लाइव न्यूज़ :

दाल-दलहन, खाद्य तेल पर बना रहेगा मांग- आपूर्ति असंतुलन का दबाव: रिजर्व बैंक

By भाषा | Updated: May 27, 2021 18:36 IST

Open in App

मुंबई, 27 मई मांग-आपूर्ति असंतुलन की वजह से दलहन और खाद्य तेल जैसे खाद्य पदार्थों पर दबाव बना रह सकता है, हालांकि वर्ष 2020-21 की बम्पर पैदावार को देखते हुए आने वाले समय में अनाज की कीमतों में नरमी आ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा।

रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर का असर मार्च में संक्रमण मामलों के बढ़ने के कारण आगे चलकर महंगाई पर भी दिख सकता है। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक का मानना है कि कच्चे तेल के दाम में निकट भविष्य में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के बीच का अंतर, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति व्यवहार को दर्शाता है।

इसमें कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई)-आधारित खाद्य मुद्रास्फीति पिछले साल देशव्यापी ‘लॉकडाऊन’ के बाद बढ़ गयी, जब​​​​कि थोकमूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में शामिल उत्पादों की मुद्रास्फीति इस दौरान कम हो गई। ‘‘इसमें आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधानों और अवसरवादी मूल्य निर्धारण की भूमिका परिलक्षित होती है।’’

रिजर्व बैंक ने यह भी कहा कि लॉकडाउन के बाद की अवधि में खुदरा कीमतों में वृद्धि खाद्य कीमतों में गर्मियों के मौसम में होने वाली सामान्य वृद्धि तुलना में बहुत अधिक थी।

आरबीआई की रिपोर्ट में कहा है कि साल के दौरान थोक और खुदरा मुद्रास्फीति के बीच पर्याप्त अंतर लगातार आपूर्ति बाधाओं और खुदरा मार्जिन अधिक रहने की ओर इशारा करता है। इससे माल एवं सामग्री का बेहतर आपूर्ति प्रबंधन महत्वपूर्ण हो गया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘मांग और आपूर्ति में असंतुलन बने रहने से दलहन और खाद्य तेल जैसे खाद्य पदार्थों की ओर से दबाव बने रहने की संभावना है, जबकि वर्ष 2020-21 में अनाज की बंपर पैदावार के साथ अनाज की कीमतों में नरमी आ सकती है।’’

कच्चे तेल की कीमतों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में मांग बढ़ने की उम्मीद में दाम बढ़ने लगे हैं जबकि दूसरी तरफ तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) सदस्य और उनके सहयोगी दूसरे देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती को जारी रखा हुआ है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों में उतार- चढ़ाव बना रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “महामारी आम तौर पर बाजारों की प्रतिस्पर्धी को काफी कम कर देती है, मार्च 2021 से महामारी के दूसरी लहर की शुरुआत के साथ सक्रिय कोविड ​​​​-19 मामलों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ निरोधक उपायों के बीच आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ने वाले प्रभाव आगे जाकर मुद्रास्फीति पर असर डाल सकते हैं।’’

रिजर्व बैंक ने कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान मुख्य मुद्रास्फीति औसतन 6.2 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.4 प्रतिशत अंक अधिक है। वहीं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2020-21 के दौरान कमजोर रही।

डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति 2020-21 में कम होकर 1.3 प्रतिशत रह गई, जो वर्ष 2019-20 में 1.7 प्रतिशत थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठPanchang 16 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 16 December 2025: आज कर्क राशिवालों के सामने आएंगी आर्थिक चुनौतियां, जानें सभी राशियों का भविष्य

भारतIndo-Pak War 1971: शौर्य और पराक्रम से पाक को चटाई थी धूल

कारोबारभारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंकता ग्रामीण भारत, 2024-25 में 35.77 करोड़ टन अनाज पैदा करके ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया

भारतबिहार के मुजफ्फरपुर जिले में अपने पांच बच्चों के साथ फांसी के फंदे से झूल गया अमरनाथ राम, तीन की मौत, दो की बच गई जान

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारGold Price Record High: निवेशकों में हड़कंप, सोना ₹1.37 लाख प्रति 10 ग्राम

कारोबार30 नवंबर तक नए, मौजूदा और सेवानिवृत्त सहित कुल 122123 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों ने यूपीएस को चुना

कारोबारअब तक 17.24 लाख टोकन से 87 लाख टन धान की खरीदी, किसानों  को 7 हजार 771 करोड़ रुपए का भुगतान 

कारोबारमनरेगा की जगह विकसित भारत-जी राम जी?, साल में 125 दिन रोजगार, कानून लाएगी केंद्र सरकार

कारोबारनवंबर में 19.37 प्रतिशत बढ़कर 38.13 अरब अमेरिकी डॉलर निर्यात, आयात 1.88 प्रतिशत घटकर 62.66 अरब अमेरिकी डॉलर