Highlightsमुथैया मुरलीधरन ने 800 टेस्ट विकेट लिए थे, वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक हैं।रविचंद्रन अश्विन, हनुमा विहारी और ऋषभ पंत ने लाखों क्रिकेटप्रेमियों के दिल जीते।आस्ट्रेलिया के नाथन लियोन वहां तक पहुंचने के काबिल नहीं हैं।
सिडनीः भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथा टेस्ट कल से खेला जाएगा। दोनों टीम 1-1 से बराबरी पर है। ऑस्ट्रेलिया को बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने के लिये जीत की जरूरत है, लेकिन भारत का काम ड्रॉ से भी चल जायेगा।
सीरीज की शुरुआत से सुर्खियों में भारत के स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर नाथन लियोन रहे हैं। इस बीच महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने कहा कि रविचंद्रन अश्विन (377 टेस्ट विकेट) ही मेरे रिकार्ड को तोड़ सकते हैं। आपको बता दें कि श्रीलंका के स्पिन जादूगर ने टेस्ट क्रिकेट में 800 विकेट झटके हैं। शेन वॉर्न (708) दूसरे और अनिल कुंबले (619) तीसरे स्थान पर हैं।
मुथैया मुरलीधरन ने द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड को बताया कि अश्विन के पास मौका है, क्योंकि वह बेहतरीन गेंदबाज है। उनके अलावा कोई और गेंदबाज 800 तक नहीं पहुंच सकता। नाथन लियोन में वह काबिलियत नहीं। वह 400 विकेट के करीब है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिये काफी मैच खेलने होंगे।अश्विन ने 74 टेस्ट में 377 विकेट लिये हैं, जबकि लियोन 99 टेस्ट में 396 विकेट ले चुके हैं।
मुरलीधरन ने लंदन के ‘टेलीग्राफ ’ अखबार के लिए माइकल वॉन के कॉलम में कहा ,‘‘टी20 और वनडे क्रिकेट से सब कुछ बदल गया। जब मैं खेलता था तब बल्लेबाज तकनीक के धनी होते थे और विकेट सपाट रहते थे। अब तो तीन दिन में मैच खत्म हो रहे हैं। मेरे दौर में गेंदबाजों को नतीजे लाने और फिरकी का कमाल दिखाने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते थे।’’
मुरलीधरन के नाम टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक 800 विकेट हैं जबकि उन्होंने कहा ,‘‘ आजकल लाइन और लैंग्थ पकड़े रहने पर पांच विकेट मिल ही जाते हैं क्योंकि आक्रामक खेलते समय बल्लेबाज लंबा नहीं टिक पाते ।’’
मुरलीधरन ने वॉर्न, कुंबले, सकलेन मुश्ताक, मुश्ताक अहमद और बाद में हरभजन सिंह के समय में क्रिकेट खेली। उन्होंने कहा ,‘‘ उस समय स्पिनरों को विकेट के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। यही वजह है कि दूसरी गेंदें तलाशने पर काम करते थे। अब टी20 के आने से विविधता में बदलाव आया है।’’
मुरलीधरन ने डीआरएस के आने के बाद सिर्फ एक सीरीज 2008 में भारत के खिलाफ खेली और उनका मानना है कि उस समय इस तकनीक के इस्तेमाल से उनके विकेट और अधिक होते। उन्होंने कहा कि मैं यही कहूंगा कि डीआरएस होता तो मेरे नाम और भी विकेट होते क्योंकि तब बल्लेबाज पैड का इस्तेमाल इतनी आसानी से नहीं कर पाते। उन्हें संदेह का लाभ मिल जाता था।