भारतीय टीम की वर्ल्ड कप तैयारियों को जोरदार झटका लगा है। बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के हाथों पांचवें वनडे में मिली 35 रन की हार के साथ ही टीम इंडिया पांच वनडे मैचों की सीरीज 3-2 से गंवा बैठी। भारतीय टीम पहले दो मैच जीतकर सीरीज में 0-2 से आगे थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने जोरदार वापसी करते हुए लगातार तीन मैच जीतते हुए सीरीज अपने नाम कर ली।
ये वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया की आखिरी इंटरनेशनल सीरीज थी, जिसमें उसके पास वर्ल्ड कप के लिए अपनी तैयारियां पुख्ता करने का मौका था, लेकिन हुआ इसके उलट और अब तो टीम इंडिया की खेलों के महासमर की तैयारियों को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। भारतीय टीम 2009 के बाद से और विराट कोहली की कप्तानी में पहली बार घर में वनडे सीरीज हारी है। ये पिछले 40 महीनों में भारत की घर में पहली वनडे सीरीज हार है।
विराट कोहली की कप्तानी में सिर्फ दो महीने पहले ही भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ उनके घर में वनडे सीरीज जीतते हुए अपनी धाक जमाई थी, लेकिन अब अपने ही घर में मिली इस हार ने इस टीम में ऐसी कई कमियां उजागर की हैं, जिनका वर्ल्ड कप से पहले समाधान खोजना जरूरी है। भारतीय टीम को वर्ल्ड कप 2019 के लिए 23 अप्रैल तक अपनी टीम चुननी है, यानी कि उसके पास अपनी कमियों को तलाशने और उन्हें दूर करने के लिए अभी 40 दिन का वक्त है।
अपने घर में टीम इंडिया की हार के 5 बड़े कारण
1.कोहली को छोड़कर फ्लॉप रही भारतीय बैटिंग:
विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में दो लगातार शतक जड़ते हुए 310 रन बनाए और ख्वाजा के बाद दूसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। लेकिन उनके अलावा टीम इंडिया के ज्यादातर बल्लेबाजों ने निराश किया। पहले मैच में कोहली-जाधव ने पांचवें विकेट के लिए हुई अविजित शतकीय मैच-जिताऊ साझेदारी को छोड़ दें तो ज्यादातर मौकों पर भारतीय बल्लेबाजों ने निराश किया। मोहाली में खेले गए चौथे वनडे में रोहित शर्मा (95) और शिखर धवन (143) का बल्ला चमका, लेकिन गेंदबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से भारत 358 रन का स्कोर खड़ा करने के बावजूद हार गया।
2.ख्वाज की अगुवाई में चमकी ऑस्ट्रेलियाई बैटिंग:
उस्मान ख्वाजा इस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया के सुपरस्टार साबित हुए। टी20 सीरीज में ग्लेन मैक्सवेल ने जो धमाका किया था, कुछ ऐसा ही कमाल ख्वाजा ने वनडे सीरीज में किया। ख्वाजा ने इस सीरीज में दो शतक और दो अर्धशतकों की मदद से 383 रन बनाए और सबसे कामयाब बल्लेबाज रहे। ख्वाजा के अलावा एश्टन टर्नर ने मोहाली में 43 गेंदों में 84 रन की तूफानी पारी खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया को 359 रन का असंभव लगने वाला लक्ष्य आसान बना दिया। इन दोनों के अलावा पीटर हैंड्सकॉम्ब ने भी मोहाली में 117 और दिल्ली में 52 रन की पारियां खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया की सीरीज जीत में अहम योगदान दिया।
3.कमिंस-जंपा की जोड़ी भारत पर पड़ी भारी:
न सिर्फ बल्लेबाजी बल्कि गेंदबाजी में भी ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को उन्नीस साबित कर दिखाया। ऑस्ट्रेलिया के लिए पैट कमिंस ने सीरीज में सर्वाधिक 14 और एडम जंपा ने 11 विकेट झटके। इन दोनों ने पूरी सीरीज में भारतीय बल्लेबाजों का जीना मुहाल किया। इन दोनों का बखूबी साथ दिया जाय रिचर्डसन ने। दिल्ली वनडे में जंपा और कमिंस की वजह से ही टीम इंडिया 273 रन के लक्ष्य के सामने 237 रन पर ढेर हो गई।
4.ओस का आकलन करने में फेल रहे कोहली:
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने रांची वनडे हारने के बाद माना था कि वह ओस का आकलन करने में चूक गए। इस मैच में भारत ने टॉस जीतने के बावजूद दूसरी पारी में ओस पड़ने की उम्मीद में ऑस्ट्रेलिया को पहले बैटिंग दे दी और ऑस्ट्रेलिया ने इसका फायदा उठाते हुए 315 रन ठोक दिए, जवाब में भारतीय टीम 281 रन पर सिमट गई। इस मैच में ओस ही नहीं पड़ी। इसके बाद मोहाली में भी भारत ने दूसरे वनडे में ओस पड़ने की उम्मीद में पहले बैटिंग ले ली और 359 रन का स्कोर खड़ा कर दिया। लेकिन इस बार भी आकलन गलत साबित हुआ और ऑस्ट्रेलिया ने लक्ष्य 13 गेंदें बाकी रहते ही हासिल कर लिया। दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर गेंदबाजों के लिए मददगार परिस्थिति में पहले बैटिंग की और 272 रन बनाने के बावजूद मैच 35 रन से जीत लिया।
5.लगातार बदलाव पड़ा टीम इंडिया को भारी:
टीम इंडिया इस पूरी सीरीज के दौरान वर्ल्ड कप के लिए टीम का बेस्ट संयोजन तलाशती रही। इसके लिए भारत ने हर मैच में लगातार टीम में बदलाव किए। उदाहरण के लिए ऋषभ पंत को मौका देने के लिए भारत ने आखिरी दो वनडे में धोनी को नहीं खिलाया, जबकि केएल राहुल को खिलाने के लिए अंबाती रायुडू को बाहर किया। लेकिन फिर भी भारत चौथे और पांचवें नंबर के लिए सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी नहीं तलाश पाया।
ऐसा ही कुछ गेंदबाजी में भी हुआ और टीम ने लगभग हर मैच में गेंदबाजी में बदलाव किए। लेकिन भारतीय गेंदबाज पहले दो वनडे के बाद कभी भी अपनी लय हासिल नहीं कर सके। आखिरी तीन वनडे में तो जसप्रीत बुमराह भी लय से भटके नजर आए। चहल-कुलदीप की जोड़ी सिर्फ एक मैच में साथ खेली और भारतीय टीम उसी मैच में 358 रन के लक्ष्य का भी बचाव नहीं कर पाई। ये पहली बार था जब भारत वनडे में 350 रन के लक्ष्य का बचाव नहीं कर पाया।