ग्रामीण उपभोक्ता कीमत को लेकर काफी संजीदा, चालू तिमाही में जीडीपी में बदलाव की उम्मीद- आरबीआई
By आकाश चौरसिया | Published: November 16, 2023 07:06 PM2023-11-16T19:06:22+5:302023-11-16T19:14:02+5:30
केंद्रीय बैंक ने अपने नवंबर बुलेटिन में कहा है कि गैर-खाद्य कंपनियां, खाद्य कंपनियों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। वो ऐसा संभव इसलिए कर पा रही है क्योंकि आंशिक रूप से छोटे और क्षेत्रीय रिटेलर द्वारा बिक्री में उन्हें मदद मिल रही है।
नई दिल्ली: आरबीआई के अनुसार, ग्रामीण उपभोक्ता कीमत को लेकर काफी संजीदा बना हुआ है और इसी के चलते वह सस्ते सामानों की ओर रुख कर रहा है। इसके साथ ही छोटे पैक और साइज वाले प्रोडेक्ट को भी ज्यादा पसंद कर रहा।
केंद्रीय बैंक ने अपने नवंबर बुलेटिन में कहा है कि गैर-खाद्य कंपनियां, खाद्य कंपनियों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। वो ऐसा संभव इसलिए कर पा रही है क्योंकि आंशिक रूप से छोटे और क्षेत्रीय रिटेलर द्वारा बिक्री में उन्हें मदद मिल रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में इसी मांग के चलते उपभोक्ता सामान के राजस्व एक तिहाई प्राप्त हुआ है। वहीं, ग्रामीण बिक्री क्षेत्रों में बढ़ोतरी को लेकर यह भी बताया कि यह शहरों के मुकाबले 10 फीसदी से 6.4 प्रतिशत ज्यादा रहेगी। तेजी से आगे बढ़ने वाली उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र की कंपनियों (एफएमसीजी) ने कम वृद्धि दर्ज की, इसका मुख्य कारण उनकी ग्रामीण क्षेत्रों में कम बिक्री रही है।
त्योहारी मांग उत्साहपूर्ण रहा है। शहरी क्षेत्रों में, उपभोक्ता उपकरणों की मजबूत मांग, खासकर मध्य और प्रीमियम सेगमेंट में रही। बताया गया है कि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की लगभग 80 फीसदी खरीदारी ईएमआई के जरिए करता है।
आरबीआई का कहना है कि एंट्री-लेवल सेगमेंट की मांग अपेक्षाकृत कम है क्योंकि "प्रीमियमाइजेशन" एक सतत प्रवृत्ति में विकसित होने के स्पष्ट संकेत दिखाता है। आरबीआई ने कहा है कि किफायती आवासीय क्षेत्र की बिक्री में कमी आई है, क्योंकि ब्याज दर भी बढ़ी हैं। लेकिन, 1 से 2 करोड़ और 50 से 1 करोड़ के घरों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है। त्यौहारी खर्च और इस दौरान उपभोक्ता उत्साह भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा रिकॉर्ड ऋण वितरण को बढ़ावा दे रहे हैं।
आरबीआई का कहना है कि चालू तिमाही में जीडीपी में बदलाव की गति थोड़े समय के लिए अधिक रहने की उम्मीद है। बैंकिंग नियामक का कहना है कि सरकार के बुनियादी ढांचे पर खर्च, निजी पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी, स्वचालन, डिजिटलीकरण और स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलने से निवेश मांग लचीली प्रतीत होती है।
आरबीआई के मुताबिक, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में पांच महीने के निचले स्तर 4.9% पर आ गई, जो 2022-23 में 6.7% और जुलाई-अगस्त 2023 में 7.1% के औसत से कम थी।
आरबीआई की ओर से कहा गया कि वो अभी तक मुश्किलों से बाहर नहीं निकले हैं और अभी मीलों चलना है, लेकिन सितंबर और अक्टूबर में क्रमशः लगभग 5 प्रतिशत और 4.9 प्रतिशत की रीडिंग 2022-23 में 6.7 प्रतिशत और जुलाई-अगस्त 2023 में 7.1 प्रतिशत के औसत से एक स्वागत योग्य राहत है।