उत्तराखंड में पतंजलि 1000 करोड़ से अधिक का निवेश करेगी, गुरु रामदेव बोले-संस्कृति और स्वास्थ्य पर करेंगे फोकस
By भाषा | Published: September 15, 2022 03:36 PM2022-09-15T15:36:49+5:302022-09-15T15:38:09+5:30
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मौजूद रामदेव ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य का अनुष्ठान उत्तराखंड से शुरू होगा।
देहरादूनः योग गुरु स्वामी रामदेव ने बुधवार को कहा कि पतंजलि उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक का पूंजी निवेश करेगी।
उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री में रक्तवन ग्लेशियर एवं अन्य तीन पर्वत चोटियों पर आरोहण के लिए जा रहे पतंजलि आयुर्वेद, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) और भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (आईएमएफ) के संयुक्त अभियान दल की रवानगी के मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मौजूद रामदेव ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य का अनुष्ठान उत्तराखंड से शुरू होगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तराखंड आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक राजधानी बनने जा रहा है और इसके लिए पतंजलि सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है। रामदेव के करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में रक्तवन ग्लेशियर जा रहे सात सदस्यीय दल के साथ मुख्यमंत्री ने करीब एक किलोमीटर तक ट्रैकिंग भी की।
इस अवसर पर उन्होंने गंगोत्री मंदिर में पूजा अर्चना भी की । इस मौके पर धामी ने कहा कि यह अभियान उत्तराखंड एवं भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि इसके माध्यम से आयुर्वेद, जड़ी बूटी एवं वनस्पति औषधियों के नए रूप सामने आएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत ने संपूर्ण विश्व को योग एवं आयुर्वेद की उपयोगिता बताई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने उत्तराखंड को विश्व की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक राजधानी बनाने का संकल्प लिया है जिसके लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं ।
धामी ने कहा कि इस बार चार धाम यात्रा में अभी तक 32 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की है जबकि कांवड़ यात्रा के दौरान करीब चार करोड़ कांवड़िए प्रदेश में आए। आचार्य बालकृष्ण ने अभियान को प्रकृति, संस्कृति से जुड़ने का प्रयास बताते हुए कहा कि इस ट्रैक के माध्यम से ऐसी वनस्पति औषधियों को खोजने का प्रयास किया जाएगा जो किसी सूची में नहीं हैं।
उन्होंने इस ट्रैक को शोध आधारित यात्रा बताया। इस 15 दिवसीय अभियान के दौरान अनाम तथा अनारोहित पर्वत शिखरों का आरोहण तथा हिमालय के इस दुर्गम क्षेत्र में अन्वेषण का कार्य सम्पन्न किया जायेगा। इस इलाके में स्वतन्त्रता के पश्चात 1981 में अन्वेषण का कार्य भारत-फ्रांस संयुक्त दल द्वारा किया गया था लेकिन अथक प्रयासों के बावजूद वह केवल आधे इलाके का ही भ्रमण कर सका था ।