इन 12 स्टेप से नीरव मोदी ने लगाया PNB को चूना, 7 साल तक PNB के डिप्टी मैनेजर का नहीं हुआ था ट्रांसफर

By खबरीलाल जनार्दन | Published: February 16, 2018 08:58 PM2018-02-16T20:58:14+5:302018-02-20T23:06:54+5:30

पीएनबी घोटाले का खुलासा नहीं हुआ होता अगर वह डिप्टी मैनेजर रिटायर नहीं होता। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) तो बाद में आया।

Nirav Modi how executed PNB scam  | इन 12 स्टेप से नीरव मोदी ने लगाया PNB को चूना, 7 साल तक PNB के डिप्टी मैनेजर का नहीं हुआ था ट्रांसफर

इन 12 स्टेप से नीरव मोदी ने लगाया PNB को चूना, 7 साल तक PNB के डिप्टी मैनेजर का नहीं हुआ था ट्रांसफर

भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने बीते बुधवार (14 फरवरी) यह जानकारी देकर चौंकाया कि उनकी मुंबई स्थ‌ित ब्रीच कैंडी कोर ब्रांच में करीब 11,360 करोड़ रुपये का घोटला हुआ। इसमें बैंक ने यह तो बताया कि घोटाले बैंक के कर्मचारी और खाताधारकों की मिलीभगत है, लेकिन किसके यह नहीं बताया। गुरुवार (16 फरवरी) को पीएनबी के प्रबंध निदेशक (एमडी) सुनील मेहता ने स्वीकारा, "घोटाला 2011 से ही चल रहा था। पर बीती 3 जनवरी को उजागर हुआ। पता चलते ही हमने संबंधित एजेंसियों को इसकी जानकारी दी।" उन्होंने मामले में संलिप्त लोगों के नामों का कोई उल्लेख नहीं किया।

हालांकि खबर है कि पीएनबी जो केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई में रिपोर्ट दर्ज कराई है उसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनके परिवार कुछ सदस्यों का नाम हैं। साथ ही गीतांजलि ग्रुप के मेहुल चोकसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लगातार नीरव मोदी के ठिकानों पर छापे मारे। दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय ने भी चार सप्ताह के लिए नीरव मोदी के पासपोर्ट सुविधाओं को स्‍थगित कर दिया है। ऐसे में यह जानाना जरूरी है कि सबकुछ कंप्यूटरीकृत होने के बाद भी कैसे नीरव मोदी बैंक के साथ धोड़ाधड़ी की। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार इसमें नीरव मोदी और पीएनबी इन 13 स्‍टेप्स से गुजरे-

1- नीरव मोदी ने सबसे पहले पीएनबी से लेटर ऑफ क्रेडिट बनाने लिए प्रस्ताव रखा। वे अपने हीरा कारोबार के संबंध में कुछ अनोखे तरह के पत्‍थरों का आयात करना चाहते थे।

2- पीएनबी ने उन्हें बैंक की आवश्यक जरूरतों को पूरा किए बगैर यह सुविधा उपलब्‍ध करा दी। उन्होंने इसके लिए जरूरी रकम भी बैंक को नहीं चुकाए।

पीएनबी घोटाले में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) व SWIFT की क्या है भूमिका

3- इसके बाद ब्रीच कैंडी ब्रांस के मैनेजर ने नीरव मोदी को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) जारी कर दिया। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी साख पत्र, इसकी सहायता से विदेशों में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों से रुपया भुनाया जा सकता है। इसमें यह भी लिखा होता है कि आप आमूक निर्यातकर्ता को आमूक काम के लिए किए गए आयात के लिए एक निश्चित पेमेंट कर दीजिए।

यह एक आम प्रक्रिया है। बैंकों में बॉयर्स क्रेडिट देना सामान्य बात है। लेkin पीएनबी ने विदेशों के बैंकों को जो एलओयू दिए हैं उससे विदेशी बैंकों ने पीएनबी की गारंटी के ऊपर उस निर्यातकर्ता को पैसों की पेमेंट कर चुका है। एक साल बाद जो आयातकर्ता है वो पीएनबी को पेमेंट देगा और फिर पीएनबी आगे विदेशी बैंक को ब्याज समेत उनका पैसा लौटा देगा। लेकिन इस खास मामले में बैंक ने एलओयू जारी नहीं किए बल्कि बैंक के दो कर्मचारियों ने फर्जी एलओयू जारी किए। उसी के आधार पर सभी ट्रांसजेक्‍शन हुई। इन कर्मचारियों के पास ट्रांसजेक्‍शन वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन सोसायटी (SWIFT) का कंट्रोल भी था।

