Crude oil: दुनिया में जारी क्रूड की जंग अब समाप्त, कच्चा तेल 18 साल के निचले स्तर पर
By भाषा | Published: April 15, 2020 03:40 PM2020-04-15T15:40:21+5:302020-04-15T15:40:21+5:30
कोरोना वायरस के प्रकोप की बीच दुनिया में जारी क्रूड की जंग अब समाप्त हो गई है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गए हैं कि उत्पादन में रिकॉर्ड कटौती करेंगे ताकि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ सके।
लंदनः कच्चे तेलके उत्पादन में कटौती के लिए प्रमुख तेल उत्पादक देशों के बीच सहमति बन जाने के बाद भी इसके भावों में में गिरावट जारी है और बुधवार को भाव 18 साल के निचले स्तर पर आ गये।
अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडियेट तेल बुधवार को गिरकर 19.20 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। यह 2002 के बाद से इसका निचला स्तर है। ब्रेंट क्रूड भी गिरकर 28.38 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह ओपेक समेत अन्य प्रमुख उत्पादक देश गिरती कीमतों को संभालने के लिये उत्पादन में कटौती करने पर सहमत हुए हैं।
हालांकि जितनी कटौती पर सहमति बनी है, उसे पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चा तेल की वैश्विक मांग में आयी भारी गिरावट का भी दबाव कायम है। हाजिर बाजार में नरम मांग के कारण कारोबारियों के सौदे घटाने से बुधवार को वायदा कारोबार में कच्चा तेल 11.4 प्रतिशत गिरकर 1,577 रुपये प्रति बैरल पर आ गया।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में अप्रैल डिलिवरी वाले कच्चे तेल की कीमत 203 रुपये यानी 11.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,577 रुपये प्रति बैरल रह गई। इसमें 29,934 लॉट के लिए कारोबार हुआ। इसी तरह मई डिलिवरी के लिए कच्चा तेल की कीमत 144 रुपये यानी 6.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,102 रुपये प्रति बैरल रह गई।
इसमें 4,160 लॉट के लिए कारोबार हुआ। बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कच्चा तेल की वायदा कीमतों में गिरावट आने का मुख्य कारण कमजोर मांग के बीच कारोबारियों द्वारा अपने सौदों की कटान करना रहा। हालांकि, वैश्विक स्तर पर न्यूयार्क में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 0.05 प्रतिशत बढ़कर 20.12 डॉलर प्रति बैरल पर रहा। ब्रेंट क्रूड 1.45 प्रतिशत गिरकर 29.17 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
जी-20 देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों की शुक्रवार को हुई टेली कांफ्रेंस में कच्चे तेल उत्पादन घटाने के प्रस्ताव पर उत्पादक देशों के बीच खूब खींचतान हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्तक्षेप के बावजूद मैक्सिको अड़ गया था। बैठक के अंत में जो बयान जारी हुआ उसमें मतभेदों पर लीपा-पोती की गयी और उत्पादन के कटौती का जिक्र तक नहीं किया जा सका। बयान में बस इतना ही कहा गया कि बैठक ने कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए ‘तेल बाजार में स्थायित्व’ सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के नेतृत्व में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के बीच एक दिन पहले समझौता हुआ था कि मई अैर जून में दैनिक तेल उत्पादन दस-दस लाख बैरल घटाया जाएगा। उसके बाद अप्रैल 2022 तक उत्पादन में धीरे धीरे और कमी की जाएगी। जी20 की बैठक में मैक्सिको अकेले इस समझौते के खिलाफ खड़ा रहा। इस गतिरोध से कच्चे तेल का दैनिक उत्पादन घटा कर दाम चढ़ाने के प्रयासों का सफल होना संदिग्ध हो गया है। कोरोना वायरस और सऊदी अरब तथा रूस के बीच बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने की होड़ के बीच तेल का भाव करीब दो दशक के न्यूनतम स्तर पर आ गया है। जी20 मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक संगठन के मौजूदा अध्यक्ष और ओपेक के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब ने बुलाई थी।