बीते वित्तीय वर्ष में तेल खली का निर्यात 51 प्रतिशत बढ़ा
By भाषा | Published: May 19, 2021 08:41 PM2021-05-19T20:41:05+5:302021-05-19T20:41:05+5:30
नयी दिल्ली, 19 मई तेल उद्योगों के प्रमुख संगठन, साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अनुसार, वर्ष 2020-21 में भारत के आयलमील का निर्यात, पिछले वर्ष के 24.3 लाख टन के मुकाबले, 51.44 प्रतिशत बढ़कर 36.8 लाख टन हो गया।
मूल्य के संदर्भ में, तेल का निर्यात उक्त अवधि में 4,450 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होकर 8,850 करोड़ रुपये का हो गया।
पॉल्ट्री के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में आयलमील का उपयोग पशु आहार के रूप में किया जाता है।
एसईए द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, सोयाबीन मील (सोयाबीन खली) का निर्यात पिछले वर्ष के 6.92 लाख टन के मुकाबले बढ़कर 15.64 लाख टन हो गया।
इसी तरह, रेपसीड खली का निर्यात 9.61 लाख टन से बढ़कर 11.13 लाख टन हो गया, जबकि चावल छिलका तेल का निर्यात उक्त अवधि में 2.36 लाख टन से बढ़कर 5.76 लाख टन हो गया।
एसईए ने कहा, ‘‘भारत ने वर्ष 2020-21 के दौरान रिकॉर्ड मात्रा में 5.76 लाख टन चावल भूसी एक्सट्रैक्शन का निर्यात किया है, बांग्लादेश में चावल की फसल खराब होने की वजह से यह नई मांग आई थी।’’
एसईए के आंकड़ों से पता चलता है कि हालांकि, अरंडी खली का निर्यात पिछले साल के 5.38 लाख टन से घटकर वर्ष 2020-21 में 4.19 लाख टन रह गया।
एसईए के अनुसार, सोयाबीन खली की ऊंची कीमतों की वजह से चालू 2021-22 वित्तवर्ष की पहली छमाही के दौरान निर्यात प्रदर्शन कमजोर रहने की संभावना है। उंची घरेलू कीमतों के कारण भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूरी तरह से बाहर हो गया है।
दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र, पश्चिम एशिया के साथ-साथ जर्मनी जैसे यूरोपीय देश के अलावा अमेरिका, भारतीय तेल खली के लिए मुख्य निर्यात बाजार हैं।
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