Ranji Trophy Final 2022: मध्य प्रदेश ने 41 बार की चैंपियन मुंबई को 6 विकेट से हराकर रणजी ट्रॉफी खिताब जीता, इस खिलाड़ी को मैन ऑफ द मैच और सीरीज घोषित किया

Ranji Trophy Final 2022: मध्य प्रदेश ने बेंगलुरु में मुंबई को फाइनल में छह विकेट से हराकर रणजी ट्रॉफी खिताब जीता। रजत पाटीदार, यश दुबे (133) और शुभम शर्मा (116) ने रणजी ट्रॉफी फाइनल में मुंबई के खिलाफ शतकीय पारी खेली।

By सतीश कुमार सिंह | Published: June 26, 2022 3:21 PM

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ठळक मुद्दे मध्य प्रदेश के शुभम शर्मा को मैन ऑफ द मैच घोषित किया।मुंबई के सरफराज खान को मैन ऑफ द सीरीज घोषित किया गया। बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में फाइनल में 41 बार की चैंपियन मुंबई को छह विकेट से हराकर अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीता।

Ranji Trophy Final 2022: मध्य प्रदेश ने मुंबई को 6 विकेट से हराकर अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीत लिया है। मध्य प्रदेश के शुभम शर्मा को मैन ऑफ द मैच और मुंबई के सरफराज खान को मैन ऑफ द सीरीज घोषित किया गया। 

मध्य प्रदेश ने रविवार को बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में फाइनल में 41 बार की चैंपियन मुंबई को छह विकेट से हराकर अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीता। मध्य प्रदेश ने अपने इतिहास में पहली बार प्रतिष्ठित ट्रॉफी उठाने के लिए चार विकेट के पतन के लिए चौथी पारी में 108 रनों का पीछा किया।

मध्य प्रदेश ने रविवार को पांचवें और अंतिम दिन घरेलू क्रिकेट की दिग्गज टीम मुंबई को एकतरफा फाइनल में छह विकेट से हराकर पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीतकर इतिहास रचा। कोच चंद्रकांत पंडित ने इसी मैदान पर 23 साल पहले रणजी ट्रॉफी का खिताबी मुकाबला गंवाया था लेकिन इस बार वह चैंपियन टीम का हिस्सा बनने में सफल रहे।

अंतिम दिन मुंबई की टीम दूसरी पारी में 269 रन पर सिमट गई जिससे मध्य प्रदेश को 108 रन का लक्ष्य मिला जिसे टीम ने चार विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। सत्र में 1000 रन बनाने से सिर्फ 18 रन दूर रहे सरफराज खान (45) और युवा सुवेद पार्कर (51) ने मुंबई को हार से बचाने का प्रयास किया लेकिन कुमार कार्तिकेय (98 रन पर चार विकेट) की अगुआई में गेंदबाजों ने मध्य प्रदेश की जीत सुनिश्चित की।

कोच के रूप में पंडित का यह रिकॉर्ड छठा राष्ट्रीय खिताब है। लक्ष्य का पीछा करते हुए मध्य प्रदेश ने हिमांशु मंत्री (37), शुभमन शर्मा (30) और रजत पाटीदार (नाबाद 30) की पारियों की बदौलत 29.5 ओवर में चार विकेट पर 108 रन बनाकर जीत दर्ज की।

इस जीत से पंडित की पुरानी यादें ताजा हो गई जब 1999 में इसी चिन्नास्वामी स्टेडियम में उनकी अगुआई वाली मध्य प्रदेश की टीम ने पहली पारी में बढ़त के बावजूद फाइनल गंवा दिया था और पंडित के करियर का अंत निराशा के साथ हुआ। पंडित के मार्गदर्शन में विदर्भ ने भी चार ट्रॉफी (लगातार दो रणजी और ईरानी कप खिताब) जीती जबकि उसके पास कोई सुपरस्टार नहीं थे।

रजत पाटीदार को छोड़कर यश दुबे, हिमांशु मंत्री, शुभम शर्मा, गौरव यादव या सारांश जैन जैसे खिलाड़ी भारतीय टीम में जगह बनाने की अभी दावेदार नहीं मौजूदा सत्र में उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इन सभी ने मिलकर 41 बार के चैंपियन मुंबई को एक और रणजी खिताब से महरूम किया। मध्य प्रदेश ने एक बार फिर साबित किया कि रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने लिए आपकी टीम में सुपर स्टार या भारतीय टीम में जगह बनाने के दावेदार होना जरूरी नहीं है।

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