पेट्रोल तीन महानगरों में 80 पार, दिल्ली में 79.4 रुपये, जानिए आज के पेट्रोल-डीजल के रेट
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 5, 2018 07:30 AM2018-09-05T07:30:37+5:302018-09-05T07:39:41+5:30
Petrol-diesel Prices Update 5th September: सरकार ने पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिये उत्पाद शुल्क में कटौती की संभावनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया।
नई दिल्ली, 5 सितंबर: पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस वक्त पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के मुताबिक बुधवार (5 सितंबर) को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 79.4 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 86.72 रुपये प्रति लीटर रहेगा। इसके अलावा दिल्ली में डीजल 71.43 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 75.74 रुपये प्रति लीटर है। यह अब तक की पेट्रोल-डीजल की कीमतों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी है। जानिए कीमतें-
5 सितंबर को पेट्रोल की कीमत
शहर | बुधवार की कीमतें |
दिल्ली | 79.4 रुपए |
कोलकाता | 82.31 रुपए |
मुंबई | 86.72 रुपए |
चेन्नई | 82.51 रुपए |
Visuals of a petrol pump in Mumbai. Price of petrol in the city today is Rs 86.72/litre and diesel is at Rs 75.74/litre. pic.twitter.com/HZ2coaGigW
— ANI (@ANI) September 4, 2018
चार महानगरों में 5 सितंबर को डीजल की कीमत:-
Visuals of a petrol pump in Mumbai. Price of petrol in the city today is Rs 86.72/litre and diesel is at Rs 75.74/litre. pic.twitter.com/HZ2coaGigW
— ANI (@ANI) September 4, 2018दिल्ली | 71.43 रुपए |
कोलकाता | 74.27 रुपए |
मुंबई | 75.74 रुपए |
चेन्नई | 75.48 रुपए |
* ये रेट 5 सितंबर 2018 को सुबह 6 बजे से लागू हैं। भारत के सभी छोटे से छोटे शहर का रेट जानने के लिए यहां क्लिक करें।
बता दें कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां नियमित रूप से पेट्रोल-डीजल के दामों की समीक्षा करती हैं और रोजाना सुबह 6 बजे के बाद नई कीमतें लागू होती हैं।
गोरखपुर में समाजवादी पार्टी का पेट्रोल-डीजल पर प्रदर्शन
समाजवादी पार्टी और निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढोतरी के विरोध में मंगलवार को पादरी बाजार चौराहे पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद ने किया ।
बैनर पोस्टर लिये कार्यकर्ताओं ने सरकार, सरकार की नीतियों और पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढोतरी के खिलाफ नारेबाजी की ।
निषाद ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चार साल हो गये हैं और लगता है कि सरकार आम आदमी की समस्याओं को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है । हर समय पेट्रोल डीजल के दाम बढ जाते हैं। प्रदर्शनकारियों ने ये मांग भी की कि पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए ।
सरकार का पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती से इनकार, कहा इसकी गुंजाइश नहीं
सरकार ने पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिये उत्पाद शुल्क में कटौती की संभावनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया। सरकार ने कहा है कि राजस्व वसूली में किसी तरह की कटौती की उसके समक्ष बहुत कम गुंजाइश है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के चलते आयात महंगा हो रहा है। सरकार को लगता है कि इससे चालू खाते का घाटा लक्ष्य से ऊपर निकल सकता है ऐसे में वह पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करके राजकोषीय गणित के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहती। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर ये विचार व्यक्त किये।
पेट्रोल और डीजल की कीमतें मंगलवार को नई ऊंचाई पर पहुंच गईं। इस दौरान भारतीय मुद्रा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 71.54 के रिकार्ड निम्न स्तर तक गिर गई, जिसकी वजह से आयात महंगा हो गया।
दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 79.31 रुपये प्रति लीटर की रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। वहीं डीजल का दाम 71.34 रुपये के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस तेजी को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग उठी है। इन दोनों ईंधन के दाम में करीब आधा हिस्सा, केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा लिये जाने वाले कर का होता है।
पेट्रोल, डीजल के दाम में निरंतर वृद्धि पर टिप्पणी करते हुए, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा: "पेट्रोल, डीजल की कीमतों में निरंतर वृद्धि अपरिहार्य नहीं है, क्योंकि ईधनों पर अत्यधिक करों की वजह से दाम ऊंचे हैं। यदि करों में कटौती की जाती है, तो कीमतें काफी कम हो जाएंगी।"
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हम पहले से ही जानते हैं कि चालू खाते के घाटे पर असर होगा। यह जानते हुए हम राजकोषीय घाटे के संबंध में कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं, हमें इस मामले में समझदारी से फैसला करना होगा।"
राजकोषीय घाटे का मतलब होगा आय से अधिक व्यय का होना जबकि चालू खाते का घाटा देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह और उसके बाहरी प्रवाह के बीच का अंतर होता है। चुनावी वर्ष में सरकार सार्वजनिक व्यय में कटौती का जोखिम नहीं उठा सकती है। इसका विकास कार्यों पर असर होगा।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुुट के साथ)