एनसीएलटी को कॉरपोरेट कर्जदार के दिवाला मामले से जुड़े विवाद में निर्णय का अधिकार : न्यायालय
By भाषा | Published: March 8, 2021 10:02 PM2021-03-08T22:02:10+5:302021-03-08T22:02:10+5:30
नयी दिल्ली, आठ मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को कॉरपोरेट कर्जदार के दिवालिया होने से पूर्णत जुड़े या उससे संबंधित विवादों में निर्णय करने का अधिकार है।
हालांकि, इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने एनसीएलटी तथा राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को यह सुनिश्चत करने को कहा है कि यदि मामला कॉरपोरेट कर्जदार के दिवालियापन से जुड़ा नहीं हो, तो वे अन्य अदालतों, न्यायाधिकरणों मंचों के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में हाथ नहीं डालें।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ‘‘आईबीसी की धारा 60(5)(सी) की शब्दावली तथा अन्य दिवाला से संबंधित क्षेत्रों में इसी तरह के प्रावधानों की व्याख्या पर विचार के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि एनसीएलटी को कॉरपोरेट कर्जदार के दिवाला मामले से उबरने वाले विवादों के निर्णय का अधिकार है।’’
न्यायालय ने यह फैसला गुजरात ऊर्जा विकास निगम लि. की एनसीएलएटी के एक आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर किया है। एनसीएलएटी ने एनसीएलटी के उस आदेश को उचित ठहराया था जिसमें एक कंपनी एस्टनफील्ड सोलर (गुजरात) प्राइवेट लि. के साथ बिजली खरीद करार को रद्द करने पर रोक लगा दी थी। बाद में यह कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में चली गई।
पीठ ने यह आदेश देते हुए गुजरात ऊर्जा विकास निगम लि. की अपील को खारिज कर दिया।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।