अलवर, 24 जुलाई: अलवर मॉब लिंचिंग मामले में मृतक रकबर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगलवार को आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक रकबर के एक हाथ और एक पैर की हड्डी टूटी हुई थी। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उसके शरीर पर 12 चोट के निशान हैं। वहीं डाक्टरों अंदाजा लगाया है कि चोट के बाद रकबर के शरीर में आंतरिक रक्तस्राव हुआ था। पोस्टमॉर्टम के बाद रिपोर्ट जांच टीम को दी जा चुकी है। वहीं अब पुलिस को घटनास्थल के फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है।
वहीं इस मामले में पुलिस की लापरवाही उभर कर सामने आई है, जिसके बाद सोमवार को चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। हालांकि पुलिस ने कहा कि यह 'हिरासत में मौत' का मामला नहीं है, जो कुछ भी हुआ वह स्थानीय पुलिस की स्थिति को निपटने में लिये गये निर्णय की त्रुटि के कारण हुआ।
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स्थानीय पुलिस पर लगे आरोपों की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक ओ पी गलहोत्रा ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है।इस समिति ने ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले चार पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए रामगढ़ पुलिस थाने के उस समय के प्रभारी सहायक पुलिस उपनिरीक्षक मोहन सिंह को निलंबित कर दिया और तीन पुलिस कर्मियों को पुलिसलाइन भेज दिया।
अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने रकबर के शरीर की सफाई की। उन्होंने सोचा कि पीड़ित की हालत गंभीर नहीं है, इसलिए उसे पहले पुलिस थाने लेकर गए और गायों को आसपास के गौशाला में स्थानांतरित करने के लिये वापस घटना स्थल पहुंचे और फिर थाने आकर पीड़ित को अस्पताल ले गये। पीड़ित को पानी, चाय भी पूछा था। उसे तड़के चार बजे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसलिए यह निर्णय लेने की त्रुटि प्रतीत होती है। पुलिस ने शनिवार को धर्मेन्द्र यादव और परमजीत सिंह को गिरफ्तार किया था, जबकि तीसरे आरोपी नरेश सिंह को कल गिरफ्तार किया। तीनों आरोपी पुलिस की पांच दिन की रिमांड पर है।
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बता दें कि रकबर खान अपने एक साथी असलम के साथ दो गायों को लेकर हरियाणा स्थित अपने गांव जा रहा था, जब वह लालावंडी गांव से होकर गुजर रहा था तो कुछ अज्ञात लोगों के एक समूह ने गो तस्कर के संदेह में उनकी बुरी तरह से पिटाई कर दी। खान को रामगढ़ के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 28 अगस्त को होनी है। याचिकाकर्ताओं ने पीठ के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की।
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