खत्म हुआ राहुल द्रविड़ का इंतजार, 3 वर्ल्ड कप, 344 वनडे के बाद आखिर 'जीत' ही लिया वर्ल्ड कप!

राहुल द्रविड़ के प्रेरणादायक कोचिंग में भारतीय अंडर-19 टीम बनी वर्ल्ड चैंपियन

By अभिषेक पाण्डेय | Published: February 3, 2018 04:49 PM2018-02-03T16:49:33+5:302018-02-03T16:58:34+5:30

Rahul Dravid the architect behind India U-19 World Cup Victory | खत्म हुआ राहुल द्रविड़ का इंतजार, 3 वर्ल्ड कप, 344 वनडे के बाद आखिर 'जीत' ही लिया वर्ल्ड कप!

राहुल द्रविड़ अंडर-19 वर्ल्ड कप

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तीन वर्ल्ड कप और 344 वनडे खेलने के बाद भी द्रविड़ का जो ख्वाब पूरा नहीं हुआ था वह 3 फरवरी 2018 को अंडर-19 क्रिकेट टीम की वर्ल्ड कप जीत के साथ ही पूरा हो गया। कोच द्रविड़ के प्रेरणादायक मार्गदर्शन में शनिवार को भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराते हुए रिकॉर्ड चौथी बार वर्ल्ड कप पर कब्जा जमा लिया। 

भारत के लिए तीन वर्ल्ड कप (1999, 2003, 2007) खेलने के बावजूद द्रविड़ कभी भी वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा नहीं बन पाए थे। हालांकि द्रविड़ ने अपना आखिरी वनडे सितंबर 2011 में तब खेला था जब उससे पांच महीने पहले ही 28 साल बाद टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीत चुकी थी। लेकिन बदकिस्मती से राहुल द्रविड़ को 2011 की वर्ल्ड कप टीम में नहीं चुना गया था।

इस तरह भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार रहे द्रविड़ का वर्ल्ड कप जीतने का सपना अधूरा ही रह गया। लेकिन भले ही कोच के रूप में ही सही आखिरकार अंडर-19 टीम की वर्ल्ड कप जीत के साथ द्रविड़ के नाम भी वर्ल्ड कप जुड़ गया। (पढ़ें: भारत की वर्ल्ड कप जीत पर कोच द्रविड़ का बयान, 'अभी कई नए इतिहास लिखेंगे ये खिलाड़ी')

द्रविड़ की कोचिंग में भारतीय अंडर-19 टीम चैंपियन की तरह खेली

कोच राहुल द्रविड़ के अनुभवी मार्गदर्शन ने पृथ्वी शॉ की कप्तानी वाली भारतीय अंडर-19 को इस तरह तराशा कि पूरे वर्ल्ड कप में कोई भी टीम उसे हराना तो दूर टक्कर तक नहीं दे पाई। बाहर से शांत और अंदर से तूफानी जज्बे वाले द्रविड़ का व्यक्तित्व भारतीय अंडर-19 टीम में भी दिखा। फिर चाहे लक्ष्य का पीछा करते हुए फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को आसानी से मात देना हो या सेमीफाइनल में पाकिस्तान पर 203 रन की जीत, भारतीय खिलाड़ी हमेशा जीत के लिए बेचैन और भूखे दिखे।

हर मैच के साथ उनकी जीत की भूख बढ़ती ही चली गई जो फाइनल में चैंपियन बनने के बाद ही थमी। ये द्रविड़ की कोचिंग का ही असर था कि दुनिया की टॉप-टीमों की मौजदूगी में भी भारतीय टीम ने सबको दोयम साबित कर दिखाया। (पढ़ें: U-19 वर्ल्ड कप: राहुल द्रविड़ ने पहली बार थामी वर्ल्ड कप ट्रॉफी, ट्विटर पर ऐसे मना जश्न)

खुद भी समर्पण की मिसाल रहे हैं राहुल द्रविड़ 

राहुल द्रविड़ ने अपने करियर की शुरुआत एक टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर की थी। उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू इंग्लैंड के खिलाफ जून 1996 में किया था। द्रविड़ पर शुरुआत से ही टेस्ट बल्लेबाज का ठप्पा लग गया। वैसे तो द्रविड़ ने अपना वनडे डेब्यू अप्रैल 1996 में श्रीलंका के खिलाफ कर लिया था लेकिन उन्हें वनडे टीम में जगह बनाने के लिए जमकर संघर्ष करना पड़ा। द्रविड़ ने वनडे क्रिकेटर के तौर पर खुद को साबित किया 1999 के वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाकर। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वनडे क्रिकेट में 10 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले सचिन और गांगुली के बाद तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने। (पढ़ें: ICC U-19 वर्ल्ड कप: बीसीसीआई ने की इनामों की घोषणा, कोच द्रविड़ सहित खिलाड़ियों को मिलेंगे इतने पैसे)

द्रविड़ 2005 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने लेकिन 2007 के वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन के बाद द्रविड़ ने उसी साल खुद ही कप्तानी छोड़ दी। द्रविड़ को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक गिना जाता है। टेस्ट क्रिकेट में नंबर तीन पर उनकी जैसी क्षमता वाला दूसरा बल्लेबाज नहीं हुआ। क्रिकेट के शॉट जितने परफेक्शन के साथ द्रविड़ ने खेला है, शायद ही कोई और खेल पाया हो। द्रविड़ के विकेट पर आने का मतलब होता था भारतीय पारी का जमना और विपक्षी गेंदबाजों की उम्मीदों का खत्म होना, इसी खूबी के कारण वह भारतीय क्रिकेट की दीवार या 'द वॉल' कहलाए। 

द्रविड़ के शानदार करियर में बस एक ही चीज अधूरी थी, अंडर-19 टीम की वर्ल्ड कप जीत के साथ ही गुरु द्रविड़ का वह अधूरा सपना भी पूरा हो गया है!

राहुल द्रविड़ का करियर एक नजर में:
164 टेस्टः 13288 रन, 36 शतक, 63 अर्धशतक
344 वनडे: 10889 रन, 12 शतक, 83 अर्धशतक
1 टी20: 31 रन, 3 छक्के।

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