बाजार पूंजीकरणः 122107.11 करोड़ रुपये घटा, टीसीएस को 35,638.16 और रिलायंस इंडस्ट्रीज को 21,351.71 करोड़ रुपये नुकसान?, देखिए टॉप-10 लिस्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 13, 2024 04:08 PM2024-10-13T16:08:05+5:302024-10-13T16:09:18+5:30
Market capitalization: रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 21,351.71 करोड़ रुपये घटकर 18,55,366.53 करोड़ रुपये पर रहा।
Market capitalization: देश की शीर्ष 10 मूल्यवान कंपनियों में से सात का बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह संयुक्त रूप से 1,22,107.11 करोड़ रुपये घट गया। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ। शेयर बाजार में कमजोर रुख के अनुरूप प्रमुख कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में गिरावट आई। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स 307.09 अंक यानी 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,381.36 पर आ गया। देश की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का बाजार मूल्यांकन 35,638.16 करोड़ रुपये कम होकर 15,01,723.41 करोड़ रुपये रहा। रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 21,351.71 करोड़ रुपये घटकर 18,55,366.53 करोड़ रुपये पर रहा।
वहीं आईटीसी का मूल्यांकन 18,761.4 करोड़ रुपये घटकर 6,10,933.66 करोड़ रुपये जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर लि. का बाजार पूंजीकरण 16,047.71 करोड़ रुपये घटकर 6,53,315.60 करोड़ रुपये रहा। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का बाजार पूंजीकरण (एमकैप) 13,946.62 करोड़ रुपये घटकर 6,00,179.03 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक का एमकैप 11,363.35 करोड़ रुपये घटकर 8,61,696.24 करोड़ रुपये रहा। साथ ही एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 4,998.16 करोड़ रुपये घटकर 12,59,269.19 करोड़ रुपये रहा।
हालांकि, भारती एयरटेल का बाजार मूल्यांकन 26,330.84 करोड़ रुपये बढ़कर 9,60,435.16 करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं इन्फोसिस का एमकैप 6,913.33 करोड़ रुपये बढ़कर 8,03,440.41 करोड़ रुपये और भारतीय स्टेट बैंक का बाजार पूंजीकरण 3,034.36 करोड़ रुपये बढ़कर 7,13,968.95 करोड़ रुपये रहा।
बाजार पूंजीकरण के लिहाज से रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे मूल्यवान घरेलू कंपनी रही। इसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, भारतीय स्टेट बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी और एलआईसी का स्थान रहा।
विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में 58,711 करोड़ रुपये शेयर बाजार से निकाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अक्टूबर में शुद्ध बिकवाल रहे और इस महीने अब तक 58,711 करोड़ रुपये शेयर बाजार से निकाले। इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि और चीनी बाजार के मजबूत प्रदर्शन के कारण विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की। इससे पहले, विदेशी निवेशकों ने सितंबर में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह नौ महीने का उच्चतम स्तर था।
डिपोजिटरी के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद, जून से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने लगातार इक्विटी बाजार में पैसा लगाया। कुल मिलाकर, जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर, एफपीआई इस साल शुद्ध खरीदार रहे हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर होने वाली गतिविधियां और ब्याज दर को लेकर स्थिति जैसे वैश्विक कारक भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेश के प्रवाह को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।’’
आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने एक अक्टूबर से 11 अक्टूबर के बीच इक्विटी से 58,711 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहा, ‘‘विशेष रूप से पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। इससे वैश्विक निवेशक जोखिम से बच रहे हैं।
एफपीआई सतर्क हो गए हैं और उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर संकट के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 10 अक्टूबर को 79 डॉलर प्रति बैरल हो गया जबकि 10 सितंबर को यह 69 डॉलर प्रति बैरल था। इससे भारत में महंगाई और वित्तीय बोझ बढ़ने का जोखिम उत्पन्न हुआ है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि चीन में धीमी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय उपायों की घोषणा के बाद एफपीआई ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो' की रणनीति अपना रहे हैं।
एफपीआई चीन में शेयरों में पैसा लगा रहे हैं, जो अब भी अपेक्षाकृत सस्ता है। कुल मिलाकर इन सब कारणों से भारतीय शेयर बाजार में एक अस्थायी अवरोध पैदा हुआ है। इस साल अब तक एफपीआई ने इक्विटी में 41,899 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 1.09 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।