सप्ताह तक पीडिता का मेडिकल टेस्ट नहीं हो सका, जबकि इस तरह के मामले में जल्द मेडिकल कराने से पुलिस को अहम साक्ष्य हाथ लग सकता था. पीडिता और उसके परिजन पहले करजा थाना पहुंचे. लेकिन करजा थाना पुलिस ने महिला थाना जाने का निर्देश दिया.
इसके बाद महिला थाना आने के बाद भी पीड़िता के आवेदन को दर्ज करने के बजाय पुलिस 3 दिनों तक पीडिता पर ही दबाव बनाती रही. आरोपी राजकुमार को बचाने के लिए पुलिस ने पीड़िता का बयान बार-बार बदलने के लिए दबाव बनाया जाता रहा.
इसबीच, पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने भी नाबालिग लड़की के साथ घटना के बाद भी एक महिला पुलिस पदाधिकारी द्वारा इस तरह के संगीन मामले में पैसे का खेल करने और मारपीट करने के बाद सीधी कार्रवाई की मांग मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र के आईजी से की है. वैसे महिला थानेदार आभा रानी को निलंबित किया गया है. लेकिन पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने आरोपी महिला थानेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की मांग की है साथ ही साथ आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की है.