4- पीएनबी के इस कार्ड से बहुत से निर्यातकों को पैसे चुकाए गए। यह जाने बगैर कि वे निर्यातक या बेचदार मौलिक हैं या नहीं। SWIFT के जर‌िये वे लगातार वे इस दुनियाभर को आपस मे जोड़ने वाली तकनीकी का गलत इस्तेमाल करते रहे। उन्होंने जो कोड में भेजे उससे फर्जी एलओयू भेजना, खोलना, उसमें बदलाव करने का काम किया गया।

5- SWIFT सिस्टम से यह पता चलता है कि जो संदेश बैंकों के पास आ रहे हैं वे आधिकारिक संदेश है या नहीं। अगर SWIFT के जरिए आने वाले संदेशों पर संदह नहीं किया जाता। लेकिन पीएनबी दो लोग कर्मियों ने इसमें डेटा डाला और खुद ही जानकारी पुष्टि होने की संदेश भेजा।

6- शाखा प्रबंधक लेनदेन के लिए वैश्विक वित्तीय संदेश सेवा (SWIFT) का इस्तेमाल किया। इसमें दोनों बैंकों के बीच संपर्क स्‍थापित हुआ होगा। दोनों के बीच गलत नंबर इस्तेमाल होता रहा।

7- इसी विधि से नीरव मोदी बीती पांच जनवरी तक पीएनबी के साथ लेनदेन करते रहे। दूसरे बैंक भी उनसे संतुष्ट रहे। कभी उन पर कोई आरोप नहीं लगे।

8- इसका खुलासा तब हुआ जब पीएनबी के ड‌िप्टी प्रबंधक गोकुलना‌थ शेट्टी सात साल तक एक ही पद पर रहने के बाद रिटायर हुए। यह बैंकिग गाइडलाइन सीवीसी का उल्लंघन करता है। बैंकों को नियमित रूप से दो या तीन साल पर तबादला करना होता है। जबकि यह कोर ब्रांच थी, संवदेनशील ब्रांच थी। फिर यहां मैनेजर का ट्रांसफर क्यों नहीं हुआ। जब यह सवाल उठा तब नीरव मोदी के कारनामे सामने आए।

9- बीती 16 जनवरी को नीरव मोदी से जुड़े तीन फर्म, मे. डायमंड्स आर यूएस, मे. सोलर एक्सपोर्ट्स, मे. स्टेलर डायमंड्स ने बैंक को संपर्क कर बायर्स क्रेडिट की मांग की जिससे वे अपने विदेश के कारोबारियों को भुगतान कर सकें। लेकिन नये ब्रांच मैनेजर ने इसके उनसे उतनी ही नकदी की मांग की। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि साल 2010 से वे क्रेडिट लेते आए हैं। उन्होंने इसके लिए कभी नकद भुगतान नहीं किए।

10- सुनील मेहता ने गुरुवार (15 फरवरी) को बताया कि मामले में सं‌लिप्त एक एलओयू (LoU) की कीमत 9.539.3 करोड़ रुपये है। जबकि 1799.3 करोड़ रुपये का एक फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट भी जारी किया गया है। इसमें सोलर एक्सपोर्ट्स 2152.8 करोड़, स्टेलर डायमंड्स 2134.7 करोड़, डायमंड्स आर यूएस 2110.6 करोड़, गीतांजलि गेम्स 2144.3 करोड़, गिली इंडिया 566.6 करोड़ व नक्षत्र व चांदरी को 321.1 व 9.1 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

11- इनमें से ज्यादातर एलओयू का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बीते एक साल में किया है। क्योंकि अधिकांश एलओयू से खर्च किए गए पैसों का ब्याज समेत भुगतान 365 दिन में कर देना होता है।

12- पीएनबी ने मामले पर जनवरी के अं‌तिम सप्ताह में सुध ली। पीएनबी ने सीबीआई के पास एक एफआईआर दर्ज कराई। यह कदम जब उठाया गया जब ब्रीच कैंडी रोड ब्रांच के जूनियर अधिकारी नीरव के फर्म्स को तेजी से एलओयू जारी करने लगे।

Web Title: Nirav Modi how executed PNB scam 

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