त्योहारी मांग और आयात महंगा होने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार

By भाषा | Updated: October 9, 2021 17:49 IST2021-10-09T17:49:07+5:302021-10-09T17:49:07+5:30

Mustard, groundnut oil-oilseeds improve due to festive demand and costlier imports | त्योहारी मांग और आयात महंगा होने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार

त्योहारी मांग और आयात महंगा होने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर विदेशों में खाद्य तेलों के भाव के मजबूत होने तथा स्थानीय त्योहारी मांग बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला और सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया। दूसरी ओर सोयाबीन तिलहन, सीपीओ और पामोलीन के भाव पूर्ववत बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क बढ़ने की अफवाहों के बाद विदेशों में खाद्य तेलों के भाव मजबूत हो गये थे। इसके अलावा स्थानीय त्योहारी मांग ने कीमतों में आये सुधार को गति दी।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सभी खाद्य तेलों के वायदा कारोबार को रोक देना चाहिये क्योंकि इससे न तो आयातकों को, न उपभोक्ताओं को न ही तेल उद्योग को फायदा है। इस संदर्भ में उन्होंने एक उदाहरण पेश किया।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम का आयात 137 रुपये प्रति किलो के भाव हो रहा है और मौजूदा आयात शुल्क मूल्य के हिसाब से हाजिर बाजार में सोयाबीन रिफाइंड का भाव 142 रुपये किलो बैठता है। वायदा कारोबार में नवंबर अनुबंध का भाव (जीएसटी एवं सारे मार्जिन मिलाकर) 132 रुपये किलो है। वायदा कारोबार के हिसाब से उपभोक्ताओं को यह तेल लगभग 138 रुपये लीटर मिलना चाहिये जबकि उपभोक्ताओं को सोयाबीन रिफाइंड 150 - 155 रुपये ‘लीटर’ (910 ग्राम) के भाव मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह देखें तो उपभोक्ताओं को कोई फायदा नहीं मिल रहा तो फिर वायदा कारोबार का क्या फायदा?

उन्होंने कहा कि त्योहारी मांग के कारण सोयाबीन तेल के भाव सुधार के साथ बंद हुए जबकि सामान्य कारोबार के दौरान सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव अपरिवर्तित रहे।

साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक, बी वी मेहता ने कहा है कि ‘फसल आने के बाद से सात महीने के दौरान सरसों की लगभग 70 लाख टन की पेराई की जा चुकी है और शेष लगभग 14-15 लाख टन सरसों किसानों के पास रह गया है और अगली फसल आने में साढ़े चार-पांच महीने का समय है। सरसों की इस कमी की वजह से सरसों तेल- तिलहन के भाव सुधर गये।

स्थानीय त्योहारी मांग की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला तेल के भाव में भी सुधार रहा जबकि मांग होने के बावजूद महंगा होने से लिवाली कम होने की वजह से सीपीओ और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2000 से पहले तेल-तिलहन के मामले में देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा था लेकिन उसके बाद वायदा कारोबार शुरू होने के बाद हमारी आयात पर निर्भरता बढ़ती चली गई और जब तक वायदा कारोबार रहेगा आत्मनिर्भरता हासिल करने में मुश्किल दिखाई देती है। क्योंकि कुछ बड़े कारोबारी गुट बनाकर वायदा कारोबार का इस्तेमाल निजी हित में मनमाफिक भाव घटाने-बढ़ाने के लिए करते हैं। इनसे आयातकों को भी नुकसान हो रहा है।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 8,870 - 8,895 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली - 6,560 - 6,645 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,950 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,215 - 2,345 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,700 -2,750 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,785 - 2,895 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,500 - 18,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,660 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,360 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,210

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,010 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,725 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,450 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,300 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 5,850 - 6,150, सोयाबीन लूज 5,625 - 5,725 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये।

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Web Title: Mustard, groundnut oil-oilseeds improve due to festive demand and costlier imports

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