सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस ने कहा- तिहाड़ जेल में 10 साल में हो चुकी है 39 डिलीवरी
By अनुराग आनंद | Published: June 22, 2020 03:04 PM2020-06-22T15:04:28+5:302020-06-22T15:59:46+5:30
दिल्ली पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देकर हिंसा भड़काने के जुर्म में सफूरा जरगर के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
नई दिल्ली:दिल्ली हिंसा के मामले में आरोपित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में कहा है कि आरोपी गर्भवती होने मात्र से जमानत की हकदार नहीं हो सकती है।
न्यूज 18 के मुताबिक, पुलिस ने तर्क देते हुए याचिका के खिलाफ कोर्ट में कहा है कि पिछले 10 वर्षों में तिहाड़ जेल में 39 महिला कैदियों की डिलीवरी हो चुकी है। पुलिस ने कहा कि ऐसे में सफूरा जरगर का मामला खास नहीं है। सफूरा जरगर के मामले में दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की है, जिसमें ये बात कही है।
सफूरा जरगर पर ये है आरोप-
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप में कहा है कि 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं।
दिल्ली पुलिस की मानें तो उसी दौरान सफूरा भारी हिंसक भीड़ को लेकर वहां पहुंची और दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने की साजिश रची।
पुलिस द्वारा लगाए आरोप में कहा गया है इसी आंदोलन की वजह से हिंसा भड़की थी। जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई। सफूरा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने हिंसा भड़काने के संगीन आरोप लगाए हैं।
देश के 500 प्रबुद्ध लोगों ने सफूरा जरगर व वरवरा राव की जमानत की मांग की
फिल्मी शख्सियतों सौमित्र चटर्जी, अडूर गोपालकृष्णन और अपर्णा सेन समेत 500 प्रसिद्ध लोगों ने केंद्र को एक खुला पत्र लिखकर वरवरा राव और सफूरा जरगर जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ऐसे वक्त में,जबकि देश में महामारी का प्रकोप फैल रहा है, तत्काल जमानत पर छोड़ने की मांग की है।
पत्र में लिखा गया है कि वामपंथी विचार वाले कवि लेखक वरवरा राव के साथ सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, अरुण फरीरा, वी गोंजाल्विस, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सुधीर धवले और रोना विल्सन जेल में हैं।
इंडियन कल्चरल फोरम की ओर से 16 जून को जारी पत्र में कहा गया है, ‘‘महाराष्ट्र की जेलों में जहां उन्हें रखा गया है, कुछ कैदियों की कोविड-19 से मौत हो चुकी है और अन्य कई संक्रमित मिले हैं।’’
पत्र में जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर और असम के मानवाधिकार कार्यकर्ता अखिल गोगोई को जमानत पर रिहा नहीं किए जाने पर भी निराशा प्रकट की गयी है। पत्र पर नसीरूद्दीन शाह, शबाना आजमी, नंदिता दास, अमोल पालेकर, ओनिर, अनुराग कश्यप आदि के भी दस्तखत हैं।