बिहार: 53 हजार से अधिक आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी होने के बाद भी पुलिस नही कर पा रही है गिरफ्तार, आरटीआई में हुआ खुलासा
By एस पी सिन्हा | Published: June 4, 2022 03:57 PM2022-06-04T15:57:14+5:302022-06-04T16:00:43+5:30
अदालत के आदेश के बाद भी करीब 53 हजार से अधिक आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर आराम से विचरण कर रहे हैं। बिहार पुलिस उन्हें पकड़ने में अब तक अक्षम है।
पटना:बिहार में 53 हजार से अधिक आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी होने के बावजूद पुलिस गिरफ्तार नही कर पा रही है। परिणामस्वरूप पुलिस गिरफ्त से बाहर रह रहे अपराधी बेखौफ होकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। जिसके चलते पूरे प्रदेश में त्राहिमाम की स्थिती है। राजधानी पटना हो या राज्य का कोई भी हिस्सा, अपराधियों के आतंक से आमलोग खौफ में हैं।
राज्य में अपराध पर पूरी तरह से नियंत्रण होने का पुलिस के दावे की पोल अपराधी ही खोल रहे हैं। शुक्रवार को जिस तरह से राजधानी पटना में दिनदहाड़े चार करोड़ रूपये की सोना लूट अपराधी आराम से फरार हो गए, वह इस बात का प्रमाण है कि पुलिस का इकबाल पूरी तरह से खत्म हो गया है। सच्चाई यह है कि अदालत के आदेश के बाद भी करीब 53 हजार से अधिक आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर आराम से विचरण कर रहे हैं।
यही नहीं अदालत के आदेश के बाद भी करीब 4 हजार कुर्की के मामले लंबित हैं। बिहार के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने पुलिस मुख्यालय से इस संबंध में जानकारी मांगी थी। उन्होंने पूछा था की आपराधिक मामलों में कितने लोगों के खिलाफ बॉडी वारंट गिरफ्तारी, कुर्की संपत्ति जब्त करने से संबंधित कितने मामले हैं, जो न्यायालय आदेश के बाद भी लंबित है?
शिव प्रकाश राय ने इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी थी। इसके बाद अपराध अनुसंधान विभाग के पुलिस अधीक्षक ने 31 मई को अप्रैल 2022 तक की पूरी जानकारी दी है। सीआईडी एसपी की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि बिहार में करीब 53 हजार से भी अधिक फरारी हैं। रिपोर्ट के अनुसार कुल 53 हजार से अधिक फरारियों में बक्सर में 5388, आरा में 5040, बांका, 4036, पटना 3678 शामिल हैं।
इसके अलावे शाहाबाद रेंज में 11991, तिरहुत रेंज 15899, केंद्रीय रेंज पटना 5052, मगध रेंज 3714, पूर्णिया रेंज 5755 हैं। आंकडों की बात करें तो राज्य में हर दिन औसत 8 हत्या और 4 दुष्कर्म की घटना हो रही है। इस साल के जनवरी से मार्च तक कुल 679 हत्या और 317 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं। खास बात है कि जब से एसके सिंघल डीजी बने हैं, तब से अपरण, लूट, चोरी, दुष्कर्म और बैंक डकैती का ग्राफ बढ़ रहा है। सिर्फ हत्या और डकैती में गिरावट आई है।
ऐसे में बिहार में आए दिन हो रही लूट और हत्या को लेकर डीजीपी का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। छपरा में 48 घंटे में 4 हत्या की वारदात के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'कोई बात नहीं, आइसोलेटेड घटना होती रहती है। हमें ये देखना है कि जिसकी हत्या हुई है, उसका इतिहास क्या था? अगर किसी आपराधिक छवि के व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो उससे क्यों हमदर्दी है।
इस तरह से शिवप्रकाश राय के द्वारा मांगी गई सूचना में यह खुलासा हुआ है कि पुलिस फरार वारंटियों की गिरफ्तारी आदेश को दबा कर बैठी है। बिहार की पुलिस अदालत के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डाल देती है, जिसका खुलासा आरटीआई में हुआ है।
इस संबंध में शिवप्रकाश राय कहते हैं कि इसके लिए सरकार दोषी है। अक्षम पुलिस पदाधिकारियों को जिले का कमान संभालने की जिम्मेवारी दी जाती है। ऐसे में अदालत का आदेश का पालन कैसे होगा? फरारी को पुलिस अगर गिरफ्तार नहीं करेगी तो वे घटना पर घटना करते रहेगे और पुलिस हाथ मलते रहेगी। उन्होंने तो यहां तक कहा कि बिहार में थानों की भी नीलामी होतीं हैं, डाक में अधिक बोली लगाने वाले कनीय थाना प्रभारी बन जाते हैं और वरीय देखते रह जाते हैं।
हालांकि पुलिस विभाग लोगों के मन से भय का माहौल को समाप्त कराने के लिए आपराधिक डाटा जरूर पेश कर सबकुछ ठीक होने का दावा करती रहती है। राज्य के डीजीपी भी कागजी करिश्मा दिखाते रहते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है, यह सब सामने आ जा रहा है।