नई दिल्ली, 17 अप्रैल। बीसीसीआई की तकनीकी समिति ने कई सिफारिशों को प्रस्तावित किया है, जिसमें 2018-19 सत्र की शुरुआत विजय हजारे ट्रॉफी से करने के अलावा रणजी ट्रॉफी में एक अतिरिक्त दौर शामिल करने का प्रावधान है। तकनीकी समिति की कोलकाता में ढाई घंटे लंबी बैठक चली, जिसमें इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या रणजी मैचों को एसजी की जगह कूकाबूरा गेंद से खेला जा सकता है।
रणजी ट्रॉफी में होगा प्री-क्वार्टरफाइनल
यहां रखे गए प्रमुख सुझावों में से एक यह भी था कि रणजी ट्रॉफी में 16 (प्री-क्वार्टर फाइनल) मैच के दौर की शुरुआत की जाए। तकनीकी समिति के एक सदस्य ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि पिछले दिनों मुंबई में हुए कप्तान-कोच सम्मेलन में ज्यादातर राज्यों के कप्तान इसमें प्री-क्वार्टर फाइनल को शामिल करने के पक्ष में थे। फिलहाल हमारे पास चार ग्रुप है, जिससे शीर्ष की दो टीमें क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करती है।
उन्होंने कहा कि कप्तानों को लगता है कि नॉकआउट दौर प्री-क्वार्टर फाइनल से ही शुरू हो जाना चाहिए, इसलिए तकनीकी समिति चाहती है कि राउंड ऑफ 16 को रणजी ट्रॉफी में शामिल किया जाए। इसका मतलब होगा आठ अतिरिक्त मैच और 16 टीमों के लिए एक अतिरिक्त मैच।
पश्चिमी भारत में सूखे और मानसून में कम बारिश की स्थिति को देखते हुए यह फैसला किया गया कि विजय हजारे ट्रॉफी से सत्र की शुरुआत हो। अक्टूबर में रणजी ट्रॉफी शुरू करने से कई चार दिवसीय मैच प्रभावित होते है, जिनका कोई परिणाम नहीं निकलता।
घरेलू मैचों के कैलेंडर में बदलाव
उन्होंने कहा कि घरेलू मैचों के कैलेंडर में बदलाव किया जा सकता है। यह अब हजारे ट्रॉफी से शुरू होगा और फिर रणजी ट्रॉफी के ग्रुप लीग चरण के मैच होंगे। उसके बाद सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (राष्ट्रीय टी-20 टूर्नामेंट) जिससे आईपीएल टीमों को भी प्रतिभा पहचान करने में मदद मिले। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के बाद रणजी ट्रॉफी के प्री - क्वार्टरफाइनल से नाक आउट चरण शुरू होगा।
उन्होंने कहा कि तकनीकी समिति के अध्यक्ष सौरव गंगुली चाहते है कि ऐसा कार्यक्रम बने जिसमें जल्द बदलाव करने की जरूरत नहीं हो और उसमें निरंतरता रहे। संवाददाता सम्मेलन में बीसीसीबाई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा कि ऐसे सुझाव मिले थे कि रणजी ट्राफी में लाल कूकाबुरा गेंद का इस्तेमाल किया जाए लेकिन वे भारत में बने एसजी टेस्ट गेंद का प्रयोग जारी रखना चाहते है।
चौधरी ने संकेत दिया कि दलीप ट्राफी को एकबार फिर दिन - रात्रि प्रारूप में गुलाबी गेंद से खेला जाएगा और नये स्थलों पर मैच करने का बीसीसीआई का अनुभव अच्छा रहा है। इस मौके पर महिला क्रिकेट के बारे में भी चर्चा हुई और समिति का मानना था कि खेल को लोकप्रिय बनाने और नए प्रतिभाओं की पहचान के लिए बीसीसीआई को सीमित ओवरों के मैच खेलने पर ध्यान देना चाहिए।