नयी दिल्ली, 12 नवंबर केंद्र सरकार द्वारा जुटाए गए उपकर और अधिभार में कम से कम कुछ हिस्सा राज्यों को दिया जाना चाहिए। विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यह राय जताई।
शोध संस्थान एनसीएईआर द्वारा ‘रि-इमेजिनिंग फिस्कल फेडरलिज्म’ पर एक संगोष्ठी में भाग लेते हुए विशेषज्ञों ने यह बात कही।
वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों के जवाब में तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने राज्यों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता दिए जाने पर जोर दिया।
कुछ इसी तरह की राय केरल के पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्यों को कम से कम राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी) दरों में बढ़ोतरी की आजादी दी जानी चाहिए।
राज्यसभा सदस्य और बिहार के पूर्व वित्त मंत्री सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जुटाए गए उपकर और अधिभार के कुछ हिस्सों को वितरण वाले पूल में शामिल किया जाना चाहिए। राज्यों को इसमें हिस्सा वित्त आयोग की सिफारिश के बाद मिलता है।
मोदी ने कहा कि हमें कुछ फॉर्मूला निकालना चाहिए जिससे उपकर का कुछ हिस्सा इस पूल में आ सके।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को निकट भविष्य में जीएसटी में लाना व्यावहारिक होगा।’’
त्यागराजन ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा उत्पादों को राज्यों के लिए छोड़ा जाना चाहिए।
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