Vodafone-Idea: एजीआर बकाया, एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान, कुल भुगतान 7,854 crore
By भाषा | Published: July 18, 2020 06:02 PM2020-07-18T18:02:13+5:302020-07-18T19:17:48+5:30
वोडाफोन आइडिया ने एक नियामकीय सूचना में कहा कि कंपनी ने पहली तीन किश्तों में 6,854 करोड़ रुपये जमा किये थे। इसके बाद कंपनी ने कल (17 जुलाई 2020) को एजीआर बकाया राशि को लेकर दूरसंचार विभाग को अतिरिक्त एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया।
नई दिल्लीः दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी वोडाफोन आइडिया ने शनिवार को कहा कि उसने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के सांविधिक बकाये को लेकर सरकार को अतिरिक्त एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस तरह कंपनी का अब तक का कुल भुगतान 7,854 करोड़ रुपये हो गया है।
यह भुगतान ऐसे समय किया गया है, जब एजीआर मामले पर उच्चतम न्यायालय 20 जुलाई को सुनवाई करने वाला है। वोडाफोन आइडिया ने एक नियामकीय सूचना में कहा कि कंपनी ने पहली तीन किश्तों में 6,854 करोड़ रुपये जमा किये थे। इसके बाद कंपनी ने कल (17 जुलाई 2020) को एजीआर बकाया राशि को लेकर दूरसंचार विभाग को अतिरिक्त एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसके साथ, कंपनी ने एजीआर बकाये को लेकर अब तक 7,854 करोड़ रुपये की कुल राशि का भुगतान किया है।
ताकि पता चले कि वह पूरा भुगतान करने की नीयत रखते हैं
एजीआर मामले पर उच्चतम न्यायालय ने पिछली सुनवायी में कहा था कि वोडाफोन आइडिया सहित निजी दूरसंचार कंपनियों को उचित भुगतान योजना के साथ आना चाहिये। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा था कि कंपनियों को अभी कुछ बकाये का भुगतान भी करना चाहिये, ताकि पता चले कि वह पूरा भुगतान करने की नीयत रखते हैं। कंपनियों को पिछले 10 साल का वित्तीय लेखा जोखा भी पेश करने को कहा गया। दूरसंचार कंपनियों के ऊपर करीब 1.6 लाख करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।
इसमें वोडाफोन आइडिया के ऊपर कुल 58 हजार करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, विधायी बकाये को लेकर प्रावधान करने से मार्च तिमाही में वोडाफोन आइडिया को 73,878 करोड़ रुपये का भारी भरकम घाटा हुआ था।
कंपनी ने तब कहा था कि देनदारियां उसके परिचालन में बने रहने को मुश्किल बना रही हैं। दूरसंचार विभाग की गणना के हिसाब से वित्त वर्ष 2016-17 तक वोडाफोन आइडिया के ऊपर 58,254 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। हालांकि कंपनी ने गणना की कुछ गलतियों तथा पहले किये गये कुछ भुगतान पर दूरसंचार विभाग द्वारा गौर नहीं किये जाने का हवाला देते हुए कहा कि इन्हें समायोजित करने के बाद उसके ऊपर बकाया 46 हजार करोड़ रुपये है।
Vodafone-Idea yesterday paid a further sum of Rs 1000 crore to the Department of Telecommunications towards the adjusted gross revenue AGR dues. It had earlier deposited Rs 6,854 cr in 3 tranches. The Company has thus paid an aggregate amount of Rs 7,854 cr towards the AGR dues. pic.twitter.com/QO5aXsErjY
— ANI (@ANI) July 18, 2020
दूरसंचार न्यायाधिकरण ने वोडाफोन आइडिया मामले में ट्राई के निर्देश पर रोक लगायी
दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट ने वोडाफोन आइडिया को अंतरिम राहत दी है। न्यायाधिकरण ने ट्राई के वोडाफोन आइडिया को अपनी प्राथमिकता वाली योजना को लागू नहीं करने के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी। इस योजना में कंपनी के कुछ श्रेणी के ग्राहकों को प्राथमिकता के आधार 4जी नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गयी थी। दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) ने अपने आदेश में कहा कि ट्राई इस मामले की जांच करे और नैसर्गिक न्याय की जरूरत को सुनिश्चित करने के बाद यथाशीघ्र कानून के अनुसार अंतिम आदेश दे।
मामले में वोडाफोन आइउिया लि. (वीआईएल) को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका दिया जाए। न्यायाधिकरण के इस निर्देश के साथ वीआईएल अगले आदेश तक प्राथमिकता वाली योजना में नये ग्राहकों को जोड़ सकेगी। अपने आदेश में न्यायाधिकरण ने कहा कि वीआईएल की रेडएक्स पेशकश के निलंबन के पीछे प्रथम दृष्ट्या कारणों का अभाव है। यह दलील कि निलंबन से दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के लिये विस्तार से जांच करना सुगम होगा, इसमें ठोस वजह का अभाव है।
इस सप्ताह की शुरूआत में वीआईएल ने न्यायाधिकरण में अर्जी देकर दूरसंचार नियामक एवं विकास प्राधिकरण (ट्राई) के उस निर्देश को चुनौती दी थी, जिसमें मामले की समीक्षा तक रेडएक्स प्राथमिकता योजना को टाले जाने को कहा गया था। यह योजना कुछ ग्राहकों को प्राथमिकता के आधार पर 4जी नेटवर्क उपलब्ध कराने की पेशकश करता है।
आदेश में कहा गया है कि इसीलिए ट्राई के 11 जुलाई को जारी पत्र के दूसरे पैराग्राफ में दिये गये अंतरिम निर्देश पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगायी जाती है। पत्र में ट्राई ने वीआईएल से योजना पर रोक लगाने को कहा था। हालांकि, टीडीसैट ने यह भी साफ किया कि ट्राई इस मामले की जांच करे और नैसर्गिक न्याय की जरूरत को सुनिश्चित करने के बाद यथाशीघ्र कानून के अनुसार अंतिम आदेश दे। मामले में वीआईएल को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका भी दिया जाना चाहिये।