रिद्धिमान साहा और भुवनेश्वर की चोट से सवालों के घेरे में एनसीए, साहा की जांच करने वाले 'डॉक्टर' पर उठे सवाल

Wriddhiman Saha: रिद्धिमान साहा और भुवनेश्वर कुमार की चोट को लेकर नेशनल क्रिकेट ऐकैडमी सवालों के घेरे में आ गई है

By अभिषेक पाण्डेय | Published: July 27, 2018 05:53 PM2018-07-27T17:53:58+5:302018-07-27T17:53:58+5:30

NCA comes Under Fire in Wriddhiman Saha and Bhuvneshwar Kumar injury case | रिद्धिमान साहा और भुवनेश्वर की चोट से सवालों के घेरे में एनसीए, साहा की जांच करने वाले 'डॉक्टर' पर उठे सवाल

रिद्धिमान साहा और भुवनेश्वर कुमार

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नई दिल्ली, 27 जुलाई: भारत के दो प्रमुख क्रिकेटरों रिद्धिमान साहा और भुवनेश्वर कुमार की चोट ने एक बार फिर से खिलाड़ियों की रिहैबलिटेशन से लेकर फिटनेस के लिए जिम्मेदार बीसीसीआई की नेशनल क्रिकेट ऐकैडमी (एनसीए) को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। हाल के दिनों में जिस तरह पहले साहा और फिर भुवनेश्वर कुमार की चोट को लेकर भ्रामक खबरें सामने आईं उससे एनसीए की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे हैं। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई पूर्व क्रिकेटरों ने बीसीसीआई से पूछा है कि क्रिकेटरों के करियर को बनाने और बिगाड़ने वाली फिटनेस रिपोर्ट जारी करने वाली एनसीए कैसे काम करती है, क्या उसकी कार्यप्रणालियों की निगरानी करने वाले कोई है? 

इसी अखबार की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक एनसीए के चीफ फिजियोथेरेपिस्ट भारतीय क्रिकेटरों की फिटनेस रिपोर्ट उस प्राइवेट क्लीनिक को भेजते थे, जिसके वह डायरेक्टर रह चुके हैं। जो सीधा-सीधा हितों के टकराव का मामला है। रोचक ये कि बीसीसीआई ने पिछले साल हितों के टकराव का ही हवाला देते हुए पिछले साल एक विदेशी फिजियो को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 
 
रिद्धिमान साहा की चोट का हैरान करने वाला मामला इसका उदाहरण है। साहा को अंगूठे या कंधे की चोट थी या अंगूठे और कंधे की चोट थी या पहले अंगूठे की चोट लगी औ फिर कंधे की चोट लगी, ये अब भी रहस्य है। पांच दिन पहले बीसीसीआई ने साहा की चोट की टाइमलाइन शेयर की ये मामला एनसीए की कार्यप्रणाली जितना ही उलझाने वाला है। 

इस टाइमलाइन से सवाल उठता है कि बीसीसीआई को या तो साहा की कंधे की चोट के बारे में कुछ पता नहीं था या उसने इंग्लैंड दौरे के लिए टीम के चयन तक इसे छिपाए रखना का विकल्प चुना?

यही नहीं इस टाइमलाइन में जिस डॉक्टर श्रीकांत नारायणस्वामी का जिक्र है उसका मामला और भी हैरान करने वाला है। बीसीसीआई टाइमलाइन के मुताबिक, 'खेल फिजिशियन, डॉक्टर श्रीकांत नारायणस्वामी से उचित चिकित्सा परामर्श ली गई, जिन्होंने इसके बाद अल्ट्रासाउंड और इंजेक्शन की सलाह दी थी, जो पूरी की गई थी।'

लेकिन सवाल ये कि आखिर डॉक्टर श्रीकांत नारायणस्वामी हैं कौन? क्या वह बीसीसीआई में कोई अधिकारी या उसके सलाहकार हैं? क्या बोर्ड ने डॉक्टर के साथ कोई करार किया है? किस आधार पर इस डॉक्टर की सलाह ली गई थी? इस बारे में बोर्ड में सिर्फ एनसीए के प्रमुख फिजियो को छोड़कर किसी को जानकारी नहीं है।

यहां तक कि जिन खिलाड़ियो की रिपोर्ट इस डॉक्टर को भेजी जाती है उसके बारे में उन्हें भी नहीं पता कि वह बीसीसीआई में किस पद पर है।  

साथ ही सवाल ये भी हैं कि दक्षिण अफ्रीका दौरे से जब साहा कंधे की चोट की वजह से लौटे तो कौन उनकी रिहैबलिटेशन का ध्यान रख रहा था? बोर्ड में कौन उनकी प्रगति की निगरानी कर रहा था और किसने उन्हें आईपीएल में खेलने की इजाजत दी?

कुछ ऐसा ही हाल भुवनेश्वर कुमार की चोट के मामले में भी हैं, जो इंग्लैंड के खिलाफ पहले तीन टेस्ट मैचों से बाहर हैं। भुवी की चोट के मामले में बीसीसीआई के अपने कर्मचारियों के बीच गलतफहमी दिखती है। 

बीसीसीआई के एक अधिकारी का कहना है कि पिछले एक साल के दौरान सालाना करार वाले खिलाड़ियों की चोट के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं है। किस डॉक्टर ने उनकी चोट की पहचान की, किसने सलाह दी, क्या पहले तय कार्यक्रम के अनुसार रिहैबलिटेशन हुआ, क्या इसमें कोई चूक हुई, क्या टूर्नामेंट के दौरान चोट लगी या बाद में चोट लगी? इन सब मामलों के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं है।

इन दोनों मामलो को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि बीसीसीआई-सीओए भले ही भारतीय क्रिकेट के भविष्य का रोडमैप बना रहे हों लेकिन एनसीए की कार्यप्रणाली भारतीय क्रिकेट को चोटिल ही कर रही है!  

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