ऑयल इंडिया खुद न्यायाधीश नहीं बन सकती, समिति का पुनर्गठन करेंगे: न्यायालय ने कहा

By भाषा | Published: August 23, 2021 11:11 PM2021-08-23T23:11:35+5:302021-08-23T23:11:35+5:30

Oil India cannot become a judge itself, will reconstitute the committee: Court | ऑयल इंडिया खुद न्यायाधीश नहीं बन सकती, समिति का पुनर्गठन करेंगे: न्यायालय ने कहा

ऑयल इंडिया खुद न्यायाधीश नहीं बन सकती, समिति का पुनर्गठन करेंगे: न्यायालय ने कहा

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि असम के बागजान तेल कुएं में आग लगने की घटना से एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी द्वारा पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करने और जरूरी उपाए सुझाने के लिए एक समिति को फिर से गठित किया जाएगा और साथ ही कहा, ‘‘ऑयल इंडिया अपने मामले में खुद न्यायाधीश नहीं बन सकती।’’ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने विधि अधिकारियों - के एम नटराज और अमन लेखी से कहा कि वे विशेषज्ञों के नाम पर याचिकाकर्ताओं द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर करें और कहा कि समिति को फिर से गठित किया जाएगा। पीठ ने कहा, ‘‘हम समिति का फिर से गठन करेंगे और इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति बी पी कटाके करेंगे। ऑयल इंडिया अपने ही मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकती है। हम ऑयल इंडिया के प्रतिनिधियों के नाम हटा देंगे और इसके बजाय कुछ विशेषज्ञों को शामिल करेंगे, जो नुकसान का आकलन करने और पर्यावरण को हुए नुकसान के कारण उचित मुआवजा देने के काम से जुड़े होंगे, जिसमें ओआईएल के तेल क्षेत्र में हुए विस्फोट के कारण जैव विविधता की हानि भी शामिल है।’’ तिनसुकिया जिले के बागजान स्थित तेल कुएं में पिछले साल नौ जून को आग लग गई थी, ओआईएल के दो दमकलकर्मी इसमें मारे गए थे। याचिकाकर्ता कार्यकर्ता बोनानी कक्कड़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ मित्रा ने कहा कि जिन छह विशेषज्ञों का सुझाव दिया गया है, उनमें से चार राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा गठित समिति के काम से जुड़े होने के कारण इस विषय से अच्छी तरह परिचित हैं। सुनवाई के दौरान पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी से कहा कि ऑयल इंडिया का एक प्रतिनिधि नुकसान का आकलन करने के लिए गठित समिति में कैसे हो सकता है, जबकि नुकसान का आरोप खुद सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) पर है।

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